القيامة

تفسير سورة القيامة

الترجمة الهندية

हिन्दी

الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ لَا أُقْسِمُ بِيَوْمِ الْقِيَامَةِ﴾

मैं शपथ लेता हूँ क़्यामत (प्रलय) के दिन[1] की!

﴿وَلَا أُقْسِمُ بِالنَّفْسِ اللَّوَّامَةِ﴾

तथा शपथ लेता हूँ निन्दा[1] करने वाली अन्तरात्मा की।

﴿أَيَحْسَبُ الْإِنْسَانُ أَلَّنْ نَجْمَعَ عِظَامَهُ﴾

क्या मनुष्य समझता है कि हम एकत्र नहीं कर सकेंगे दोबारा उसकी अस्थियों को?

﴿بَلَىٰ قَادِرِينَ عَلَىٰ أَنْ نُسَوِّيَ بَنَانَهُ﴾

क्यों नहीं? हम सामर्थ्वान हैं इस बात पर कि सीधी कर दें, उसकी उंगलियों की पोर-पोर।

﴿بَلْ يُرِيدُ الْإِنْسَانُ لِيَفْجُرَ أَمَامَهُ﴾

बल्कि मनुष्य चाहता है कि वह कुकर्म करता रहे अपने आगे[1] भी।

﴿يَسْأَلُ أَيَّانَ يَوْمُ الْقِيَامَةِ﴾

वह प्रश्न करता है कि कब आना है प्रलय का दिन?

﴿فَإِذَا بَرِقَ الْبَصَرُ﴾

तो जब चुंधिया जायेगी आँख।

﴿وَخَسَفَ الْقَمَرُ﴾

और गहना जायेगा चाँद।

﴿وَجُمِعَ الشَّمْسُ وَالْقَمَرُ﴾

और एकत्र कर दिये[1] जायेंगे सूर्य और चाँद।

﴿يَقُولُ الْإِنْسَانُ يَوْمَئِذٍ أَيْنَ الْمَفَرُّ﴾

कहेगा मनुष्य उस दिन कि कहाँ है भागने का स्थान?

﴿كَلَّا لَا وَزَرَ﴾

कदापि नहीं, कोई शरणागार नहीं।

﴿إِلَىٰ رَبِّكَ يَوْمَئِذٍ الْمُسْتَقَرُّ﴾

तेरे पालनहार की ओर ही उस दिन जाकर रुकना है।

﴿يُنَبَّأُ الْإِنْسَانُ يَوْمَئِذٍ بِمَا قَدَّمَ وَأَخَّرَ﴾

सूचित कर दिया जायेगा मनुष्य को उस दिन उससे, जो उसने आगे भेजा तथा जो पीछे[1] छोड़ा।

﴿بَلِ الْإِنْسَانُ عَلَىٰ نَفْسِهِ بَصِيرَةٌ﴾

बल्कि मनुष्य स्वयं अपने विरुध्द एक खुला[1] प्रमाण है।

﴿وَلَوْ أَلْقَىٰ مَعَاذِيرَهُ﴾

चाहे वह कितने ही बहाने बनाये।

﴿لَا تُحَرِّكْ بِهِ لِسَانَكَ لِتَعْجَلَ بِهِ﴾

हे नबी! आप न हिलायें[1] अपनी ज़ुबान, ताकि शीघ्र याद कर लें इस क़ुर्आन को।

﴿إِنَّ عَلَيْنَا جَمْعَهُ وَقُرْآنَهُ﴾

निश्चय हमपर है उसे याद कराना और उसे पढ़ाना।

﴿فَإِذَا قَرَأْنَاهُ فَاتَّبِعْ قُرْآنَهُ﴾

अतः, जब हम उसे पढ़ लें, तो आप उसके पीछे पढ़ें।

﴿ثُمَّ إِنَّ عَلَيْنَا بَيَانَهُ﴾

फिर हमारे ही ऊपर है, उसका अर्थ बताना।

﴿كَلَّا بَلْ تُحِبُّونَ الْعَاجِلَةَ﴾

कदापि नहीं[1], बल्कि तुम प्रेम करते हो शीघ्र प्राप्त होने वाली चीज़ (संसार) से।

﴿وَتَذَرُونَ الْآخِرَةَ﴾

और छोड़ देते हो परलोक को।

﴿وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ نَاضِرَةٌ﴾

बहुत-से मुख उस दिन प्रफुल्ल होंगे।

﴿إِلَىٰ رَبِّهَا نَاظِرَةٌ﴾

अपने पालनहार की ओर देख रहे होंगे।

﴿وَوُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ بَاسِرَةٌ﴾

और बहुत-से मुख उदास होंगे।

﴿تَظُنُّ أَنْ يُفْعَلَ بِهَا فَاقِرَةٌ﴾

वह समझ रहे होंगे कि उनके साथ कड़ा व्यवहार किया जायेगा।

﴿كَلَّا إِذَا بَلَغَتِ التَّرَاقِيَ﴾

कदापि नहीं[1], जब पहुँचेगी प्राण हंसलियों (गलों) तक।

﴿وَقِيلَ مَنْ ۜ رَاقٍ﴾

और कहा जायेगाः कौन झाड़-फूँक करने वाला है?

﴿وَظَنَّ أَنَّهُ الْفِرَاقُ﴾

और विश्वास हो जायेगा कि ये (संसार से) जुदाई का समय है।

﴿وَالْتَفَّتِ السَّاقُ بِالسَّاقِ﴾

और मिल जायेगी पिंडली, पिंडली[1] से।

﴿إِلَىٰ رَبِّكَ يَوْمَئِذٍ الْمَسَاقُ﴾

तेरे पालनहार की ओर उसी दिन जाना है।

﴿فَلَا صَدَّقَ وَلَا صَلَّىٰ﴾

तो न उसने सत्य को माना और न नमाज़ पढ़ी।

﴿وَلَٰكِنْ كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ﴾

किन्तु झुठलाया और मुँह फेर लिया।

﴿ثُمَّ ذَهَبَ إِلَىٰ أَهْلِهِ يَتَمَطَّىٰ﴾

फिर, गया अपने परिजनों की ओर अकड़ता हआ।

﴿أَوْلَىٰ لَكَ فَأَوْلَىٰ﴾

शोक है तेरे लिए, फिर शोक है।

﴿ثُمَّ أَوْلَىٰ لَكَ فَأَوْلَىٰ﴾

फिर शोक है तेरे लिए, फिर शोक है।

﴿أَيَحْسَبُ الْإِنْسَانُ أَنْ يُتْرَكَ سُدًى﴾

क्या मनुष्य समझता है कि वह छोड़ दिया जायेगा व्यर्थ?[1]

﴿أَلَمْ يَكُ نُطْفَةً مِنْ مَنِيٍّ يُمْنَىٰ﴾

क्या वह नहीं था वीर्य की बूंद, जो (गर्भाशय में) बूँद-बूँद गिराई जाती है।?

﴿ثُمَّ كَانَ عَلَقَةً فَخَلَقَ فَسَوَّىٰ﴾

फिर वह बंधा रक्त हुआ, फिर अल्लाह ने उसे पैदा किया और उसे बराबर बनाया।

﴿فَجَعَلَ مِنْهُ الزَّوْجَيْنِ الذَّكَرَ وَالْأُنْثَىٰ﴾

फिर उसका जोड़ाः नर और नारी बनाया।

﴿أَلَيْسَ ذَٰلِكَ بِقَادِرٍ عَلَىٰ أَنْ يُحْيِيَ الْمَوْتَىٰ﴾

तो क्या वह सामर्थ्यवान नहीं कि मुर्दों को जीवित कर दे?

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: