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الشاكر

كلمة (شاكر) في اللغة اسم فاعل من الشُّكر، وهو الثناء، ويأتي...

الخبير

كلمةُ (الخبير) في اللغةِ صفة مشبَّهة، مشتقة من الفعل (خبَرَ)،...

القدوس

كلمة (قُدُّوس) في اللغة صيغة مبالغة من القداسة، ومعناها في...

कोरोना रोग एवं उपचार

الهندية - हिन्दी

المؤلف ماجد بن سليمان الرسي ، صالح بن عبد الله بن حميد
القسم خطب الجمعة
النوع صورة
اللغة الهندية - हिन्दी
المفردات
موضوع الخطبة: كورونا-الداء والدواءالخطيب: فضيلة الشيخ ماجد بن سليمان الرسي/ حفظه اللهلغة الترجمة: الهنديةالمترجم: فيض الرحمن التيميउपदेश का शीर्षक:कोरोना- रोग एवं उपचारप्रथम उपदेश:إن الحمد لله، نحمده ونستعينه ونستغفره، ونعوذ بالله من شرور أنفسنا، ومن سيئات أعمالنا من يهده الله فلا مضل له، ومن يضلل فلا هادي له، وأشهد أن لا إله إلا الله وحده لا شريك له، وأشهد أن محمدًا عبده ورسوله. प्रशंसाओं के पश्चात:सर्वश्रेष्ठ बात अल्लाह की बात है एवं सर्वोत्तम मार्ग मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का मार्ग है। दुष्टतम चीज़ धर्म में अविष्कारित बिदअ़त (नवाचार) हैं और प्रत्येक बिदअ़त (नवोन्मेष) गुमराही है और हर गुमराही नरक में ले जाने वाली है।(يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُواْ اتَّقُواْ اللّهَ حَقَّ تُقَاتِهِ وَلاَ تَمُوتُنَّ إِلاَّ وَأَنتُم مُّسْلِمُونَ )(يَا أَيُّهَا النَّاسُ اتَّقُواْ رَبَّكُمُ الَّذِي خَلَقَكُم مِّن نَّفْسٍ وَاحِدَةٍ وَخَلَقَ مِنْهَا زَوْجَهَا وَبَثَّ مِنْهُمَا رِجَالًا كَثِيرًا وَنِسَاء وَاتَّقُواْ اللّهَ الَّذِي تَسَاءلُونَ بِهِ وَالأَرْحَامَ إِنَّ اللّهَ كَانَ عَلَيْكُمْ رَقِيبًا )( يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ وَقُولُوا قَوْلًا سَدِيدًا يُصْلِحْ لَكُمْ أَعْمَالَكُمْ وَيَغْفِرْ لَكُمْ ذُنُوبَكُمْ وَمَن يُطِعْ اللَّهَ وَرَسُولَهُ فَقَدْ فَازَ فَوْزًا عَظِيمًا)
  • , eqlyekuks vYykg dk rd+ok viukvks vkSj mLls Mjrs jgksAmldh vkKk dkjh djks vkSj mlds voKk ls cpks vkSj tkuyks fd vYykg vius nklksa ij tks Hkh vPNkbZ o cwjkbZ][kq”kgkyh o raxgkyh djrk gS]og izke”kZ ij vk/kkfjr gksrk gS]mu izke”kksZa esa ls ;g Hkh gS fd vkKk djus vkSj vokKk ls cpus esa og fdruk /kS;Z ls dke ysrs gSa]mudh vkt+ekbZ”k],oa vYykg rvk+yk mu ij tku o eky ,oa Qy vkSj [kk| dh deh ns dj ds muds /kS;Z dks vkt+ekrk gS]vYykg dk dFku gS%
  • (وَنَبْلُوكُمْ بِالشَّرِّ وَالْخَيْرِ فِتْنَةً وَإِلَيْنَا تُرْجَعُونَ)vFkkZr% ge rqe esa ls izR;sd dks cqjkb o HkykbZ nsdj vkt+ekrs gSa vkSj rqe lc gekjs gh vksj ykSV ds vkvksxsAअर्थात: हम धनी एवं गरीबी, प्रतिष्ठा अपमानिता, जीव एवं मृत्यु, स्वास्थ्य एवं रोग और महामारी शांति के माध्यम से तुम्हारी परीक्षा लेते हैं, ताकि हमें यह ज्ञात हो सके कि तुम में से कौन शुभ कार्य करता है और कौन पापों में लत-पत रहता है एवं इस भाग्य से अल्लाह का क्या उद्देश है उससे लापरवाह रहता है. मोमिनो! यह आवरण नहीं कि वर्तमान काल में अल्लाह तआला ने संपूर्ण मनुष्यों पर जो महामारीयां अवतरित की हैं उनमें से एक महान रोग "करोना" की महामारी है. यह ऐसी महामारी है जिसके कारण लोगों के जीवन की दिनचर्या नष्ट हो गई उनकी मृत्यु हुई, मनुष्य के धन एवं जीवन को घाटा हुआ. इसलिए बुद्धिमान मुसलमानों को चाहिए कि वे.इससे कुछ सीख एवं पाठ प्राप्त करें क्योंकि यह महामारी ऐसे ही बिना किसी कारण के अवतरित नहीं हुई है अल्लाह इससे मुक्ति है. बल्कि अल्लाह ने महान बुद्धिमत्ता के कारण इसे अवतरित किया जिसे अल्लाह ने क़ुरआन में अनेक स्थानों पर वर्णन किया है, और वह यह है कि लोग पापों एवं अवज्ञाओं में समा चुके हैं, इस कारणवश अल्लाह ने उन्हें संसार में ही उदाहरण स्वरूप उनके कार्यों का बदला दिखा दिया ताकि वे उन कार्यों को छोड़ दें जिनके कारण उनके जीवन में उथल-पुथल हो रही है ताकि उनकी स्थिति अच्छी हो जाए और वे सीधे मार्ग पर जाएं. अल्लाह का कथन है:(ظَهَرَ الْفَسَادُ فِي الْبَرِّ وَالْبَحْرِ بِمَا كَسَبَتْ أَيْدِي النَّاسِ لِيُذِيقَهُمْ بَعْضَ الَّذِي عَمِلُوا لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ)अर्थात: " धरती एवं समुद्र में मनुष्य की एक रण आत्मक कार्यो के कारण भ्रष्टाचार फैल गया है इसलिए कि अल्लाह ताला उन्हें उनके दुष्ट कर्मों का फल चखा दे, हो सकता है वह सुधर जाएं."(وَمَا أَصَابَكُمْ مِنْ مُصِيبَةٍ فَبِمَا كَسَبَتْ أَيْدِيكُمْ وَيَعْفُو عَنْ كَثِيرٍ)अर्थात: तुम्हें जो कुछ कठिनाइयां पहुंचती हैं वह तुम्हारे अपने ही कर्मों का फल है एवं वह तो बहुत सारी बातों को क्षमा कर देता है.ज्ञात हुआ कि इस सामान्य महामारी का कारण यही अभद्रता एवं अवज्ञा है, जबकि अवज्ञाकारी मनुष्य बिना किसी भय के इन दृश्यों को प्रदर्शन कर रहा है, पत्रकारिता भ्रष्ट है, उसकी है इसके अंदर नाच-गाने, बुराई, दीन एवं दीन के आज्ञाकार्यों का मज़ाक़ उड़ाना सामान्य बात हो चुकी है. यहां तक कि रमाज़ान में भी इससे बचा नहीं जाता है, ब्याजी व्यापार एक सामान्य बात हो चुकी है जिसे बुराई भ्रष्ट तक नहीं समझा जाता है. व्यापारीक स्थानो एवं बाजारों में नग्नता, नंगापन पुरुषों एवं महिलाओं का मिलाप अपनी चोटी पर है. महिलाएं आवरण के प्रति लापरवाही कर रही हैं उत्तेजक नक़ाबों की तो चर्चा ही करें, जो चमकीली एवं अनंत तंग होते हैं. नमाज़ के समय में सोए रहना, मस्जिदों से दूरी अपनाना नमाज़ों के समय में क्रिय-विक्रय करने में मगन रहना ऐसे कार्य हैं जिन पर जितनी भी निंदा की जाए कम है. तो क्या इन पापों के पश्चात भी हम हमारी का अवतरित होना कोई चौंका देने वाली बात है?? अल्लाह के दासो! अल्लाह तआला जिन बुद्धिमत्ता ओं के कारण रोगों एवं महामारियों को अवतरित करता है उन में यह भी सम्मिलित है कि दास के हृदय का संबंध अल्लाह से हो जाए. वह याद रखें कि जिस आशीर्वाद एवं धन से लाभ उठा रहे हैं वह अल्लाह तआला का दिया हुआ निर्वाह है जिन्हें अल्लाह तआला किसी भी क्षण में पलट सकता है इस को याद करके दास अल्लाह की आज्ञा का पालन करता है एवं अवज्ञा से दूर रहता है ताकि उसका आशीर्वाद नष्ट ना हो. क्योंकि जब आशीर्वाद पर आभार व्यक्त किया जाता है तो वह सुरक्षित रहते हैं अन्यथा वह नष्ट एवं बर्बाद हो जाते हैं.रोबोट एवं महा मारियो को प्रकट करने में अल्लाह की एक बुद्धिमत्ता यह भी होती है कि इसके माध्यम से लापरवाह एवं अवज्ञाकार तो अनुस्मारक कराई जाती है ताकि वे अपने पालनहार की ओर पलटा अपने बनाने वाले से क्षमा चाहे और यह ज्ञात रखे कि उनका पालनहार जो उनकी देख-रेख कर रहा है, वह पापों के कारण दंडित करता है.अल्लाह का कथन है:(وَبَلَوْنَاهُمْ بِالْحَسَنَاتِ وَالسَّيِّئَاتِ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ)अर्थात: " हम उन्हें समृद्धियों एवं कठिनाइयों के माध्यम से परीक्षा लेते हैं हो सकता है वह दूरी अपना लें."इसके अतिरिक्त अल्लाह तआला का कथन है:(فَلَوْلَا إِذْ جَاءَهُمْ بَأْسُنَا تَضَرَّعُوا)अर्थात: " जब उनको हमारा दंड पहुंचा था तो वे नम्र क्यों नहीं हुए? "इस महामारी के पीछे अल्लाह तआला की एक बुद्धिमत्ता यह भी है कि कुछ अवज्ञाकार दासों के हृदय की कठोरता बेनक़ाब हो गई जो इस महामारी के युग में भी पापों में लत-पत रहे शैतान उनके लिए अवज्ञाओं को सुंदरता के साथ प्रस्तुत करता रहा यहां तक कि वह गुमान करने लगा कि वह पूर्ण का कार्य कर रहा है, एवं संसार के उथल-पुथल एवं कठिनाइयों में गिर जाने में उनके कर्मों का कोई योगदान नहीं है इन अवज्ञाओं एवं लापरवाहीयों के बावजूद अल्लाह तआला परीक्षा लेने के लिए उन्हें कुछ देता है एवं आशीर्वाद के द्वार खोल देता है ताकि वे अकस्मात पकड़ में जाएं. अल्लाह का कथन है:(سَنَسْتَدْرِجُهُمْ مِنْ حَيْثُ لَا يَعْلَمُونَ وَأُمْلِي لَهُمْ إِنَّ كَيْدِي مَتِينٌ)अर्थात: " हम इस प्रकार उन्हें धीरे-धीरे खींहचेंगे कि उन्हें ज्ञात भी नहीं होगा मैं उन्हें ढील दूंगा नि: संदेह मेरा उपाय बहुत शक्तिशाली है."इसके अतिरिक्त अल्लाह का कथन है: (فَلَمَّا نَسُوا مَا ذُكِّرُوا بِهِ فَتَحْنَا عَلَيْهِمْ أَبْوَابَ كُلِّ شَيْءٍ حَتَّى إِذَا فَرِحُوا بِمَا أُوتُوا أَخَذْنَاهُمْ بَغْتَةً فَإِذَا هُمْ مُبْلِسُونَ)अर्थात: " जब उन्होंने इस संदेश को ठुकरा दिया तो हमने उन पर हर प्रकार के द्वार खोल दिए यहां तक कि जब उन चीजों से जो उनको प्रदान की गई थी अधिक प्रसन्न हो गए तो हमने उनको अकस्मात दबोच लिया और वे उस समय निराश होकर रह गए. "(وَلَقَدْ أَخَذْنَاهُمْ بِالْعَذَابِ فَمَا اسْتَكَانُوا لِرَبِّهِمْ وَمَا يَتَضَرَّعُونَ حَتَّى إِذَا فَتَحْنَا عَلَيْهِمْ بَابًا ذَا عَذَابٍ شَدِيدٍ إِذَا هُمْ فِيهِ مُبْلِسُونَ)अर्थात: हमने उन्हें यातना में भी पकड़ लिया फिर भी यह लोग अपने पालनहार के समक्ष झुके और ना ही नम्रता को अपनाया यहां तक कि जब हमने उन पर कठिन यातना का द्वार खोल दिया तो उसी समय तुरंत ही वे निराश हो गए. अर्थात: वे अल्लाह की कृपा से निराश हो गए.
  • रोगों एवं महामारयों के अवतरित करने में अल्लाह की एक बुद्धिमत्ता यह भी है कि उन पर धीरज एवं परिणाम की गणना करने वालों एवं (अल्लाह के भाग्य) पर अपनी सहमति दिखाने एवं घबराहट से दूर रहने वालों के लिए पूण्य संकलन होते हैं. नबी सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम का वर्णन है:
  • " मोमिन की भी अजब परिस्थिति है! उसका पुण्य किसी भी स्थिति में नष्ट नहीं होता, यह उपहार मोमिन के अतिरिक्त किसी को भी प्राप्त नहीं. अगर उसे प्रसन्नता होती है तो वह आभारी होता है इसमें भी पूण्य है एवं जब उसको हानि पहुंचती है तो वह धीरज रखता है इसमें भी पूण्य है 1.(मुस्लिम :२९९)अबू हुरैरा रज़ि अल्लाहू अन्हू से मर्वी है कि रसूल सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फ़रमाया: " मोमिन पुरुष एवं मोमिन महिला का जीवन, संतान, एवं संपत्ति की परीक्षा होती रहती है यहां तक की जब वे मृत्यु के पश्चात अल्लाह से भेंट करते हैं तो उन पर कोई पाप नहीं रहता."( इसे तिर्मीज़ी:२३९९ ने रिवायत किया है, एवं उल्लेख किए हुए शब्द इन्हीं के हैं, तिर्मीज़ी ने कहा है यह हदीस हसन है. इनके अतिरिक्त इस हदीस को अहमद:७८५९ ने भी रिवायत किया है देखें: अल-सिलसिला अल-सहीहा:२२८०)
  • इस महामारी में अल्लाह की एक बुद्धिमत्ता यह भी है कि इस छोटे से महामारी से मनुष्य की दुर्बलता एवं विनम्रता दिख चुकी है, इसलिए यह गिरोह जो प्रगति एवं उन्नति, सभ्यता, प्रौद्योगिकी, अविष्कार एवं नए-नए खोज में एक महान स्थान पर है वह इस छोटी सी महामारी के समक्ष आश्चर्य पूर्वक अपनी दुर्बलता को प्रदर्शित करती है कितने ऐसे देश हैं जिनका दावा है कि (हमसे ज़्यादा शक्तिशाली कौन है?) लेकिन इस महामारी के समक्ष उनकी शक्ति दुर्बलता की ओर जाती दिखाई दी, दूसरों से लापरवाह होकर अपने में ही व्यस्त हो कर रह गए. अल्लाह तआला का सत्य वर्णन है:
  • (وَلَا يَزَالُ الَّذِينَ كَفَرُوا تُصِيبُهُمْ بِمَا صَنَعُوا قَارِعَةٌ أَوْ تَحُلُّ قَرِيبًا مِنْ دَارِهِمْ حَتَّى يَأْتِيَ وَعْدُ اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ لَا يُخْلِفُ الْمِيعَادَ) अर्थात: " कुफ़्फ़ार को उनके कुफ़्र के बदले सदैव कोई कोई कठोर यातना पहुंचती रहेगी या उनके गृहों के निकट प्रकट होती रहेगी जब तक कि अल्लाह का वचन पहुंचे. नि: संदेह अल्लाह अपने वचन के विरुद्ध कोई कार्य नहीं करता."इसके अतिरिक्त अल्लाह का कथन है:(فَكُلًّا أَخَذْنَا بِذَنْبِهِ فَمِنْهُمْ مَنْ أَرْسَلْنَا عَلَيْهِ حَاصِبًا وَمِنْهُمْ مَنْ أَخَذَتْهُ الصَّيْحَةُ وَمِنْهُمْ مَنْ خَسَفْنَا بِهِ الْأَرْضَ وَمِنْهُمْ مَنْ أَغْرَقْنَا وَمَا كَانَ اللَّهُ لِيَظْلِمَهُمْ وَلَكِنْ كَانُوا أَنْفُسَهُمْ يَظْلِمُونَ)अर्थात: " फिर तो प्रत्येक को हमने उसके पाप की कठिनाई में दबोच लिया. उनमें से कुछ पर हमने पत्थरों की वर्षा की, उनमें से कुछ को शक्तिशाली कठोर ध्वनि ने पकड़ लिया, उनमें से कुछ को हमने धरती के भीतर धंसा दिया, एवं उनमें से कुछ को हमने डुबो दिया. अल्लाह तआला ऐसा नहीं कि उन पर अत्याचार करे बल्कि यही लोग अपनी प्राणों पर अत्याचार करते हैं."अधिक फ़रमाया:(وَكَمْ أَهْلَكْنَا مِنْ قَرْيَةٍ بَطِرَتْ مَعِيشَتَهَا)अर्थात: " हमने बहुत सारी वह बस्तियां नष्ट कर दी जो अपने विलासिता में इतराने लगी थी."
  • मुसलमानो! आश्चर्यजनक बात यह है कि कुछ मनुष्य उम्मत को पहुंचने वाली इस महामारी को को केवल भौतिक कारण की ओर फेरते हैं, जैसे बायोटिक्स लेने या इस महामारी को उसके उत्पन्न होने के स्थान में घेरे रखने में आलस्यात्मिक का परिचय देना. और इस प्रकार के कारण वे मनुष्य दोहराते रहते हैं जो भाग्य पर विश्वास नहीं रखते हैं. इसमें कोई संदेह नहीं कि यह एक अधूरी भौतिकवादी सिद्धांत है और ज्ञान एवं विश्वास की कमी को दर्शाता
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