مريم

تفسير سورة مريم

الترجمة الهندية

हिन्दी

الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ كهيعص﴾

काफ़, हा, या, ऐन, स़ाद।

﴿ذِكْرُ رَحْمَتِ رَبِّكَ عَبْدَهُ زَكَرِيَّا﴾

ये आपके पालनहार की दया की चर्चा है, अपने भक्त ज़करिय्या पर।

﴿إِذْ نَادَىٰ رَبَّهُ نِدَاءً خَفِيًّا﴾

जबकि उसने अपने पालनहार से विनय की, गुप्त विनय।

﴿قَالَ رَبِّ إِنِّي وَهَنَ الْعَظْمُ مِنِّي وَاشْتَعَلَ الرَّأْسُ شَيْبًا وَلَمْ أَكُنْ بِدُعَائِكَ رَبِّ شَقِيًّا﴾

उसने कहाः मेरे पालनहार! मेरी अस्थियाँ निर्बल हो गयीं, सिर बुढ़ापे से सफेद[1] हो गया है तथा मेरे पालनहार! कभी ऐसा नहीं हुआ कि तुझसे प्रार्थना करके निष्फल हुआ हूँ।

﴿وَإِنِّي خِفْتُ الْمَوَالِيَ مِنْ وَرَائِي وَكَانَتِ امْرَأَتِي عَاقِرًا فَهَبْ لِي مِنْ لَدُنْكَ وَلِيًّا﴾

और मुझे अपने भाई-बंदों से भय[1] है, अपने (मरण) के पश्चात् तथा मेरी पत्नी बाँझ है, अतः मुझे अपनी ओर से एक उत्तराधिकारी प्रदान कर दे।

﴿يَرِثُنِي وَيَرِثُ مِنْ آلِ يَعْقُوبَ ۖ وَاجْعَلْهُ رَبِّ رَضِيًّا﴾

वह मेरा उत्तराधिकारी हो तथा याक़ूब के वंश का उत्तराधिकारी[1] हो और हे मेरे पालनहार! उसे प्रिय बना दे।

﴿يَا زَكَرِيَّا إِنَّا نُبَشِّرُكَ بِغُلَامٍ اسْمُهُ يَحْيَىٰ لَمْ نَجْعَلْ لَهُ مِنْ قَبْلُ سَمِيًّا﴾

हे ज़करिय्या! हम तुझे एक बालक की शुभ सूचना दे रहे हैं, जिसका नाम यह़्या होगा। हमने नहीं बनाया है, इससे पहले उसका कोई समनाम।

﴿قَالَ رَبِّ أَنَّىٰ يَكُونُ لِي غُلَامٌ وَكَانَتِ امْرَأَتِي عَاقِرًا وَقَدْ بَلَغْتُ مِنَ الْكِبَرِ عِتِيًّا﴾

उसने (आश्यर्य से) कहाः मेरे पालनहार! कहाँ से मेरे यहाँ कोई बालक होगा, जबकि मेरी पत्नि बाँझ है और मैं बुढ़ापे की चरम सीमा को जा पहुँचा हूँ।

﴿قَالَ كَذَٰلِكَ قَالَ رَبُّكَ هُوَ عَلَيَّ هَيِّنٌ وَقَدْ خَلَقْتُكَ مِنْ قَبْلُ وَلَمْ تَكُ شَيْئًا﴾

उसने कहाः ऐसा ही होगा, तेरे पालनहार ने कहा हैः ये मेरे लिए सरल है, इससे पहले मैंने तेरी उत्पत्ति की है, जबकि तू कुछ नहीं था।

﴿قَالَ رَبِّ اجْعَلْ لِي آيَةً ۚ قَالَ آيَتُكَ أَلَّا تُكَلِّمَ النَّاسَ ثَلَاثَ لَيَالٍ سَوِيًّا﴾

उस (ज़करिय्या) ने कहाः मेरे पालनहार! मेरे लिए कोई लक्षण (चिन्ह) बना दे। उसने कहाः तेरा लक्षण ये है कि तू बोल नहीं सकेगा, लोगों से निरंतर तीन रातें[1]।

﴿فَخَرَجَ عَلَىٰ قَوْمِهِ مِنَ الْمِحْرَابِ فَأَوْحَىٰ إِلَيْهِمْ أَنْ سَبِّحُوا بُكْرَةً وَعَشِيًّا﴾

फिर वह मेह़राब (चाप) से निकलकर अपनी जाति के पास आया और उन्हें संकेत द्वारा आदेश दिया कि उस (अल्लाह) की पवित्रता का वर्णन करो, प्रातः तथा संध्या।

﴿يَا يَحْيَىٰ خُذِ الْكِتَابَ بِقُوَّةٍ ۖ وَآتَيْنَاهُ الْحُكْمَ صَبِيًّا﴾

हे यह़्या[1]! इस पुस्तक (तौरात) को थाम ले और हमने उसे बचपन ही में ज्ञान (प्रबोध) प्रदान किया।

﴿وَحَنَانًا مِنْ لَدُنَّا وَزَكَاةً ۖ وَكَانَ تَقِيًّا﴾

तथा अपनी ओर से प्रेम भाव तथा पवित्रता (प्रदान की) और वह बड़ा संयमी (सदाचारी) था।

﴿وَبَرًّا بِوَالِدَيْهِ وَلَمْ يَكُنْ جَبَّارًا عَصِيًّا﴾

तथा अपनी माता-पिता के साथ सुशील था। वह क्रुर तथा अवज्ञाकारी नहीं था।

﴿وَسَلَامٌ عَلَيْهِ يَوْمَ وُلِدَ وَيَوْمَ يَمُوتُ وَيَوْمَ يُبْعَثُ حَيًّا﴾

उसपर शान्ति है, जिस दिन उसने जन्म लिया और जिस दिन मरेगा और जिस दिन पुनः जीवित किया जायेगा।

﴿وَاذْكُرْ فِي الْكِتَابِ مَرْيَمَ إِذِ انْتَبَذَتْ مِنْ أَهْلِهَا مَكَانًا شَرْقِيًّا﴾

तथा आप, इस पुस्तक (क़ुर्आन) में मर्यम[1] की चर्चा करें, जब वह अपने परिजनों से अलग होकर एक पूर्वी स्थान की ओर आयीं।

﴿فَاتَّخَذَتْ مِنْ دُونِهِمْ حِجَابًا فَأَرْسَلْنَا إِلَيْهَا رُوحَنَا فَتَمَثَّلَ لَهَا بَشَرًا سَوِيًّا﴾

फिर उनकी ओर से पर्दा कर लिया, तो हमने उसकी ओर अपनी रूह़ (आत्मा)[1] को भेजा, तो उसने उसके लिए एक पूरे मनुष्य का रूप धारण कर लिया।

﴿قَالَتْ إِنِّي أَعُوذُ بِالرَّحْمَٰنِ مِنْكَ إِنْ كُنْتَ تَقِيًّا﴾

उसने कहाः मैं शरण माँगती हूँ अत्यंत कृपाशील की तुझ से, यदि तुझे अल्लाह का कुछ भी भय हो।

﴿قَالَ إِنَّمَا أَنَا رَسُولُ رَبِّكِ لِأَهَبَ لَكِ غُلَامًا زَكِيًّا﴾

उसने कहाः मैं तेरे पालनहार का भेजा हुआ हूँ, ताकि तुझे एक पुनीत बालक प्रदान कर दूँ।

﴿قَالَتْ أَنَّىٰ يَكُونُ لِي غُلَامٌ وَلَمْ يَمْسَسْنِي بَشَرٌ وَلَمْ أَكُ بَغِيًّا﴾

वह बोलीः ये कैसे हो सकता है कि मेरे बालक हों, जबकि किसी पुरुष ने मुझे स्पर्श भी नहीं किया है और न मैं व्यभिचारिणी हूँ?

﴿قَالَ كَذَٰلِكِ قَالَ رَبُّكِ هُوَ عَلَيَّ هَيِّنٌ ۖ وَلِنَجْعَلَهُ آيَةً لِلنَّاسِ وَرَحْمَةً مِنَّا ۚ وَكَانَ أَمْرًا مَقْضِيًّا﴾

फ़रिश्ते ने कहाः ऐसा ही होगा, तेरे पालनहार का वचन है कि वह मेरे लिए अति सरल है और ताकि हम उसे लोगों के लिए एक लक्षण (निशानी)[1] बनायें तथा अपनी विशेष दया से और ये एक निश्चित बात है।

﴿۞ فَحَمَلَتْهُ فَانْتَبَذَتْ بِهِ مَكَانًا قَصِيًّا﴾

फिर वह गर्भवती हो गई तथा उस (गर्भ को लेकर) दूर स्थान पर चली गयी।

﴿فَأَجَاءَهَا الْمَخَاضُ إِلَىٰ جِذْعِ النَّخْلَةِ قَالَتْ يَا لَيْتَنِي مِتُّ قَبْلَ هَٰذَا وَكُنْتُ نَسْيًا مَنْسِيًّا﴾

फिर प्रसव पीड़ा उसे एक खजूर के तने तक लायी, कहने लगीः क्या ही अच्छा होता, मैं इससे पहले ही मर जाती और भूली-बिसरी हो जाती।

﴿فَنَادَاهَا مِنْ تَحْتِهَا أَلَّا تَحْزَنِي قَدْ جَعَلَ رَبُّكِ تَحْتَكِ سَرِيًّا﴾

तो उसके नीचे से पुकारा[1] कि उदासीन न हो, तेरे पालनहार ने तेरे नीचे[2] एक स्रोत बहा दिया है।

﴿وَهُزِّي إِلَيْكِ بِجِذْعِ النَّخْلَةِ تُسَاقِطْ عَلَيْكِ رُطَبًا جَنِيًّا﴾

और हिला दे अपनी ओर खजूर के तने को, तुझपर गिरायेगा वह ताज़ी पकी खजूरें[1]।

﴿فَكُلِي وَاشْرَبِي وَقَرِّي عَيْنًا ۖ فَإِمَّا تَرَيِنَّ مِنَ الْبَشَرِ أَحَدًا فَقُولِي إِنِّي نَذَرْتُ لِلرَّحْمَٰنِ صَوْمًا فَلَنْ أُكَلِّمَ الْيَوْمَ إِنْسِيًّا﴾

अतः, खा, पी तथा आँख ठण्डी कर। फिर यदि किसी पुरुष को देखे, तो कह देः वास्तव में, मैंने मनौती मान रखी है, अत्यंत कृपाशील के लिए व्रत की। अतः, मैं आज किसी मनुष्य से बात नहीं करूँगी।

﴿فَأَتَتْ بِهِ قَوْمَهَا تَحْمِلُهُ ۖ قَالُوا يَا مَرْيَمُ لَقَدْ جِئْتِ شَيْئًا فَرِيًّا﴾

फिर उस (शिशु ईसा) को लेकर अपनी जाति में आयी, सबने कहाः हे मर्यम! तूने बहुत बुरा किया।

﴿يَا أُخْتَ هَارُونَ مَا كَانَ أَبُوكِ امْرَأَ سَوْءٍ وَمَا كَانَتْ أُمُّكِ بَغِيًّا﴾

हे हारून की बहन[1]! तेरा पिता कोई बुरा व्यक्ति न था और न तेरी माँ व्यभिचारिणी थी।

﴿فَأَشَارَتْ إِلَيْهِ ۖ قَالُوا كَيْفَ نُكَلِّمُ مَنْ كَانَ فِي الْمَهْدِ صَبِيًّا﴾

मर्यम ने उस (शिशु) की ओर संकेत किया। लोगों ने कहाः हम कैसे उससे बात करें, जो गोद में पड़ा हुआ एक शिशु है?

﴿قَالَ إِنِّي عَبْدُ اللَّهِ آتَانِيَ الْكِتَابَ وَجَعَلَنِي نَبِيًّا﴾

वह (शिशु) बोल पड़ाः मैं अल्लाह का भक्त हूँ। उसने मुझे पुस्तक (इन्जील) प्रदान की है तथा मुझे नबी बनाया है[1]।

﴿وَجَعَلَنِي مُبَارَكًا أَيْنَ مَا كُنْتُ وَأَوْصَانِي بِالصَّلَاةِ وَالزَّكَاةِ مَا دُمْتُ حَيًّا﴾

तथा मुझे शुभ बनाया है, जहाँ रहूँ और मुझे आदेश दिया है नमाज़ तथा ज़कात का, जब तक जीवित रहूँ।

﴿وَبَرًّا بِوَالِدَتِي وَلَمْ يَجْعَلْنِي جَبَّارًا شَقِيًّا﴾

तथा आपनी माँ का सेवक (बनाया है) और उसने मुझे क्रूर तथा अभागा[1] नहीं बनाया है।

﴿وَالسَّلَامُ عَلَيَّ يَوْمَ وُلِدْتُ وَيَوْمَ أَمُوتُ وَيَوْمَ أُبْعَثُ حَيًّا﴾

तथा शान्ति है मुझपर, जिस दिन मैंने जन्म लिया, जिस दिन मरूँगा और जिस दिन पुनः जीवित किया जाऊँगा।

﴿ذَٰلِكَ عِيسَى ابْنُ مَرْيَمَ ۚ قَوْلَ الْحَقِّ الَّذِي فِيهِ يَمْتَرُونَ﴾

ये है ईसा मर्यम का सुत, यही सत्य बात है, जिसके विषय में लोग संदेह कर रहे हैं।

﴿مَا كَانَ لِلَّهِ أَنْ يَتَّخِذَ مِنْ وَلَدٍ ۖ سُبْحَانَهُ ۚ إِذَا قَضَىٰ أَمْرًا فَإِنَّمَا يَقُولُ لَهُ كُنْ فَيَكُونُ﴾

अल्लाह का ये काम नहीं कि अपने लिए कोई संतान बनाये, वह पवित्र है! जब वह किसी कार्य का निर्णय करता है, तो उसके सिवा कुछ नहीं होता कि उसे आदेश दे किः "हो जा" और वह हो जाता है।

﴿وَإِنَّ اللَّهَ رَبِّي وَرَبُّكُمْ فَاعْبُدُوهُ ۚ هَٰذَا صِرَاطٌ مُسْتَقِيمٌ﴾

और (ईसा ने कहाः) वास्तव में, अल्लाह मेरा पालनहार तथा तुम्हारा पालनहार है, अतः, उसी की इबादत (वंदना) करो, यही सुपथ (सीधी राह) है।

﴿فَاخْتَلَفَ الْأَحْزَابُ مِنْ بَيْنِهِمْ ۖ فَوَيْلٌ لِلَّذِينَ كَفَرُوا مِنْ مَشْهَدِ يَوْمٍ عَظِيمٍ﴾

फिर सम्प्रदायों[1] ने आपस में विभेद किया, तो विनाश है उनके लिए, जो काफ़िर हो गये, एक बड़े दिन के आ जाने के कारण।

﴿أَسْمِعْ بِهِمْ وَأَبْصِرْ يَوْمَ يَأْتُونَنَا ۖ لَٰكِنِ الظَّالِمُونَ الْيَوْمَ فِي ضَلَالٍ مُبِينٍ﴾

वे भली-भाँति सुनेंगे और देखेंगे, जिस दिन हमारे पास आयेंगे, परन्तु अत्याचारी आज खुले कुपथ में हैं।

﴿وَأَنْذِرْهُمْ يَوْمَ الْحَسْرَةِ إِذْ قُضِيَ الْأَمْرُ وَهُمْ فِي غَفْلَةٍ وَهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ﴾

और (हे नबी!) आप उन्हें संताप के दिन से सावधान कर दें, जब निर्णय[1] कर दिया जायेगा, जबकि वे अचेत हैं तथा ईमान नहीं ला रहे हैं।

﴿إِنَّا نَحْنُ نَرِثُ الْأَرْضَ وَمَنْ عَلَيْهَا وَإِلَيْنَا يُرْجَعُونَ﴾

निश्चय हम ही उत्तराधिकारी होंगे धरती के तथा जो उसके ऊपर है और हमारी ही ओर सब प्रत्यागत किये जायेंगे।

﴿وَاذْكُرْ فِي الْكِتَابِ إِبْرَاهِيمَ ۚ إِنَّهُ كَانَ صِدِّيقًا نَبِيًّا﴾

तथा आप चर्चा कर दें इस पुस्तक (क़ुर्आन) में इब्राहीम की। वास्तव में, वह एक सत्यवादी नबी था।

﴿إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ يَا أَبَتِ لِمَ تَعْبُدُ مَا لَا يَسْمَعُ وَلَا يُبْصِرُ وَلَا يُغْنِي عَنْكَ شَيْئًا﴾

जब उसने कहा अपने पिता सेः हे मेरे प्रिय पिता! क्यों आप उसे पूजते हैं, जो न सुनता है, न देखता है और न आपके कुछ काम आता?

﴿يَا أَبَتِ إِنِّي قَدْ جَاءَنِي مِنَ الْعِلْمِ مَا لَمْ يَأْتِكَ فَاتَّبِعْنِي أَهْدِكَ صِرَاطًا سَوِيًّا﴾

हे मेरे पिता! मेरे पास वह ज्ञान आ गया है, जो आपके पास नहीं आया, अतः आप मेरा अनुसरण करें, मैं आपको सीधी राह दिखा दूँगा।

﴿يَا أَبَتِ لَا تَعْبُدِ الشَّيْطَانَ ۖ إِنَّ الشَّيْطَانَ كَانَ لِلرَّحْمَٰنِ عَصِيًّا﴾

हे मेरे प्रिय पिता! शैतान की पूजा न करें, वास्तव में, शैतान अत्यंत कृपाशील (अल्लाह) का अवज्ञाकारी है।

﴿يَا أَبَتِ إِنِّي أَخَافُ أَنْ يَمَسَّكَ عَذَابٌ مِنَ الرَّحْمَٰنِ فَتَكُونَ لِلشَّيْطَانِ وَلِيًّا﴾

हे मेरे पिता! वास्तव में, मुझे भय हो रहा है कि आपको अत्यंत कृपाशील की कोई यातना आ लगे, तो आप शैतान के मित्र हो जायेंगे[1]।

﴿قَالَ أَرَاغِبٌ أَنْتَ عَنْ آلِهَتِي يَا إِبْرَاهِيمُ ۖ لَئِنْ لَمْ تَنْتَهِ لَأَرْجُمَنَّكَ ۖ وَاهْجُرْنِي مَلِيًّا﴾

उसने कहाः क्या तू हमारे पूज्यों से विमुख हो रहा है? हे इब्राहीम! यदि तू (इससे) नहीं रुका, तो मैं तुझे पत्थरों से मार दूँगा और तू मुझसे विलग हो जा, सदा के लिए।

﴿قَالَ سَلَامٌ عَلَيْكَ ۖ سَأَسْتَغْفِرُ لَكَ رَبِّي ۖ إِنَّهُ كَانَ بِي حَفِيًّا﴾

(इब्राहीम) ने कहाः सलाम[1] है आपको! मैं क्षमा की प्रार्थना करता रहूँगा आपके लिए अपने पालनहार से, मेरा पालनहार मेरे प्रति बड़ा करुणामय है।

﴿وَأَعْتَزِلُكُمْ وَمَا تَدْعُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ وَأَدْعُو رَبِّي عَسَىٰ أَلَّا أَكُونَ بِدُعَاءِ رَبِّي شَقِيًّا﴾

तथा मैं तुम सभीको छोड़ता हूँ और जिसे तुम पुकारते हो अल्लाह के सिवा और प्रार्थना करता रहूँगा अपने पालनहार से। मुझे विश्वास है कि मैं अपने पालनहार से प्रार्थना करके असफल नहीं हूँगा।

﴿فَلَمَّا اعْتَزَلَهُمْ وَمَا يَعْبُدُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ وَهَبْنَا لَهُ إِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ ۖ وَكُلًّا جَعَلْنَا نَبِيًّا﴾

फिर जब उन्हें छोड़ दिया तथा जिन्हें वे अल्लाह के सिवा पुकार रहे थे, तो हमने उसे प्रदान कर दिया इस्ह़ाक़ तथा याक़ूब, और हमने प्रत्येक को नबी बना दिया।

﴿وَوَهَبْنَا لَهُمْ مِنْ رَحْمَتِنَا وَجَعَلْنَا لَهُمْ لِسَانَ صِدْقٍ عَلِيًّا﴾

तथा हमने प्रदान की, उन सबको, अपनी दया में से और हमने बना दी, उनकी शुभ चर्चा सर्वोच्च।

﴿وَاذْكُرْ فِي الْكِتَابِ مُوسَىٰ ۚ إِنَّهُ كَانَ مُخْلَصًا وَكَانَ رَسُولًا نَبِيًّا﴾

और आप इस पुस्तक में मूसा की चर्चा करें। वास्तव में, वह चुना हुआ तथा रसूल एवं नबी था।

﴿وَنَادَيْنَاهُ مِنْ جَانِبِ الطُّورِ الْأَيْمَنِ وَقَرَّبْنَاهُ نَجِيًّا﴾

और हमने उसे पुकारा तूर पर्वत के दायें किनारे से तथा उसे समीप कर लिया रहस्य की बात करते हूए।

﴿وَوَهَبْنَا لَهُ مِنْ رَحْمَتِنَا أَخَاهُ هَارُونَ نَبِيًّا﴾

और हमने प्रदान किया उसे अपनी दया में से, उसके भाई हारून को नबी बनाकर।

﴿وَاذْكُرْ فِي الْكِتَابِ إِسْمَاعِيلَ ۚ إِنَّهُ كَانَ صَادِقَ الْوَعْدِ وَكَانَ رَسُولًا نَبِيًّا﴾

तथा इस पुस्तक में इस्माईल[1] की चर्चा करो, वास्तव में, वह वचन का पक्का तथा रसूल-नबी था।

﴿وَكَانَ يَأْمُرُ أَهْلَهُ بِالصَّلَاةِ وَالزَّكَاةِ وَكَانَ عِنْدَ رَبِّهِ مَرْضِيًّا﴾

और आदेश देता था अपने परिवार को नमाज़ तथा ज़कात का और अपने पालनहार के यहाँ प्रिय था।

﴿وَاذْكُرْ فِي الْكِتَابِ إِدْرِيسَ ۚ إِنَّهُ كَانَ صِدِّيقًا نَبِيًّا﴾

तथा इस पुस्तक में इद्रीस की चर्चा करो, वास्तव में, वह सत्यवादी नबी था।

﴿وَرَفَعْنَاهُ مَكَانًا عَلِيًّا﴾

तथा हमने उसे उठाया उच्च स्थान पर।

﴿أُولَٰئِكَ الَّذِينَ أَنْعَمَ اللَّهُ عَلَيْهِمْ مِنَ النَّبِيِّينَ مِنْ ذُرِّيَّةِ آدَمَ وَمِمَّنْ حَمَلْنَا مَعَ نُوحٍ وَمِنْ ذُرِّيَّةِ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْرَائِيلَ وَمِمَّنْ هَدَيْنَا وَاجْتَبَيْنَا ۚ إِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِمْ آيَاتُ الرَّحْمَٰنِ خَرُّوا سُجَّدًا وَبُكِيًّا ۩﴾

यही वो लोग हैं, जिनपर अल्लाह ने पुरस्कार किया, नबियों में से, आदम की संतति में से तथा उनमें से, जिन्हें हमने (नाव पर) सवार किया नूह़ के साथ तथा इब्राहीम और इस्राईल की संतति में से तथा उनमें से जिन्हें हमने मार्गदर्शन दिया और चुन लिया, जब इनके समक्ष पढ़ी जाती थी अत्यंत कृपाशील की आयतें, तो वे गिर जाया करते थे सज्दा करते हुए तथा रोते हुए।

﴿۞ فَخَلَفَ مِنْ بَعْدِهِمْ خَلْفٌ أَضَاعُوا الصَّلَاةَ وَاتَّبَعُوا الشَّهَوَاتِ ۖ فَسَوْفَ يَلْقَوْنَ غَيًّا﴾

फिर इनके पश्चात् ऐसै कपूत पैदा हुए, जिन्होंने गंवा दिया नमाज़ को तथा अनुसरण किया मनोकांक्षाओं का, तो वे शीघ्र ही कुपथ (के परिणाम) का सामना करेंगे।

﴿إِلَّا مَنْ تَابَ وَآمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا فَأُولَٰئِكَ يَدْخُلُونَ الْجَنَّةَ وَلَا يُظْلَمُونَ شَيْئًا﴾

परन्तु जिन्होंने क्षमा माँग ली तथा ईमान लाये और सदाचार किये, तो वही स्वर्ग में प्रवेश करेंगे और उनपर तनिक अत्याचार नहीं किया जायेगा।

﴿جَنَّاتِ عَدْنٍ الَّتِي وَعَدَ الرَّحْمَٰنُ عِبَادَهُ بِالْغَيْبِ ۚ إِنَّهُ كَانَ وَعْدُهُ مَأْتِيًّا﴾

स्थायी बिन देखे स्वर्ग, जिनका परोक्षतः वचन अत्यंत कृपाशील ने अपने भक्तों को दिया है, वास्तव में, उसका वचन पूरा होकर रहेगा।

﴿لَا يَسْمَعُونَ فِيهَا لَغْوًا إِلَّا سَلَامًا ۖ وَلَهُمْ رِزْقُهُمْ فِيهَا بُكْرَةً وَعَشِيًّا﴾

वे नहीं सुनेंगे, उसमें कोई बक्वास, सलाम के सिवा तथा उनके लिए उसमें जीविका होगी प्रातः और संध्या।

﴿تِلْكَ الْجَنَّةُ الَّتِي نُورِثُ مِنْ عِبَادِنَا مَنْ كَانَ تَقِيًّا﴾

यही वो स्वर्ग है, जिसका हम उत्तराधिकारी बना देंगे, अपने भक्तों में से उसे, जो आज्ञाकारी हो।

﴿وَمَا نَتَنَزَّلُ إِلَّا بِأَمْرِ رَبِّكَ ۖ لَهُ مَا بَيْنَ أَيْدِينَا وَمَا خَلْفَنَا وَمَا بَيْنَ ذَٰلِكَ ۚ وَمَا كَانَ رَبُّكَ نَسِيًّا﴾

और हम[1] नहीं उतरते, परन्तु आपके पालनहार के आदेश से, उसी का है, जो हमारे आगे तथा पीछे है और जो इसके बीच है और आपका पालनहार भूलने वाला नहीं है।

﴿رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا فَاعْبُدْهُ وَاصْطَبِرْ لِعِبَادَتِهِ ۚ هَلْ تَعْلَمُ لَهُ سَمِيًّا﴾

आकाशों तथा धरती का पालनहार तथा जो उन दोनों के बीच है। अतः उसी की इबादत (वंदना) करें तथा उसकी इबादत पर स्थित रहें। क्या आप उसके समक्ष किसी को जानते हैं?

﴿وَيَقُولُ الْإِنْسَانُ أَإِذَا مَا مِتُّ لَسَوْفَ أُخْرَجُ حَيًّا﴾

तथा मनुष्य कहता है कि क्या जब मैं मर जाऊँगा, तो फिर निकाला जाऊँगा जीवित होकर?

﴿أَوَلَا يَذْكُرُ الْإِنْسَانُ أَنَّا خَلَقْنَاهُ مِنْ قَبْلُ وَلَمْ يَكُ شَيْئًا﴾

क्या मनुष्य याद नहीं रखता कि हम ही ने उसे इससे पूर्व उत्पन्न किया है, जबकि वह कुछ (भी) न था?

﴿فَوَرَبِّكَ لَنَحْشُرَنَّهُمْ وَالشَّيَاطِينَ ثُمَّ لَنُحْضِرَنَّهُمْ حَوْلَ جَهَنَّمَ جِثِيًّا﴾

तो आपके पालनहार की शपथ! हम उन्हें अवश्य एकत्र कर देंगे और शैतानों को, फिर उन्हें अवश्य उपस्थित कर देंगे, नरक के किनारे मुँह के बल गिरे हुए।

﴿ثُمَّ لَنَنْزِعَنَّ مِنْ كُلِّ شِيعَةٍ أَيُّهُمْ أَشَدُّ عَلَى الرَّحْمَٰنِ عِتِيًّا﴾

फिर हम अलग कर लेंगे, प्रत्येक समुदाय से, उनमें से उसे, जो अत्यंत कृपाशील का अधिक अवज्ञाकारी था।

﴿ثُمَّ لَنَحْنُ أَعْلَمُ بِالَّذِينَ هُمْ أَوْلَىٰ بِهَا صِلِيًّا﴾

फिर हम ही भली-भाँति जानते हैं कि कौन अधिक योग्य है उसमें झोंक दिये जाने के।

﴿وَإِنْ مِنْكُمْ إِلَّا وَارِدُهَا ۚ كَانَ عَلَىٰ رَبِّكَ حَتْمًا مَقْضِيًّا﴾

और नहीं है तुममें से कोई, परन्तु वहाँ गुज़रने वाला[1] है, ये आपके पालनहार पर अनिवार्य है, जो पूरा होकर रहेगा।

﴿ثُمَّ نُنَجِّي الَّذِينَ اتَّقَوْا وَنَذَرُ الظَّالِمِينَ فِيهَا جِثِيًّا﴾

फिर हम उन्हें बचा लेंगे, जो डरते रहे तथा उसमें छोड़ देंगे अत्याचारियों को मुँह के बल गिरे हुए।

﴿وَإِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِمْ آيَاتُنَا بَيِّنَاتٍ قَالَ الَّذِينَ كَفَرُوا لِلَّذِينَ آمَنُوا أَيُّ الْفَرِيقَيْنِ خَيْرٌ مَقَامًا وَأَحْسَنُ نَدِيًّا﴾

तथा जब उनके समक्ष हमारी खुली आयतें पढ़ी जाती हैं, तो काफ़िर ईमान वालों से कहते हैं कि (बताओ) दोनों सम्प्रदायों में किसकी दशा अच्छी है और किसकी मज्लिस (सभा) अधिक भव्य है?

﴿وَكَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِنْ قَرْنٍ هُمْ أَحْسَنُ أَثَاثًا وَرِئْيًا﴾

जबकि हम ध्वस्त कर चुके हैं, इनसे पहले बहुत-सी जातियों को, जो इनमें उत्तम थीं संसाधन तथा मान-सम्मान में।

﴿قُلْ مَنْ كَانَ فِي الضَّلَالَةِ فَلْيَمْدُدْ لَهُ الرَّحْمَٰنُ مَدًّا ۚ حَتَّىٰ إِذَا رَأَوْا مَا يُوعَدُونَ إِمَّا الْعَذَابَ وَإِمَّا السَّاعَةَ فَسَيَعْلَمُونَ مَنْ هُوَ شَرٌّ مَكَانًا وَأَضْعَفُ جُنْدًا﴾

(हे नबी!) आप कह दें कि जो कुपथ में ग्रस्त होता है, अत्यंत कृपाशील उसे अधिक अवसर देता है। यहाँ तक कि जब उसे देख लें, जिसका वचन दिये जाते हैं; या तो यातना को अथवा प्रलय को, उस समय उन्हें ज्ञान हो जायेगा कि किसकी दशा बुरी और किसका जत्था अधिक निर्बल है।

﴿وَيَزِيدُ اللَّهُ الَّذِينَ اهْتَدَوْا هُدًى ۗ وَالْبَاقِيَاتُ الصَّالِحَاتُ خَيْرٌ عِنْدَ رَبِّكَ ثَوَابًا وَخَيْرٌ مَرَدًّا﴾

और अल्लाह उन्हें, जो सुपथ हों, मार्गदर्शन में आधिक कर देता है और शेष रह जाने वाले सदाचार ही उत्तम हैं, आपके पालनहार के समीप कर्म-फल में तथा उत्तम हैं परिणाम के फलस्वरूप।

﴿أَفَرَأَيْتَ الَّذِي كَفَرَ بِآيَاتِنَا وَقَالَ لَأُوتَيَنَّ مَالًا وَوَلَدًا﴾

(हे नबी!) क्या आपने उसे देखा, जिसने हमारी आयतों के साथ कुफ़्र (अविश्वास) किया तथा कहाः मैं अवश्य धन तथा संतान दिया जाऊँगा?

﴿أَطَّلَعَ الْغَيْبَ أَمِ اتَّخَذَ عِنْدَ الرَّحْمَٰنِ عَهْدًا﴾

क्या वह अवगत हो गया है परोक्ष से अथवा उसने अत्यंत दयाशील से कोई वचन ले रखा है?

﴿كَلَّا ۚ سَنَكْتُبُ مَا يَقُولُ وَنَمُدُّ لَهُ مِنَ الْعَذَابِ مَدًّا﴾

कदापि नहीं, हम लिख लेंगे, जो वह कहता है और हम अधिक करते जायेंगे उसकी यातना को अत्यधिक।

﴿وَنَرِثُهُ مَا يَقُولُ وَيَأْتِينَا فَرْدًا﴾

और हम ले लेंगे जिसकी वह बात कर रहा है और वह हमारे पास अकेला[1] आयेगा।

﴿وَاتَّخَذُوا مِنْ دُونِ اللَّهِ آلِهَةً لِيَكُونُوا لَهُمْ عِزًّا﴾

तथा उन्होंने बना लिए हैं अल्लाह के सिवा बहुत-से पूज्य, ताकि वे उनके सहायक हों।

﴿كَلَّا ۚ سَيَكْفُرُونَ بِعِبَادَتِهِمْ وَيَكُونُونَ عَلَيْهِمْ ضِدًّا﴾

ऐसा कदापि नहीं होगा, वे सब इसकी पूजा (उपासना) का अस्वीकार कर[1] देंगे और उनके विरोधी हो जायेंगे।

﴿أَلَمْ تَرَ أَنَّا أَرْسَلْنَا الشَّيَاطِينَ عَلَى الْكَافِرِينَ تَؤُزُّهُمْ أَزًّا﴾

क्या आपने नहीं देखा कि हमने भेज दिया है शैतानों को काफ़िरों पर, जो उन्हें बराबर उकसाते रहते हैं?

﴿فَلَا تَعْجَلْ عَلَيْهِمْ ۖ إِنَّمَا نَعُدُّ لَهُمْ عَدًّا﴾

अतः शीघ्रता न करें उनपर[1], हम तो केवल उनके दिन गिन रहे हैं।

﴿يَوْمَ نَحْشُرُ الْمُتَّقِينَ إِلَى الرَّحْمَٰنِ وَفْدًا﴾

जिस दिन हम एकत्र कर देंगे, आज्ञाकारियों को, अत्यंत कृपाशील की ओर अतिथि बनाकर।

﴿وَنَسُوقُ الْمُجْرِمِينَ إِلَىٰ جَهَنَّمَ وِرْدًا﴾

तथा हांक देंगे पापियों को नरक की ओर प्यासे पशुओं के समान।

﴿لَا يَمْلِكُونَ الشَّفَاعَةَ إِلَّا مَنِ اتَّخَذَ عِنْدَ الرَّحْمَٰنِ عَهْدًا﴾

वह (काफ़िर) अभिस्तावना का अधिकार नहीं रखेंगे, परन्तु जिसने बना लिया हो अत्यंत कृपाशील के पास कोई वचन[1]।

﴿وَقَالُوا اتَّخَذَ الرَّحْمَٰنُ وَلَدًا﴾

तथा उन्होंने कहा कि बना लिया है अत्यंत कृपाशील ने अपने लिए एक पुत्र[1]।

﴿لَقَدْ جِئْتُمْ شَيْئًا إِدًّا﴾

वास्तव में, तुम एक भारी बात घड़ लाये हो।

﴿تَكَادُ السَّمَاوَاتُ يَتَفَطَّرْنَ مِنْهُ وَتَنْشَقُّ الْأَرْضُ وَتَخِرُّ الْجِبَالُ هَدًّا﴾

समीप है कि इस कथन के कारण आकाश फट पड़े तथा धरती चिर जाये और गिर जायेँ पर्वत कण-कण होकर।

﴿أَنْ دَعَوْا لِلرَّحْمَٰنِ وَلَدًا﴾

कि वे सिध्द करने लगे अत्यंत कृपाशील के लिए संतान।

﴿وَمَا يَنْبَغِي لِلرَّحْمَٰنِ أَنْ يَتَّخِذَ وَلَدًا﴾

तथा नहीं योग्य है अत्यंत कृपाशील के लिए कि वह कोई संतान बनाये।

﴿إِنْ كُلُّ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ إِلَّا آتِي الرَّحْمَٰنِ عَبْدًا﴾

प्रत्येक जो आकाशों तथा धरती में हैं, आने वाले हैं, अत्यंत कृपाशील की सेवा में दास बनकर।

﴿لَقَدْ أَحْصَاهُمْ وَعَدَّهُمْ عَدًّا﴾

उसने उन्हें नियंत्रण में ले रखा है तथा उन्हें पूर्णतः गिन रखा है।

﴿وَكُلُّهُمْ آتِيهِ يَوْمَ الْقِيَامَةِ فَرْدًا﴾

और प्रत्येक उसके समक्ष आने वाला है, प्रलय के दिन, अकेला[1]।

﴿إِنَّ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ سَيَجْعَلُ لَهُمُ الرَّحْمَٰنُ وُدًّا﴾

निश्चय जो ईमान वाले हैं तथा सदाचार किये हैं, शीघ्र बना देगा, उनके लिए अत्यंत कृपाशील (दिलों में)[1] प्रेम।

﴿فَإِنَّمَا يَسَّرْنَاهُ بِلِسَانِكَ لِتُبَشِّرَ بِهِ الْمُتَّقِينَ وَتُنْذِرَ بِهِ قَوْمًا لُدًّا﴾

अतः (हे नबी!) हमने सरल बना दिया है, इस (क़ुर्आन) को आपकी भाषा में, ताकि आप इसके द्वारा शुभ सूचना दें संयमियों (आज्ञाकारियों) को तथा सतर्क कर दें विरोधियों को।

﴿وَكَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِنْ قَرْنٍ هَلْ تُحِسُّ مِنْهُمْ مِنْ أَحَدٍ أَوْ تَسْمَعُ لَهُمْ رِكْزًا﴾

तथा हमने ध्वस्त कर दिया है, इनसे पहले बहुत सी जातियों को, तो क्या आप देखते हैं, उनमें किसी को अथवा सुनते हैं, उनकी कोई ध्वनि?

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: