उम्मुल-मोमिनीन (अर्थात् विश्वासियों की माँ) सैयिदा ज़ैनब बिन्त खुज़ैमा अल-हारिस रज़ियल्लाहु अन्हा को गरीबों और मिस्कीनों के साथ हमदर्दी व मेहरबानी करने के कारण “उम्मुल-मसाकीन” (अर्थात ग़रीबों की माँ) के नाम से याद किया जाता था, बद्र की लड़ाई में उनके पति के शहीद होने के बाद पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनसे शादी की, उसके आठ महीने के बाद ही उनका निधन होगया, पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनका जनाज़ा पढ़ा बक़ीअ नामी क़ब्रिस्तान में दफन की गईं, और वह उसमे दफन होनेवाली सर्व प्रथम उम्मुल मोमिनीन थीं।