الفجر

تفسير سورة الفجر

الترجمة الهندية

हिन्दी

الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ وَالْفَجْرِ﴾

शपथ है भोर की!

﴿وَلَيَالٍ عَشْرٍ﴾

तथा दस रात्रियों की!

﴿وَالشَّفْعِ وَالْوَتْرِ﴾

और जोड़े तथा अकेले की!

﴿وَاللَّيْلِ إِذَا يَسْرِ﴾

और रात्रि की जब जाने लगे!

﴿هَلْ فِي ذَٰلِكَ قَسَمٌ لِذِي حِجْرٍ﴾

क्या उसमें किसी मतिमान (समझदार) के लिए कोई शपथ है?[1]

﴿أَلَمْ تَرَ كَيْفَ فَعَلَ رَبُّكَ بِعَادٍ﴾

क्या तुमने नहीं देखा कि तुम्हारे पालनहार ने "आद" के सात क्या किया?

﴿إِرَمَ ذَاتِ الْعِمَادِ﴾

स्तम्भों वाले "इरम" के साथ?

﴿الَّتِي لَمْ يُخْلَقْ مِثْلُهَا فِي الْبِلَادِ﴾

जिनके समान देशों में लोग नहीं पैदा किये गये।

﴿وَثَمُودَ الَّذِينَ جَابُوا الصَّخْرَ بِالْوَادِ﴾

तथा "समूद" के साथ जिन्होंने घाटियों मे चट्टानों को काट रखा था।

﴿وَفِرْعَوْنَ ذِي الْأَوْتَادِ﴾

और मेखों वाले फ़िरऔन के साथ।

﴿الَّذِينَ طَغَوْا فِي الْبِلَادِ﴾

जिन्होंने नगरों में उपद्रव कर रखा था।

﴿فَأَكْثَرُوا فِيهَا الْفَسَادَ﴾

और नगरों में बड़ा उपद्रव फैला रखा था।

﴿فَصَبَّ عَلَيْهِمْ رَبُّكَ سَوْطَ عَذَابٍ﴾

फिर तेरे पालनहार ने उनपर दण्ड का कोड़ा बरसा दिया।

﴿إِنَّ رَبَّكَ لَبِالْمِرْصَادِ﴾

वास्तव में, तेरा पालनहार घात में है।[1]

﴿فَأَمَّا الْإِنْسَانُ إِذَا مَا ابْتَلَاهُ رَبُّهُ فَأَكْرَمَهُ وَنَعَّمَهُ فَيَقُولُ رَبِّي أَكْرَمَنِ﴾

परन्तु, जब इन्सान की उसका पालनहार परीक्षा लेता है और उसे सम्मान और धन देता है, तो कहता है कि मेरे पालनहार ने मेरा सम्मान किया।

﴿وَأَمَّا إِذَا مَا ابْتَلَاهُ فَقَدَرَ عَلَيْهِ رِزْقَهُ فَيَقُولُ رَبِّي أَهَانَنِ﴾

परन्तु, जब उसकी परीक्षा लेने के लिए उसकी जीविका संकीर्ण (कम) कर देता है, तो कहता है कि मेरे पालनहार ने मेरा अपमान किया।

﴿كَلَّا ۖ بَلْ لَا تُكْرِمُونَ الْيَتِيمَ﴾

ऐसा नहीं, बल्कि तुम अनाथ का आदर नहीं करते।

﴿وَلَا تَحَاضُّونَ عَلَىٰ طَعَامِ الْمِسْكِينِ﴾

तथा ग़रीब को खाना खिलाने के लिए एक-दूसरे को नहीं उभारते।

﴿وَتَأْكُلُونَ التُّرَاثَ أَكْلًا لَمًّا﴾

और मीरास (मृतक सम्पत्ति) के धन को समेट-समेट कर खा जाते हो।

﴿وَتُحِبُّونَ الْمَالَ حُبًّا جَمًّا﴾

और धन से बड़ा मोह रखते हो।[1]

﴿كَلَّا إِذَا دُكَّتِ الْأَرْضُ دَكًّا دَكًّا﴾

सावधान! जब धरती खण्ड-खण्ड कर दी जायेगी।

﴿وَجَاءَ رَبُّكَ وَالْمَلَكُ صَفًّا صَفًّا﴾

और तेरा पालनहार स्वयं पदार्वण करेगा और फ़रिश्ते पंक्तियों में होंगे।

﴿وَجِيءَ يَوْمَئِذٍ بِجَهَنَّمَ ۚ يَوْمَئِذٍ يَتَذَكَّرُ الْإِنْسَانُ وَأَنَّىٰ لَهُ الذِّكْرَىٰ﴾

और उस दिन नरक लायी जायेगी, उस दिन इन्सान सावधान हो जायेगा, किन्तु सावधानी लाभ-दायक न होगी।

﴿يَقُولُ يَا لَيْتَنِي قَدَّمْتُ لِحَيَاتِي﴾

वह कामना करेगा के काश! अपने सदा कि जीवन के लिए कर्म किये होते।

﴿فَيَوْمَئِذٍ لَا يُعَذِّبُ عَذَابَهُ أَحَدٌ﴾

उस दिन (अल्लाह) के दण्ड के समान कोई दण्ड नहीं होगा।

﴿وَلَا يُوثِقُ وَثَاقَهُ أَحَدٌ﴾

और न उसके जैसी जकड़ कोई जकड़ेगा।[1]

﴿يَا أَيَّتُهَا النَّفْسُ الْمُطْمَئِنَّةُ﴾

हे शान्त आत्मा!

﴿ارْجِعِي إِلَىٰ رَبِّكِ رَاضِيَةً مَرْضِيَّةً﴾

अपने पालनहार की ओर चल, तू उससे प्रसन्न, और वह तुझ से प्रसन्न।

﴿فَادْخُلِي فِي عِبَادِي﴾

तू मेरे भक्तों में प्रवेश कर जा।

﴿وَادْخُلِي جَنَّتِي﴾

और मेरे स्वर्ग में प्रवेश कर जा।[1]

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: