النجم

تفسير سورة النجم

الترجمة الهندية

हिन्दी

الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ وَالنَّجْمِ إِذَا هَوَىٰ﴾

शपथ है तारे की, जब वह डूबने लगे!

﴿مَا ضَلَّ صَاحِبُكُمْ وَمَا غَوَىٰ﴾

नहीं कुपथ हुआ है तुम्हारा साथी और न कुमार्ग हुआ है।

﴿وَمَا يَنْطِقُ عَنِ الْهَوَىٰ﴾

और वह नहीं बोलते अपनी इच्छा से।

﴿إِنْ هُوَ إِلَّا وَحْيٌ يُوحَىٰ﴾

वह तो बस वह़्यी (प्रकाशना) है। जो (उनकी ओर) की जाती है।

﴿عَلَّمَهُ شَدِيدُ الْقُوَىٰ﴾

सिखाया है जिसे उन्हें शक्तिवान ने।[1]

﴿ذُو مِرَّةٍ فَاسْتَوَىٰ﴾

बड़े बलशाली ने, फिर वह सीधा खड़ा हो गया।

﴿وَهُوَ بِالْأُفُقِ الْأَعْلَىٰ﴾

तथा वह आकाश के ऊपरी किनारे पर था।

﴿ثُمَّ دَنَا فَتَدَلَّىٰ﴾

फिर समीप हुआ और फिर लटक गया।

﴿فَكَانَ قَابَ قَوْسَيْنِ أَوْ أَدْنَىٰ﴾

फिर हो गया दो कमान के बराबर अथवा उससे भी समीप।

﴿فَأَوْحَىٰ إِلَىٰ عَبْدِهِ مَا أَوْحَىٰ﴾

फिर उसने वह़्यी की उस (अल्लाह) के भक्त[1] की ओर, जो भी वह़्यी की।

﴿مَا كَذَبَ الْفُؤَادُ مَا رَأَىٰ﴾

नहीं झुठलाया उनके दिल ने, जो कुछ उन्होंने देखा।

﴿أَفَتُمَارُونَهُ عَلَىٰ مَا يَرَىٰ﴾

तो क्या तुम उनसे झगड़ते हो उसपर, जिसे वे (आँखों से) देखते हैं?

﴿وَلَقَدْ رَآهُ نَزْلَةً أُخْرَىٰ﴾

निःसंदेह, उन्होंने उसे एक बार और भी उतरते देखा।

﴿عِنْدَ سِدْرَةِ الْمُنْتَهَىٰ﴾

सिद्-रतुल मुन्हा[1] के पास।

﴿عِنْدَهَا جَنَّةُ الْمَأْوَىٰ﴾

जिसके पास जन्नतुल[1] मावा है।

﴿إِذْ يَغْشَى السِّدْرَةَ مَا يَغْشَىٰ﴾

जब सिद्-रह पर छा रहा था, जो कुछ छा रहा था।[1]

﴿مَا زَاغَ الْبَصَرُ وَمَا طَغَىٰ﴾

न तो निगाह चुंधियाई और न सीमा से आगे हुई।

﴿لَقَدْ رَأَىٰ مِنْ آيَاتِ رَبِّهِ الْكُبْرَىٰ﴾

निश्चय आपने अपने पालनहार की बड़ी निशानियाँ देखीं।[1]

﴿أَفَرَأَيْتُمُ اللَّاتَ وَالْعُزَّىٰ﴾

तो (हे मुश्रिको!) क्या तुमने देख लिया लात्त तथा उज़्ज़ा को।

﴿وَمَنَاةَ الثَّالِثَةَ الْأُخْرَىٰ﴾

तथा एक तीसरे मनात को?[1]

﴿أَلَكُمُ الذَّكَرُ وَلَهُ الْأُنْثَىٰ﴾

क्या तुम्हारे लिए पुत्र हैं और उस अल्लाह के लिए पुत्रियाँ?

﴿تِلْكَ إِذًا قِسْمَةٌ ضِيزَىٰ﴾

ये तो बड़ा भोंडा विभाजन है।

﴿إِنْ هِيَ إِلَّا أَسْمَاءٌ سَمَّيْتُمُوهَا أَنْتُمْ وَآبَاؤُكُمْ مَا أَنْزَلَ اللَّهُ بِهَا مِنْ سُلْطَانٍ ۚ إِنْ يَتَّبِعُونَ إِلَّا الظَّنَّ وَمَا تَهْوَى الْأَنْفُسُ ۖ وَلَقَدْ جَاءَهُمْ مِنْ رَبِّهِمُ الْهُدَىٰ﴾

वास्तव में, ये कुछ केवल नाम हैं, जो तुमने तथा तुम्हारे पूर्वजों ने रख लिये हैं। नहीं उतारा है अल्लाह ने उनका कोई प्रमाण। वे केवल अनुमान[1] पर चल रहे हैं तथा अपनी मनमानी पर। जबकि आ चुका है उनके पालनहार की ओर से मार्गदर्शन।

﴿أَمْ لِلْإِنْسَانِ مَا تَمَنَّىٰ﴾

क्या मनुष्य को वही मिल जायेगा, जिसकी वह कामना करे?

﴿فَلِلَّهِ الْآخِرَةُ وَالْأُولَىٰ﴾

(नहीं, ये बात नहीं है) क्योंकि अल्लाह के अधिकार में है आख़िरत (परलोक) तथा संसार।

﴿۞ وَكَمْ مِنْ مَلَكٍ فِي السَّمَاوَاتِ لَا تُغْنِي شَفَاعَتُهُمْ شَيْئًا إِلَّا مِنْ بَعْدِ أَنْ يَأْذَنَ اللَّهُ لِمَنْ يَشَاءُ وَيَرْضَىٰ﴾

और आकाशों में बहुत-से फ़रिश्ते हैं, जिनकी अनुशंसा कुछ लाभ नहीं देती, परन्तु इसके पश्चात् कि अनुमति दे अल्लाह जिसके लिए चाहे तथा उससे प्रसन्न हो।[1]

﴿إِنَّ الَّذِينَ لَا يُؤْمِنُونَ بِالْآخِرَةِ لَيُسَمُّونَ الْمَلَائِكَةَ تَسْمِيَةَ الْأُنْثَىٰ﴾

वास्तव में, जो ईमान नहीं लाते परलोक पर, वे नाम देते हैं फ़रिश्तों के, स्त्रियों के नाम।

﴿وَمَا لَهُمْ بِهِ مِنْ عِلْمٍ ۖ إِنْ يَتَّبِعُونَ إِلَّا الظَّنَّ ۖ وَإِنَّ الظَّنَّ لَا يُغْنِي مِنَ الْحَقِّ شَيْئًا﴾

उन्हें इसका कोई ज्ञान नहीं। वे अनुसरण कर रहे हैं मात्र गुमान का और वस्तुतः गुमान नहीं लाभप्रद होता सत्य के सामने कुछ भी।

﴿فَأَعْرِضْ عَنْ مَنْ تَوَلَّىٰ عَنْ ذِكْرِنَا وَلَمْ يُرِدْ إِلَّا الْحَيَاةَ الدُّنْيَا﴾

अतः, आप विमुख हो जायें उससे, जिसने मुँह फेर लिया है हमारी शिक्षा से तथा वह सांसारिक जीवन ही चाहता है।

﴿ذَٰلِكَ مَبْلَغُهُمْ مِنَ الْعِلْمِ ۚ إِنَّ رَبَّكَ هُوَ أَعْلَمُ بِمَنْ ضَلَّ عَنْ سَبِيلِهِ وَهُوَ أَعْلَمُ بِمَنِ اهْتَدَىٰ﴾

यही उनके ज्ञान की पहुँच है। वास्तव में, आपका पालनहार ही अधिक जानता है उसे, जो कुपथ हो गया उसके मार्ग से तथा उसे, जिसने संमार्ग अपना लिया।

﴿وَلِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ لِيَجْزِيَ الَّذِينَ أَسَاءُوا بِمَا عَمِلُوا وَيَجْزِيَ الَّذِينَ أَحْسَنُوا بِالْحُسْنَى﴾

तथा अल्लाह ही का है जो आकाशों तथा धरती में है, ताकि वह बदला दे उसे, जिसने बुराई की उसके कुकर्म का और बदला दे उसे, जिसने सुकर्म किया अच्छा बदला।

﴿الَّذِينَ يَجْتَنِبُونَ كَبَائِرَ الْإِثْمِ وَالْفَوَاحِشَ إِلَّا اللَّمَمَ ۚ إِنَّ رَبَّكَ وَاسِعُ الْمَغْفِرَةِ ۚ هُوَ أَعْلَمُ بِكُمْ إِذْ أَنْشَأَكُمْ مِنَ الْأَرْضِ وَإِذْ أَنْتُمْ أَجِنَّةٌ فِي بُطُونِ أُمَّهَاتِكُمْ ۖ فَلَا تُزَكُّوا أَنْفُسَكُمْ ۖ هُوَ أَعْلَمُ بِمَنِ اتَّقَىٰ﴾

उन लोगों को जो बचते हैं महा पापों तथा निर्लज्जा[1] से, कुछ चूक के सिवा। वास्तव में, आपका पालनहार उदार, क्षमाशील है। वह भली-भाँति जानता है तुम्हें, जबकि उसने पैदा किया तुम्हें धरती[2] से तथा जब तुम भ्रुण थे अपनी माताओं के गर्भ में। अतः, अपने में पवित्र न बनो। वही भली-भाँति जानता है उसे, जिसने सदाचार किया है।

﴿أَفَرَأَيْتَ الَّذِي تَوَلَّىٰ﴾

तो क्या आपने उसे देखा जिसने मुँह फेर लिया?

﴿وَأَعْطَىٰ قَلِيلًا وَأَكْدَىٰ﴾

और तनिक दान किया फिर रुक गया।

﴿أَعِنْدَهُ عِلْمُ الْغَيْبِ فَهُوَ يَرَىٰ﴾

क्या उसके पास परोक्ष का ज्ञान है कि वह (सब कुछ) देख[1] रहा है?

﴿أَمْ لَمْ يُنَبَّأْ بِمَا فِي صُحُفِ مُوسَىٰ﴾

क्या उसे सूचना नहीं हुई उन बातों की, जो मूसा के ग्रन्थों में हैं?

﴿وَإِبْرَاهِيمَ الَّذِي وَفَّىٰ﴾

और इब्राहीम की, जिसने (अपना वचन) पूरा कर दिया।

﴿أَلَّا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِزْرَ أُخْرَىٰ﴾

कि कोई दूसरे का भार नहीं लादेगा।

﴿وَأَنْ لَيْسَ لِلْإِنْسَانِ إِلَّا مَا سَعَىٰ﴾

और ये कि मनुष्य के लिए वही है, जो उसने प्रयास किया।

﴿وَأَنَّ سَعْيَهُ سَوْفَ يُرَىٰ﴾

और ये कि उसका प्रयास शीघ्र देखा जायेगा।

﴿ثُمَّ يُجْزَاهُ الْجَزَاءَ الْأَوْفَىٰ﴾

फिर प्रतिफल दिया जायेगा उसे पूरा प्रतिफल।

﴿وَأَنَّ إِلَىٰ رَبِّكَ الْمُنْتَهَىٰ﴾

और ये कि आपके पालनहार की ओर ही (सबको) पहुँचना है।

﴿وَأَنَّهُ هُوَ أَضْحَكَ وَأَبْكَىٰ﴾

तथा वही है, जिसने (संसार में) हँसाया तथा रुलाया।

﴿وَأَنَّهُ هُوَ أَمَاتَ وَأَحْيَا﴾

तथा उसीने मारा और जिवाया।

﴿وَأَنَّهُ خَلَقَ الزَّوْجَيْنِ الذَّكَرَ وَالْأُنْثَىٰ﴾

तथा उसीने दोनों प्रकार उत्पन्न किये; नर और नारी।

﴿مِنْ نُطْفَةٍ إِذَا تُمْنَىٰ﴾

वीर्य से, जब (गर्भाशय में) गिरा।

﴿وَأَنَّ عَلَيْهِ النَّشْأَةَ الْأُخْرَىٰ﴾

तथा उसी के ऊपर दूसरी बार[1] उत्पन्न करना है।

﴿وَأَنَّهُ هُوَ أَغْنَىٰ وَأَقْنَىٰ﴾

तथा उसीने धनी बनाया और धन दिया।

﴿وَأَنَّهُ هُوَ رَبُّ الشِّعْرَىٰ﴾

और वही शेअरा[1] का स्वामी है।

﴿وَأَنَّهُ أَهْلَكَ عَادًا الْأُولَىٰ﴾

तथा उसीने ध्वस्त किया प्रथम[1] आद को।

﴿وَثَمُودَ فَمَا أَبْقَىٰ﴾

तथा समूद[1] को। किसी को शेष नहीं रखा।

﴿وَقَوْمَ نُوحٍ مِنْ قَبْلُ ۖ إِنَّهُمْ كَانُوا هُمْ أَظْلَمَ وَأَطْغَىٰ﴾

तथा नूह़ की जाति को इससे पहले, वस्तुतः, वे बड़े अत्याचारी, अवज्ञाकारी थे।

﴿وَالْمُؤْتَفِكَةَ أَهْوَىٰ﴾

तथा औंधी की हुई बस्ती[1] को उसने गिरा दिया।

﴿فَغَشَّاهَا مَا غَشَّىٰ﴾

फिर उसपर छा दिया, जो छा[1] दिया।

﴿فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكَ تَتَمَارَىٰ﴾

तो (हे मनुष्य!) तू अपने पालनहार के किन किन पुरस्कारों में संदेह करता रहेगा?

﴿هَٰذَا نَذِيرٌ مِنَ النُّذُرِ الْأُولَىٰ﴾

ये[1] सचेतकर्ता है, प्रथम सचेतकर्ताओं में से।

﴿أَزِفَتِ الْآزِفَةُ﴾

समीप आ लगी समीप आने वाली।

﴿لَيْسَ لَهَا مِنْ دُونِ اللَّهِ كَاشِفَةٌ﴾

नहीं है अल्लाह के सिवा उसे कोई दूर करने वाला।

﴿أَفَمِنْ هَٰذَا الْحَدِيثِ تَعْجَبُونَ﴾

तो क्या तुम इस[1] क़ुर्आन पर आश्चर्य करते हो?

﴿وَتَضْحَكُونَ وَلَا تَبْكُونَ﴾

तथा हँसते हो और रोते नहीं।

﴿وَأَنْتُمْ سَامِدُونَ﴾

तथा विमुख हो रहे हो।

﴿فَاسْجُدُوا لِلَّهِ وَاعْبُدُوا ۩﴾

अतः, सज्दा करो अल्लाह के लिए तथा उसी की वंदना[1] करो।

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: