البحث

عبارات مقترحة:

العزيز

كلمة (عزيز) في اللغة صيغة مبالغة على وزن (فعيل) وهو من العزّة،...

الرحيم

كلمة (الرحيم) في اللغة صيغة مبالغة من الرحمة على وزن (فعيل) وهي...

الشهيد

كلمة (شهيد) في اللغة صفة على وزن فعيل، وهى بمعنى (فاعل) أي: شاهد،...

سورة الأعراف - الآية 169 : الترجمة الهندية

تفسير الآية

﴿فَخَلَفَ مِنْ بَعْدِهِمْ خَلْفٌ وَرِثُوا الْكِتَابَ يَأْخُذُونَ عَرَضَ هَٰذَا الْأَدْنَىٰ وَيَقُولُونَ سَيُغْفَرُ لَنَا وَإِنْ يَأْتِهِمْ عَرَضٌ مِثْلُهُ يَأْخُذُوهُ ۚ أَلَمْ يُؤْخَذْ عَلَيْهِمْ مِيثَاقُ الْكِتَابِ أَنْ لَا يَقُولُوا عَلَى اللَّهِ إِلَّا الْحَقَّ وَدَرَسُوا مَا فِيهِ ۗ وَالدَّارُ الْآخِرَةُ خَيْرٌ لِلَّذِينَ يَتَّقُونَ ۗ أَفَلَا تَعْقِلُونَ﴾

التفسير

फिर उनके पीछे कुछ ऐसे लोगों ने उनकी जगह ली, जो पुस्तक के उत्तराधिकारी होकर भी तुच्छ संसार का लाभ समेटने लगे और कहने लगे कि हमें क्षमा कर दिया जायेगा और यदि उसी के समान उन्हें लाभ हाथ आ जाये, तो उसे भी ले लेंगे। क्या उनसे पुस्तक का दृढ़ वचन नहीं लिया गया है कि अल्लाह पर सच ही बोलेंगे, जबकि पुस्तक में जो कुछ है, उसका अध्ययन कर चुके हैं? और परलोक का घर (स्वर्ग) उत्तम है, उनके लिए जो अल्लाह से डरते हों। तो क्या वे इतना भी नहीं[1] समझते?

المصدر

الترجمة الهندية