الملك

تفسير سورة الملك

الترجمة الهندية

हिन्दी

الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ تَبَارَكَ الَّذِي بِيَدِهِ الْمُلْكُ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ﴾

शुभ है वह अल्लाह, जिसके हाथ में राज्य है तथा जो कुछ वह चाहे, कर सकता है।

﴿الَّذِي خَلَقَ الْمَوْتَ وَالْحَيَاةَ لِيَبْلُوَكُمْ أَيُّكُمْ أَحْسَنُ عَمَلًا ۚ وَهُوَ الْعَزِيزُ الْغَفُورُ﴾

जिसने उत्पन्न किया है मृत्यु तथा जीवन को, ताकि तुम्हारी परीक्षा ले कि तुममें किसका कर्म अधिक अच्छा है? तथा वह प्रभुत्वशाली, अति क्षमावान् है।[1]

﴿الَّذِي خَلَقَ سَبْعَ سَمَاوَاتٍ طِبَاقًا ۖ مَا تَرَىٰ فِي خَلْقِ الرَّحْمَٰنِ مِنْ تَفَاوُتٍ ۖ فَارْجِعِ الْبَصَرَ هَلْ تَرَىٰ مِنْ فُطُورٍ﴾

जिसने उत्पन्न किये सात आकाश, ऊपर तले। तो क्या तुम देखते हो अत्यंत कृपाशील की उत्पत्ति में कोई असंगति? फिर पुनः देखो, क्या तुम देखते हो कोई दराड़?

﴿ثُمَّ ارْجِعِ الْبَصَرَ كَرَّتَيْنِ يَنْقَلِبْ إِلَيْكَ الْبَصَرُ خَاسِئًا وَهُوَ حَسِيرٌ﴾

फिर बार-बार देखो, वापस आयेगी तुम्हारी ओर निगाह थक-हार कर।

﴿وَلَقَدْ زَيَّنَّا السَّمَاءَ الدُّنْيَا بِمَصَابِيحَ وَجَعَلْنَاهَا رُجُومًا لِلشَّيَاطِينِ ۖ وَأَعْتَدْنَا لَهُمْ عَذَابَ السَّعِيرِ﴾

और हमने सजाया है संसार के आकाश को प्रदीपों (ग्रहों) से तथा बनाया है उन्हें (तारों को) मार भगाने का साधन शैतानों[1] को, और तैयार की है हमने उनके लिए दहकती अग्नि की यातना।

﴿وَلِلَّذِينَ كَفَرُوا بِرَبِّهِمْ عَذَابُ جَهَنَّمَ ۖ وَبِئْسَ الْمَصِيرُ﴾

और जिन्होंने कुफ़्र किया अपने पालनहार के साथ तो उनके लिए नरक की यातना है। और वह बुरा स्थान है।

﴿إِذَا أُلْقُوا فِيهَا سَمِعُوا لَهَا شَهِيقًا وَهِيَ تَفُورُ﴾

जब वह फेंके जायेंगे उसमें तो सुनेंगे उसकी दहाड़ और वह खौल रही होगी।

﴿تَكَادُ تَمَيَّزُ مِنَ الْغَيْظِ ۖ كُلَّمَا أُلْقِيَ فِيهَا فَوْجٌ سَأَلَهُمْ خَزَنَتُهَا أَلَمْ يَأْتِكُمْ نَذِيرٌ﴾

प्रतीत होगा कि फट पड़ेगी रोष (क्रोध) सेर, जब-जब फेंका जायेगा उसमें कोई समूह तो प्रश्न करेंगे उनसे उसके प्रहरीः क्या नहीं आया तुम्हारे पास कोई सावधान करने वाला (रसूल)?

﴿قَالُوا بَلَىٰ قَدْ جَاءَنَا نَذِيرٌ فَكَذَّبْنَا وَقُلْنَا مَا نَزَّلَ اللَّهُ مِنْ شَيْءٍ إِنْ أَنْتُمْ إِلَّا فِي ضَلَالٍ كَبِيرٍ﴾

वह कहेंगेः हाँ हमारे पास आया सावधान करने वाला। पर हमने झुठला दिया और कहा कि नहीं उतारा है अल्लाह ने कुछ। तुम ही बड़े कुपथ में हो।

﴿وَقَالُوا لَوْ كُنَّا نَسْمَعُ أَوْ نَعْقِلُ مَا كُنَّا فِي أَصْحَابِ السَّعِيرِ﴾

तथा वह कहेंगेः यदि हमने सुना और समझा होता तो नरक के वासियों में न होते।

﴿فَاعْتَرَفُوا بِذَنْبِهِمْ فَسُحْقًا لِأَصْحَابِ السَّعِيرِ﴾

ऐसे वह स्वीकार कर लेंगे अपने पापों को। तो दूरी[1] है नरक वासियों के लिए।

﴿إِنَّ الَّذِينَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَيْبِ لَهُمْ مَغْفِرَةٌ وَأَجْرٌ كَبِيرٌ﴾

निःसंदेह जो डरते हों अपने पालनहार से बिन देखे उन्हीं के लिए क्षमा है तथा बड़ा प्रतिफल है।[1]

﴿وَأَسِرُّوا قَوْلَكُمْ أَوِ اجْهَرُوا بِهِ ۖ إِنَّهُ عَلِيمٌ بِذَاتِ الصُّدُورِ﴾

तुम चुपके बोलो अपनी बात अथवा ऊँचे स्वर में। वास्तव में वह भली-भाँति जानता है सीनों के भेदों को।

﴿أَلَا يَعْلَمُ مَنْ خَلَقَ وَهُوَ اللَّطِيفُ الْخَبِيرُ﴾

क्या वह नहीं जानेगा जिस ने उत्न्न किया? और वह सूक्ष्मदर्शक[1] सर्व सूचित है?

﴿هُوَ الَّذِي جَعَلَ لَكُمُ الْأَرْضَ ذَلُولًا فَامْشُوا فِي مَنَاكِبِهَا وَكُلُوا مِنْ رِزْقِهِ ۖ وَإِلَيْهِ النُّشُورُ﴾

वही है जिस ने बनाया है तुम्हारे लिए धरती को वश्वर्ती, तो चलो-फिरो उसके क्षेत्रों में तथा खाओ उसकी प्रदान की हुई जीविका। और उसी की ओर तुम्हें फिर जीवित हो कर जाना है।

﴿أَأَمِنْتُمْ مَنْ فِي السَّمَاءِ أَنْ يَخْسِفَ بِكُمُ الْأَرْضَ فَإِذَا هِيَ تَمُورُ﴾

क्या तुम निर्भय हो गये हो उससे जो आकाश में है कि वह धँसा दे धरती में फिर वह अचानक काँपने लगे।

﴿أَمْ أَمِنْتُمْ مَنْ فِي السَّمَاءِ أَنْ يُرْسِلَ عَلَيْكُمْ حَاصِبًا ۖ فَسَتَعْلَمُونَ كَيْفَ نَذِيرِ﴾

अथवा निर्भय हो गये उससे जो आकाश में है कि वह भेज दे तुम पर पथरीली वायु तो तुम्हें ज्ञान हो जायेगा कि कैसा रहा मेरा सावधान करना?

﴿وَلَقَدْ كَذَّبَ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَكَيْفَ كَانَ نَكِيرِ﴾

झुठला चुके हैं इन[1] से पूर्व के लोग तो कैसी रही मेरी पकड़?

﴿أَوَلَمْ يَرَوْا إِلَى الطَّيْرِ فَوْقَهُمْ صَافَّاتٍ وَيَقْبِضْنَ ۚ مَا يُمْسِكُهُنَّ إِلَّا الرَّحْمَٰنُ ۚ إِنَّهُ بِكُلِّ شَيْءٍ بَصِيرٌ﴾

क्या उन्होंने नहीं देखा पक्षियों की ओर अपने ऊपर पंख फैलाते तथा सिकोड़ते। उन को अत्यंत कृपाशील ही थामता है। निसंदेह वह प्रत्येक वस्तु को देख रहा है।

﴿أَمَّنْ هَٰذَا الَّذِي هُوَ جُنْدٌ لَكُمْ يَنْصُرُكُمْ مِنْ دُونِ الرَّحْمَٰنِ ۚ إِنِ الْكَافِرُونَ إِلَّا فِي غُرُورٍ﴾

कौन है वह तुम्हारी सेना जो तुम्हारी सहायता कर सकेगी अल्लाह के मुक़ाबले में? बल्कि वह घुस गये हैं अवैज्ञा तथा घृणा में।[1]

﴿أَمَّنْ هَٰذَا الَّذِي يَرْزُقُكُمْ إِنْ أَمْسَكَ رِزْقَهُ ۚ بَلْ لَجُّوا فِي عُتُوٍّ وَنُفُورٍ﴾

या कौन है जो तुम्हें जीविका प्रदान कर सके, यदि रोक ले वह अपनी जीविका? बल्कि वे घुस गये हैं अवैज्ञा तथा घृणा में।[1]

﴿أَفَمَنْ يَمْشِي مُكِبًّا عَلَىٰ وَجْهِهِ أَهْدَىٰ أَمَّنْ يَمْشِي سَوِيًّا عَلَىٰ صِرَاطٍ مُسْتَقِيمٍ﴾

तो क्या जो चल रहा हो औंधा हो कर अपने मुँह के बल वह अधिक मार्गदर्शन पर है ये जो सीधा हो कर चल रहा हो सीधी राह पर?[1]

﴿قُلْ هُوَ الَّذِي أَنْشَأَكُمْ وَجَعَلَ لَكُمُ السَّمْعَ وَالْأَبْصَارَ وَالْأَفْئِدَةَ ۖ قَلِيلًا مَا تَشْكُرُونَ﴾

हे नबी! आप कह दें कि वही है जिस ने पैदा किया है तुम्हें और बनाये हैं तुम्हारे कान तथा आँख और दिल। बहुत ही कम आभारी (कृतज्ञ) होते हो।

﴿قُلْ هُوَ الَّذِي ذَرَأَكُمْ فِي الْأَرْضِ وَإِلَيْهِ تُحْشَرُونَ﴾

आप कह देः उसीने फैलाया है तुम्हें धरती में और उसी की ओर एकत्रित[1] किये जाओगे।

﴿وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هَٰذَا الْوَعْدُ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ﴾

तथा वह कहते हैं कि ये वचन कब पूरा होगा यदि तुम सच्चे हो?

﴿قُلْ إِنَّمَا الْعِلْمُ عِنْدَ اللَّهِ وَإِنَّمَا أَنَا نَذِيرٌ مُبِينٌ﴾

आप कह देः उस का ज्ञान बस अल्लाह ही को है। और मैं केवल खुला सावधान करने वाला हूँ।

﴿فَلَمَّا رَأَوْهُ زُلْفَةً سِيئَتْ وُجُوهُ الَّذِينَ كَفَرُوا وَقِيلَ هَٰذَا الَّذِي كُنْتُمْ بِهِ تَدَّعُونَ﴾

फिर जब वह देखेंगे उसे समीप, तो बिगड़ जायेंगे उनके चेहरे जो काफ़िर हो गये। तथा कहा जायेगाः ये वही है जिसकी तुम माँग कर रहे थे।

﴿قُلْ أَرَأَيْتُمْ إِنْ أَهْلَكَنِيَ اللَّهُ وَمَنْ مَعِيَ أَوْ رَحِمَنَا فَمَنْ يُجِيرُ الْكَافِرِينَ مِنْ عَذَابٍ أَلِيمٍ﴾

आप कह देः देखो यदि अल्लाह नाश कर दे मुझ को तथा मेरे साथियों को अथवा दया करे हम पर, तो (बताओ कि) कौन है जो शरण देगा काफ़िरों को दुःखदायी[1] यातना से?

﴿قُلْ هُوَ الرَّحْمَٰنُ آمَنَّا بِهِ وَعَلَيْهِ تَوَكَّلْنَا ۖ فَسَتَعْلَمُونَ مَنْ هُوَ فِي ضَلَالٍ مُبِينٍ﴾

आप कह देः वह अत्यंत कृपाशील है। हम उसपर ईमान लाये तथा उसीपर भरोसा किया, तो तुम्हें ज्ञान हो जायेगा कि कौन खुले कुपथ में है।

﴿قُلْ أَرَأَيْتُمْ إِنْ أَصْبَحَ مَاؤُكُمْ غَوْرًا فَمَنْ يَأْتِيكُمْ بِمَاءٍ مَعِينٍ﴾

आप कह देः भला देखो यदि तुम्हारा पानी गहराई में चला जाये, तो कौन है जो तुम्हें ला कर देगा बहता हुआ जल?

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: