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वे मस्जिद में नमाज़ छोड़कर सभागार में पढ़ना चाहते हैं ताकि ग़ैर मुसलमान लोग उस से प्रभावित हों !

الهندية - हिन्दी

المؤلف
القسم مقالات
النوع نصي
اللغة الهندية - हिन्दी
المفردات الصلاة - الجماعة - الآداب - آداب المسجد
मैं जिस विश्वविद्यालय में पढ़ता हूँ उसमें हम प्रति वर्ष एक निमंत्रण संबंधी सप्ताह संगठित करते हैं, जहाँ हम विश्वविद्यालय में गैर मुसलमानों को विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल करके आमंत्रित करते हैं। इस वर्ष प्रबंधकों ने एक न्या विचार पेश किया है और उन्हों ने यह प्रस्ताव रखा है कि हम एक नमाज़ मस्जिद के बदले विश्वविद्यालय के एक हॉल में पढ़ें, इसका मक़सद इस्लाम के प्रतीकों का प्रदर्शन है, फिर इसके बाद वे इस्लाम के बारे में अधिक प्रश्न करेंगे, किंतु मैं वास्तव में इस तरीक़े की वैधता से संतुष्ट नहीं हूँ, क्योंकि यदि यह सफल रहा तो आने वाले वर्षों में दोहराया जायेगा। तो इस तरह के काम का क्या हुक्म है ? और क्या अगर यह प्रति वर्ष किया जाये तो बिद्अत की गणना में आयेगा ?

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वे मस्जिद में नमाज़ छोड़कर सभागार में पढ़ना चाहते हैं ताकि ग़ैर मुसलमान लोग उस से प्रभावित हों !
वे मस्जिद में नमाज़ छोड़कर सभागार में पढ़ना चाहते हैं ताकि ग़ैर मुसलमान लोग उस से प्रभावित हों !