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الحسيب

 (الحَسِيب) اسمٌ من أسماء الله الحسنى، يدل على أن اللهَ يكفي...

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كلمة (الأعلى) اسمُ تفضيل من العُلُوِّ، وهو الارتفاع، وهو اسمٌ من...

الخالق

كلمة (خالق) في اللغة هي اسمُ فاعلٍ من (الخَلْقِ)، وهو يَرجِع إلى...

धरती में फसाद व्याप्त करने की मनाही

الهندية - हिन्दी

المؤلف माजिद बिन सुलैमान अर्रस्सी ، ماجد بن سليمان الرسي ، صالح بن عبد الله بن حميد
القسم خطب الجمعة
النوع صورة
اللغة الهندية - हिन्दी
المفردات الرقائق والمواعظ - أعمال مباحة ومحرمة
موضوع الخطبة: النهي عن الفساد في الأرضالخطيب : فضيلة الشيخ ماجد بن سليمان الرسي/حفظه اللهلغة الترجمة: الهنديةالمترجم: حبيب الله التيمي (@Ghiras_4T)البريد الإلكتروني: Ghiras4Translation@gmail.comउपदेश का विषय: धरती में फसाद व्याप्त करने की मनाही प्रथम उपदेश :إن الحمد لله نحمده ، ونستعينه، ونعوذ بالله من شرور أنفسنا ومن سيئات أعمالنا، من يهده الله فلا مضل له، ومن يضلل فلا هادي له، وأشهد أن لا إله إلا الله وحده لا شريك له، وأشهد أن محمدا عبده ورسوله.(يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ حَقَّ تُقَاتِهِ وَلَا تَمُوتُنَّ إِلَّا وَأَنْتُمْ مُسْلِمُونَ)(يَا أَيُّهَا النَّاسُ اتَّقُوا رَبَّكُمُ الَّذِي خَلَقَكُمْ مِنْ نَفْسٍ وَاحِدَةٍ وَخَلَقَ مِنْهَا زَوْجَهَا وَبَثَّ مِنْهُمَا رِجَالًا كَثِيرًا وَنِسَاءً وَاتَّقُوا اللَّهَ الَّذِي تَسَاءَلُونَ بِهِ وَالْأَرْحَامَ إِنَّ اللَّهَ كَانَ عَلَيْكُمْ رَقِيبًا)(يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ وَقُولُوا قَوْلًا سَدِيدًا يُصْلِحْ لَكُمْ أَعْمَالَكُمْ وَيَغْفِرْ لَكُمْ ذُنُوبَكُمْ وَمَنْ يُطِعِ اللَّهَ وَرَسُولَهُ فَقَدْ فَازَ فَوْزًا عَظِيمًا)प्रशंसा तथा कृतज्ञता के पश्चात्, सबसे उत्तम शब्द अल्लाह के शब्द हैं और सबसे बड़ा मार्गदर्शन अल्लाह के रसूल का मार्गदर्शन है, सबसे बुरी बात धर्म में नई बात पैदा करनी है और हर नईं बात बिदअत है और हर बिदअत गुमराही है और हर गुमराही आग में ले जाने वाली है ।हे मुसलमानो! अल्लाह तआला से डरो, और उस का भय हमेशा अपने हृदय में जीवित रखो, उसके आदेशों का पालन करो, और उस के उल्लंघन से बचो, और जान लो कि अल्लाह तआला ने सुधार का आदेश दिया है, और उपद्रव मचाने से मना किया है। शुऐब अलैहिस्सलाम ने अपनी क़ौम से कहा:" मेरी इच्छा तो यथासंभव सुधार- कार्य करना है, और यह जो कुछ करना चाहता हूँ वह अल्लाह के योगदान पर निर्भर है, मैं उसी पर आश्रित हूँ और उसी की ओर ध्यानमग्न रहता हूँ "और अल्लाह तआला ने सुधारकों को महान उपहार प्रदान करने का वादा किया है। अतः अल्लाह तआला का फरमान है:" और जो लोग पुस्तक को दृढ़ता के साथ पकड़ते हैं, और नमाज़ की स्थापना करते हैं, तो वास्तव में हम सत्कर्मियों का प्रतिफल अकारत नहीं करते" और इसी प्रकार अल्लाह ने उन बस्तियों को नष्ट करने की प्रतिज्ञा ली है जिस के वासी समाज सुधारक हैं तथा अल्लाह के नियमों का पालन करने वाले हैं। अल्लाह तआला का यह शुभ कथन है:" और आप का रब ऐसा नहीं है कि बस्तियों को अत्याचार से ध्वस्त कर दे, जबकि उनके वासी सुधारक हों "।हे मुसलमानो!सुधार का विलोम फसाद तथा उपद्रव है,और अल्लाह तआला फसाद तथा फसदियों से अति घृणा करता है। अल्लाह तआला का फरमान है:" और अल्लाह तआला फसदियों को पसंद नहीं करता है " और अल्लाह तआला ने उपद्रव करने से मना किया है। अतः कहता है :" धरती में उपद्रव मत करो " और फसदियों को धमकी भी दी है।अतः कहता है:" देखो! उन फसदियों का क्या परिणाम हुआ "।और अल्लाह तआला ने बहुत सारी फसादी क़ौमों को कष्ट दे कर नष्ट कर डाला, अतः फिरऔन के विषय में अल्लाह ने फरमाया है:" वास्तव में फिरऔन ने धरती में उपद्रव किया और उसके निवासियों को कई समूहों में विभाजित करदिया। उनमें से एक गिरोह को निर्बल बना रहा था, उनके पुत्रों का वध करता था, और उनकी स्त्रियों को जीवित छोड़ देता था। निश्चय ही वह उपद्रवियों में से था "।अल्लाह सर्वशक्तिमान ने पाखंडियों(मुनाफिक़ों) की विशेषता फसदियों के साथ वयक्त की है ,और कहा है कि वह फसाद को सुधार का नाम देते थे। अतः अल्लाह तआला ने कहा:" और जब उनसे कहा जाता है कि धरती में उपद्रव करो, तो कहते हैं कि हम तो केवल सुधार करने वाले हैं। सावधान! वही लोग उपद्रवी हैं, परन्तु उनहें इसका ज्ञान नहीं है " और अल्लाह तआला ने फसदियों तथा सुधारकों के मध्य अंतर किया है जिस को व्यक्त करते हुए कहता है :" क्या हम उन लोगों को जो ईमान लाए तथा सदाचार किये उन लोगों के समान कर देंगे जो धरती में उपद्रव करने वाले हैं?अथवा हम आज्ञाकारियों को उल्लंघनकारियों के समान कर देंगे?हे मुसलमानो! आस्था, भक्ति, चरित्र और संबंधों में भी बिगाड़ पैदा होते हैं, आस्था में बिगाड़ पैदा होने का एक रूप यह भी है कि अल्लाह के अतिरिक्त किसी अन्य से संबंध स्थापित किया जाय, उस की शपथ ली जाए, और अल्लाह की शरीअत को छोड़ कर किसी अन्य के नियमों को निर्णायक माना जाये। इबादत में बिगाड़ की शक्ल यह है कि फज्र की नमाज़ जान बूझ कर सूर्योदय के पश्चात् पढ़ी जाये, और बिदअत तथा धर्म में नये आविष्कार के साथ अल्लाह की निकटता प्राप्त करने की चेष्टा की जाए, जैसे जन्मदिन इत्यादि। और आचरण में बिगाड़ की शक्ल यह है कि खूब मेकअप किया जाये, और कारोबार के मैदान में नर नारी का आपसी मिश्रण हो, और ज़बान की कष्टों से पीड़ित होया जाये ,और संगीत और गाना सुना जाए। नबी स॰ का फरमान है:" निश्चय मेरी उम्मत में कुछ ऐसे लोग जन्म लेंगे जो व्यभिचार करने , रेशम के वस्त्र धारण करने, शराब पीने और संगीत सुनने को उचित समझेंगे "﴿ इस हदीस को इमाम बुख़ारी रह॰ ने अबु मालिक अशअरी से वर्णित किया है, हदीस संख्या; ५५९०आपसी व्यवहार तथा व्यवसाय में फसाद का रूप यह है कि सुद के साथ व्यापार किया जाये, अल्लाह तआला का फरमान है:"हे ईमान वालो! कई-कई गुणा कर के व्याज खाओ। तथा अल्लाह से डरो, ताकि सफ़ल हो जाओ " और सुदखुर पर अभिशाप भेजते हुए अल्लाह के रसूल ने फरमाया:" अल्लाह ने सुद खाने वाले, उस को जमा करने वाले, उसको लिखने वाले तथा उस पर गवाही देने वाले पर लानत फरमाई है, और आगे कहा: वह सब एक समान हैं, अर्थात अभिशाप में। कयोंकि वह पारस्परिक सहयोग करते हैं, और जमा करने वाला वह वास्तव में देने वाला है। और मआमलात में फसाद का एक रूप जो अधिक प्रचलित भी है वह यह है कि व्यवसाय में घूसखोरी की जाये, और उसका व्यवहारिक रूप यह है कि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को इस उद्देश्य से कुछ माल दे ताकि वह ऐसी चीज़ प्राप्त कर ले जिस पर उसका अधिकार नहीं है,या अपने ऊपर से वह चीज़ ( सज़ा इत्यादि) समाप्त करवा ले जो उस पर अनिवार्य है।हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ से वर्णित है, कहते हैं:" अल्लाह के रसूल ने रिश्वत लेने वाले और देने वाले दोनों पर लानत फरमाई है "﴿ इस हदीस को इमाम अहमद वग़ैरह ने रिवायत की है और इमाम अहमद के मुस्नद पर शोध करने वाले लोगों ने उसे क़वी बताया है:२९४२घूसखोरी को विश्वासघात का भी नाम दिया गया है, अब्दुल्लाह बिन बुरैदह अपने पिता से तथा उनके पिता नबी स॰ से वर्णन करते हैं कि आप स॰ ने फरमाया:" जिसे हम किसी कार्य पर नियुक्त करें, तथा उस पर भत्ता भी दें, तो वह उस में से जो कुछ भी अतिरिक्त लेगा वह भ्रष्टाचार होगा " ﴿अबु दाऊद शरीफ़: २९४३, अल्लामा अल्बानी ने इस हदीस का सत्यापन किया हैइस हदीस का अर्थ यह है कि जिसे हम किसी कार्य पर नियुक्त करें और उस दायित्व के निर्वहन पर उसे वेतन भी दें, तो उसके लिए उस वेतन के अतिरिक्त कुछ और लेना उचित नहीं है। फिर भी यदि वह लेता है तो वह विश्वासघात है, और विश्वासघात वास्तव में मुसलमानों के कोषागार तथा उनके माल में ख़यानत है। अतः इस हदीस में यह तर्क विद्यमान है कि किसी भी व्यक्ति के लिए जो सरकारी अथवा प्राइवेट सेक्टर में सेवारत हो उचित नहीं है कि अपनी नौकरी के कारण किसी से कोई माल अथवा उपहार स्वीकार करे, यदि उसने ऐसा किया तो उसकी गणना विश्वासघाती लोगों में होगी। और इस बात की ओर संकेत करना भी आवश्यक है कि घुस का नाम परिवर्तित कर देने से उसकी वास्तविकता में कोई परिवर्तन नहीं होगा।अतः जिस ने भी घुस लिया और उसे उपहार अथवा सम्मान का नाम दिया ,तो वह वास्तव में घूसखोर होगा, क्योंकि ऐतबार तो वास्तविकता ही का होगा कि संज्ञाओं तथा नामों का। अल्लाह तआला मुझे तथा आप लोगों को क़ुरआन में बरकत दे, और क़ुरआन में उपस्थित आयतों तथा उत्तम संदेशों से मुझे तथा आप लोगों को लाभ प्रदान करे। मैं अपनी यह बात कहता हूँ तथा अपने एवं आप लोगों के लिए अल्लाह तआला से क्षमा की प्रार्थना करता हूँ, अतः आप लोग भी उस से क्षमा की प्रार्थना करें, निश्चित रूप से वह तौबा करने वालों को क्षमा प्रदान करने वाला है।द्वितीय उपदेश समस्त प्रशंसा अल्लाह के लिए है, और वह पर्याप्त है,और सलाम हो उस के उन भक्तों पर जिनको उसने चयनित कर लिया,अल्लाह की प्रशंसा के पश्चात्, :अल्लाह के रसूल ने बनी सुलैम में से किसी आदमी को जिसे लुत्बीया कहा जाता था ज़कात एकत्रित करने के लिए नियुक्त किया, जब वह अपने कार्य से फारिग़ हुआ तो नबी स॰ की सेवा में उपस्थित हुआ और बोला:" हे अल्लाह के रसूल! यह आप के लिए है, और यह मुझे उपहार स्वरुप दिया गया है, अल्लाह के रसूल ने कहा: तुम अपने माता-पिता के घर में क्युं बैठे रहे, फिर देखते कि तुम्हें उपहार दिया जा रहा है अथवा नहीं? फिर आप स॰ इशा की नमाज़ के पश्चात् खड़े हुए, शहादत का कलिमा पढ़ा, अल्लाह के व्यक्तित्व के अनुसार उसकी प्रशंसा की, तत्पश्चात कहा: अम्मा बा'अद, ऐसे श्रमिकों को क्या हो गया है कि हम उन्हें किसी कार्य पर नियुक्त करते हैं और वह आकर हम से कहते हैं : यह आप के कार्य से प्राप्त हुआ है और यह मुझे उपहार स्वरुप दिया गया है, वह अपने माता-पिता के घर में क्युं बैठे रहे कि देखते उन्हें उपहार दिया जा रहा है अथवा नहीं? उस व्यक्तित्व की सौगंध जिस के आधिपत्य में मुहम्मद की आत्मा है, यदि तुम में से कोई भी उस माल में ख़यानत करेगा वह उसे क़यामत के दिन अपनी गर्दन पर लाद कर लायेगा, यदि उसने ऊंट में ख़यानत की होगी, तो उस को इस स्थिति में लायेगा कि उस से आवाज़ निकल रही होगी।और यदि गाय में ख़यानत की होगी तो उसे इस स्थिति में लायेगा कि उस से आवाज़ निकल रही होगी,और अगर बकरी में ख़यानत की होगी तो उसे इस स्थिति में लायेगा कि उस से आवाज़ निकल रही होगी, बस मैंने अपना संदेश तुम तक पहुंचा दिया। अबु हुमैद रज़॰ कहते हैं: फिर अल्लाह के रसूल ने अपना हाथ इतना उठाया कि हमें आप के बग़ल की सफेदी दिखाई देने लगी " ﴿ बुख़ारी शरीफ़; ६६३६अच्छा तो आप लोग संसार के श्रेष्ठ व्यक्तित्व तथा मनुष्य में अति पवित्र हस्ती मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह पर दरुद

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धरती में फसाद व्याप्त करने की मनाही
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