الحاقة

تفسير سورة الحاقة

الترجمة الهندية

हिन्दी

الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ الْحَاقَّةُ﴾

जिसका होना सच है।

﴿مَا الْحَاقَّةُ﴾

वह क्या है, जिसका होना सच है?

﴿وَمَا أَدْرَاكَ مَا الْحَاقَّةُ﴾

तथा आप क्या जानें कि क्या है, जिसका होना सच है?

﴿كَذَّبَتْ ثَمُودُ وَعَادٌ بِالْقَارِعَةِ﴾

झुठलाया समूद तथा आद (जाति) ने अचानक आ पड़ने वाली (प्रलय) को।

﴿فَأَمَّا ثَمُودُ فَأُهْلِكُوا بِالطَّاغِيَةِ﴾

फिर समूद, तो वे ध्वस्त कर दिये गये अति कड़ी ध्वनि से।

﴿وَأَمَّا عَادٌ فَأُهْلِكُوا بِرِيحٍ صَرْصَرٍ عَاتِيَةٍ﴾

तथा आद, तो वे ध्वस्त कर दिये गये एक तेज़ शीतल आँधी से।

﴿سَخَّرَهَا عَلَيْهِمْ سَبْعَ لَيَالٍ وَثَمَانِيَةَ أَيَّامٍ حُسُومًا فَتَرَى الْقَوْمَ فِيهَا صَرْعَىٰ كَأَنَّهُمْ أَعْجَازُ نَخْلٍ خَاوِيَةٍ﴾

लगाये रखा उसे उनपर सात रातें और आठ दिन निरन्तर, तो आप देखते कि वे जाति उसमें ऐसे पछाड़ी हुई है, जैसे खजूर के खोखले तने।[1]

﴿فَهَلْ تَرَىٰ لَهُمْ مِنْ بَاقِيَةٍ﴾

तो क्या आप देखते हैं कि उनमें कोई शेष रह गया है?

﴿وَجَاءَ فِرْعَوْنُ وَمَنْ قَبْلَهُ وَالْمُؤْتَفِكَاتُ بِالْخَاطِئَةِ﴾

और किया यही पाप फ़िरऔन ने और जो उसके पूर्व थे तथा जिनकी बस्तियाँ औंधी कर दी गयीं।

﴿فَعَصَوْا رَسُولَ رَبِّهِمْ فَأَخَذَهُمْ أَخْذَةً رَابِيَةً﴾

उन्होंने नहीं माना अपने पालनहार के रसूल को। अन्ततः, उसने पकड़ लिया उन्हें, कड़ी पकड़।

﴿إِنَّا لَمَّا طَغَى الْمَاءُ حَمَلْنَاكُمْ فِي الْجَارِيَةِ﴾

हमने, जब सीमा पार कर गया जल, तो तुम्हें सवार कर दिया नाव[1] में।

﴿لِنَجْعَلَهَا لَكُمْ تَذْكِرَةً وَتَعِيَهَا أُذُنٌ وَاعِيَةٌ﴾

ताकि हम बना दें उसे तुम्हारे लिए एक शिक्षाप्रद यादगार और ताकि सुरक्षित रख लें इसे सुनने वाले कान।

﴿فَإِذَا نُفِخَ فِي الصُّورِ نَفْخَةٌ وَاحِدَةٌ﴾

फिर जब फूँक दी जायेगी सूर (नरसिंघा) में एक फूँक।

﴿وَحُمِلَتِ الْأَرْضُ وَالْجِبَالُ فَدُكَّتَا دَكَّةً وَاحِدَةً﴾

और उठाया जायेगा धरती तथा पर्वतों को, तो दोनों चूर-चूर कर दिये जायेंगे[1] एक ही बार में।

﴿فَيَوْمَئِذٍ وَقَعَتِ الْوَاقِعَةُ﴾

तो उसी दिन होनी हो जायेगी।

﴿وَانْشَقَّتِ السَّمَاءُ فَهِيَ يَوْمَئِذٍ وَاهِيَةٌ﴾

तथा फट जायेगा आकाश, तो वह उस दिन क्षीण निर्बल हो जायेगा।

﴿وَالْمَلَكُ عَلَىٰ أَرْجَائِهَا ۚ وَيَحْمِلُ عَرْشَ رَبِّكَ فَوْقَهُمْ يَوْمَئِذٍ ثَمَانِيَةٌ﴾

और फ़रिश्ते उसके किनारों पर होंगे तथा उठाये होंगे आपके पालनहार के अर्श (सिंहासन) को अपने ऊपर उस दिन, आठ फ़रिश्ते।

﴿يَوْمَئِذٍ تُعْرَضُونَ لَا تَخْفَىٰ مِنْكُمْ خَافِيَةٌ﴾

उस दिन तुम अल्लाह के पास उपस्थित किये जाओगे, नहीं छुपा रह जायेगा तुममें से कोई।

﴿فَأَمَّا مَنْ أُوتِيَ كِتَابَهُ بِيَمِينِهِ فَيَقُولُ هَاؤُمُ اقْرَءُوا كِتَابِيَهْ﴾

फिर जिसे दिया जायेगा उसका कर्मपत्र दायें हाथ में, वह कहेगाः ये लो मेरा कर्मपत्र पढ़ो।

﴿إِنِّي ظَنَنْتُ أَنِّي مُلَاقٍ حِسَابِيَهْ﴾

मुझे विश्वास था कि मैं मिलने वाला हूँ अपने ह़िसाब से।

﴿فَهُوَ فِي عِيشَةٍ رَاضِيَةٍ﴾

तो वह अपने मन चाहे सुख में होगा।

﴿فِي جَنَّةٍ عَالِيَةٍ﴾

उच्च श्रेणी के स्वर्ग में।

﴿قُطُوفُهَا دَانِيَةٌ﴾

जिसके फलों के गुच्छे झुक रहे होंगे।

﴿كُلُوا وَاشْرَبُوا هَنِيئًا بِمَا أَسْلَفْتُمْ فِي الْأَيَّامِ الْخَالِيَةِ﴾

(उनसे कहा जायेगाः) खाओ तथा पियो आनन्द लेकर उसके बदले, जो तुमने किया है विगत दिनों (संसार) में।

﴿وَأَمَّا مَنْ أُوتِيَ كِتَابَهُ بِشِمَالِهِ فَيَقُولُ يَا لَيْتَنِي لَمْ أُوتَ كِتَابِيَهْ﴾

और जिसे दिया जायेगा उसका कर्मपत्र उसके बायें हाथ में, तो वह कहेगाः हाय! मुझे मेरा कर्मपत्र दिया ही न जाता!

﴿وَلَمْ أَدْرِ مَا حِسَابِيَهْ﴾

तथा मैं न जानता कि क्या है मेरा ह़िसाब!

﴿يَا لَيْتَهَا كَانَتِ الْقَاضِيَةَ﴾

काश मेरी मौत ही निर्णायक[1] होती!

﴿مَا أَغْنَىٰ عَنِّي مَالِيَهْ ۜ﴾

नहीं काम आया मेरा धन।

﴿هَلَكَ عَنِّي سُلْطَانِيَهْ﴾

मुझसे समाप्त हो गया, मेरा प्रभुत्व।[1]

﴿خُذُوهُ فَغُلُّوهُ﴾

(आदेश होगा कि) उसे पकड़ो और उसके गले में तौक़ डाल दो।

﴿ثُمَّ الْجَحِيمَ صَلُّوهُ﴾

फिर नरक में उसे झोंक दो।

﴿ثُمَّ فِي سِلْسِلَةٍ ذَرْعُهَا سَبْعُونَ ذِرَاعًا فَاسْلُكُوهُ﴾

फिर उसे एक जंजीर जिसकी लम्बाई सत्तर गज़ है, में जकड़ दो।

﴿إِنَّهُ كَانَ لَا يُؤْمِنُ بِاللَّهِ الْعَظِيمِ﴾

वह ईमान नहीं रखता था महिमाशाली अल्लाह पर।

﴿وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ الْمِسْكِينِ﴾

और न प्रेरणा देता था दरिद्र को भोजन कराने की।

﴿فَلَيْسَ لَهُ الْيَوْمَ هَاهُنَا حَمِيمٌ﴾

अतः, नहीं है उसका आज यहाँ कोई मित्र।

﴿وَلَا طَعَامٌ إِلَّا مِنْ غِسْلِينٍ﴾

और न कोई भोजन, पीप के सिवा।

﴿لَا يَأْكُلُهُ إِلَّا الْخَاطِئُونَ﴾

जिसे पापी ही खायेंगे।

﴿فَلَا أُقْسِمُ بِمَا تُبْصِرُونَ﴾

तो मैं शपथ लेता हूँ उसकी, जो तुम देखते हो।

﴿وَمَا لَا تُبْصِرُونَ﴾

तथा जो तुम नहीं देखते हो।

﴿إِنَّهُ لَقَوْلُ رَسُولٍ كَرِيمٍ﴾

निःसंदेह, ये (क़ुर्आन) आदरणीय रसूल का कथन[1] है।

﴿وَمَا هُوَ بِقَوْلِ شَاعِرٍ ۚ قَلِيلًا مَا تُؤْمِنُونَ﴾

और वह किसी कवि का कथन नहीं है। तुम लोग कम ही विश्वास करते हो।

﴿وَلَا بِقَوْلِ كَاهِنٍ ۚ قَلِيلًا مَا تَذَكَّرُونَ﴾

और न वह किसी ज्योतिषी का कथन है, तुम कम की शिक्षा ग्रहण करते हो।

﴿تَنْزِيلٌ مِنْ رَبِّ الْعَالَمِينَ﴾

सर्वलोक के पालनहार का उतारा हुआ है।

﴿وَلَوْ تَقَوَّلَ عَلَيْنَا بَعْضَ الْأَقَاوِيلِ﴾

और यदि इसने (नबी ने) हमपर कोई बात बनाई[1] होती।

﴿لَأَخَذْنَا مِنْهُ بِالْيَمِينِ﴾

तो अवश्य हम पकड़ लेते उसका सीधा हाथ।

﴿ثُمَّ لَقَطَعْنَا مِنْهُ الْوَتِينَ﴾

फिर अवश्य काट देते उसके गले की रग।

﴿فَمَا مِنْكُمْ مِنْ أَحَدٍ عَنْهُ حَاجِزِينَ﴾

फिर तुममें से कोई (मुझे) उससे रोकने वाला न होता।

﴿وَإِنَّهُ لَتَذْكِرَةٌ لِلْمُتَّقِينَ﴾

निःसंदेह, ये एक शिक्षा है सदाचारियों के लिए।

﴿وَإِنَّا لَنَعْلَمُ أَنَّ مِنْكُمْ مُكَذِّبِينَ﴾

तथा वास्तव में हम जानते हैं कि तुममें कुछ झुठलाने वाले हैं।

﴿وَإِنَّهُ لَحَسْرَةٌ عَلَى الْكَافِرِينَ﴾

और निश्चय ये पछतावे का कारण होगा काफ़िरों[1] के लिए।

﴿وَإِنَّهُ لَحَقُّ الْيَقِينِ﴾

वस्तुतः, ये विश्वसनीय सत्य है।

﴿فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيمِ﴾

अतः, आप पवित्रता का वर्णन करें अपने महिमावान पालनहार के नाम की।

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: