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كلمة (غَنِيّ) في اللغة صفة مشبهة على وزن (فعيل) من الفعل (غَنِيَ...

الجميل

كلمة (الجميل) في اللغة صفة على وزن (فعيل) من الجمال وهو الحُسن،...

سورة يوسف - الآية 76 : الترجمة الهندية

تفسير الآية

﴿فَبَدَأَ بِأَوْعِيَتِهِمْ قَبْلَ وِعَاءِ أَخِيهِ ثُمَّ اسْتَخْرَجَهَا مِنْ وِعَاءِ أَخِيهِ ۚ كَذَٰلِكَ كِدْنَا لِيُوسُفَ ۖ مَا كَانَ لِيَأْخُذَ أَخَاهُ فِي دِينِ الْمَلِكِ إِلَّا أَنْ يَشَاءَ اللَّهُ ۚ نَرْفَعُ دَرَجَاتٍ مَنْ نَشَاءُ ۗ وَفَوْقَ كُلِّ ذِي عِلْمٍ عَلِيمٌ﴾

التفسير

फिर उसने खोज का आरंभ उस (यूसुफ़) के भाई की बोरी से पहले, उनकी बोरियों से किया। फिर उसे उस (बिनयामीन) की बोरी से निकाल लिया। इस प्रकार, हमने यूसुफ़ के लिए उपाय किया। वह राजा के नियमानुसार अपने भाई को नहीं रख सकता था, परन्तु ये कि अल्लाह चाहता। हम जिसका चाहें मान सम्मान ऊँचा कर देते हैं और प्रत्येक ज्ञानी से ऊपर एक बड़ा ज्ञानी[1] है।

المصدر

الترجمة الهندية