आदरणीय शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ रहिमहुल्लाह से प्रश्न किया गया किः अगर मुसलमान किसी ईसाई या उसके अलावा किसी अन्य काफिर (अविश्वासी) के साथ खाता या पीता है, तो क्या इसे हराम समझा जायेगा? और यदि वह हराम है, तो हम अल्लाह तआला के फरमान : ﴿وَطَعَامُ الَّذِينَ أُوتُوا الْكِتَابَ حِلٌّ لَكُمْ وَطَعَامُكُمْ حِلٌّ لَهُمْ ﴾ [المائدة : 5] ’’जिन लोगों को किताब दी गई है (यानी यहूदी और ईसाइ) उनका खाना तुम्हारे लिए हलाल है, और तुम्हारा खाना उनके लिए हलाल है।’’ (सूरतुल मायदाः 5) के बारे में क्या कहेंगे ?