المقدم
كلمة (المقدِّم) في اللغة اسم فاعل من التقديم، وهو جعل الشيء...
सब प्रशंसा उस अल्लाह के लिए है, जिसने अपने भक्त पर ये पुस्तक उतारी और उसमें कोई टेढ़ी बात नहीं रखी।
अति सीधी (पुस्तक), ताकि वह अपने पास की कड़ी यातना से सावधान कर दे और ईमान वालों को जो सदाचार करते हों, शुभ सूचना सुना दे कि उन्हीं के लिए अच्छा बदला है।
और उन्हें सावधान करे, जिन्होंने कहा कि अल्लाह ने अपने लिए कोई संतान बना ली है।
उन्हें इसका कुछ ज्ञान है और न उनके पूर्वजों को। बहुत बड़ी बात है, जो उनके मुखों से निकल रही है, वे सरासर झूठ ही बोल रहे हैं।
तो संभवतः आप इसके पीछे अपना प्राण खो देंगे, संताप के कारण, यदि वे इस ह़दीस (क़ुर्आन) पर ईमान न लायें।
वास्तव में, जो कुछ धरती के ऊपर है, उसे हमने उसके लिए शोभा बनाया है, ताकि उनकी परीक्षा लें कि उनमें कौन कर्म में सबसे अच्छा है?
और निश्चय हम कर देने[1] वाले हैं, जो उस (धरती) के ऊपर है, उसे (बंजर) धूल।
(हे नबी!) क्या आपने समझा है कि गुफा तथा शिला लेख वाले[1], हमारे अद्भुत लक्षणों (निशानियों) में से थे[2]?
जब नवयुवकों ने गुफा की ओर शरण ली[1] और प्रार्थना कीः हे हमारे पालनहार! हमें अपनी विशेष दया प्रदान कर और हमारे लिए प्रबंध कर दे हमारे विषय के सुधार का।
तो हमने उन्हें गुफा में सुला दिया कई वर्षों तक।
फिर हमने उन्हें जगा दिया, ताकि हम ये जान लें कि दो समुदायों में से किसने उनके ठहरे रहने की अवधि को अधिक याद रखा है?
हम आपको उनकी सत्य कथा सुना रहे हैं। वास्तव में, वे कुछ नवयुवक थे, जो अपने पालनहार पर ईमान लाये और हमने उन्हें मार्गदर्शन में अधिक कर दिया।
और हमने उनके दिलों को सुदृढ़ कर दिया, जब वे खड़े हुए, फिर कहाः हमारा पालनहार वही है, जो आकाशों तथा धरती का पालनहार है। हम उसके सिवा कदापि किसी पूज्य को नहीं पुकारेंगे। (यदि हमने ऐसा किया) तो (सत्य से) दूर की बात होगी।
ये हमारी जाति है, जिसने अल्लाह के सिवा बहुत-से पूज्य बना लिए। क्यों वे उनपर कोई खुला प्रमाण प्रस्तुत नहीं करते? उससे बड़ा अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर मिथ्या बात बनाये?
और जब तुम उनसे विलग हो गये तथा अल्लाह के अतिरिक्त उनके पूज्यों से, तो अब अमुक गुफा की ओर शरण लो, अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी दया फैला देगा तथा तुम्हारे लिए तुम्हारे विषय में जीवन के साधनों का प्रबंध करेगा।
और तुम सूर्य को देखोगे कि जब निकलता है, तो उनकी गूफा से दायें झुक जाता है और जब डूबता है, तो उनसे बायें कतरा जाता है और वे उस (गुफा) के एक विस्तृत स्थान में हैं। ये अल्लाह की निशानियों में से है और जिसे अल्लाह मार्ग दिखा दे, वही सुपथ पाने वाला है और जिसे कुपथ कर दे, तो तुम कदापि उसके लिए कोई सहायक मार्गदर्शक नहीं पाओगे।
और तुम[1] उन्हें समझोगे कि जाग रहे हैं, जबकि वे सोये हुए हैं और हम उन्हें दायें तथा बायें पार्शव पर फिराते रहते हैं और उनका कुत्ता गुफा के द्वार पर अपनी दोनों बाहें फैलाये पड़ा है। यदि तुम झाँककर देख लेते, तो पीठ फेरकर भाग जाते और उनसे भयपूर्ण हो जाते।
और इसी प्रकार, हमने उन्हें जगा दिया, ताकि वे आपस में प्रश्न करें। तो एक ने उनमें से कहाः तुम कितने (समय) रहे हो? सबने कहाः हम एक दिन रहे हैं अथवा एक दिन के कुछ (समय)। (फिर) सबने कहाः अल्लाह अधिक जानता है कि तुम कितने (समय) रहे हो, तुम अपने में से किसी को, अपना ये सिक्का देकर नगर में भेजो, फिर देखे कि किसके पास अधिक स्वच्छ (पवित्र) भोजन है और उसमें से कुछ जीविका (भोजन) लाये और चाहिए कि सावधानी बरते। ऐसा न हो कि तुम्हारा किसी को अनुभव हो जाये।
क्योंकि यदि वे तुम्हें जान जायेंगे तो तुम्हें पथराव करके मार डालेंगे या तुम्हें अपने धर्म में लौटा लेंगे और तब तुम कदापि सफल नहीं हो सकोगे।
इसी प्रकार, हमने उनसे अवगत करा दिया, ताकि उन (नागरिकों) को ज्ञान हो जाये कि अल्लाह का वचन सत्य है और ये कि प्रलय (होने) में कोई संदेह[1] नहीं। जब वे[2] आपस में विवाद करने लगे, तो कुछ ने कहाः उनपर कोई निर्माण करा दो, अल्लाह ही उनकी दशा को भली-भाँति जानता है। परन्तु उन्होंने कहा जो अपना प्रभुत्व रखते थे, हम अवश्य उन (की गुफा के स्थान) पर एक मस्जिद बनायेंगे।
कुछ[1] कहेंगे कि वे तीन हैं और चौथा उनका कुत्ता है और कुछ कहेंगे कि पाँच हैं और छठा उनका कुत्ता है। ये अंधेरे में तीर चलाते हैं और कहेंगे कि सात हैं और आठवाँ उनका कुत्ता है। (हे नबी!) आप कह दें कि मेरा पालनहार ही उनकी संख्या भली-भाँति जानता है, जिसे कुछ लोगों के सिवा कोई नहीं जानता[2]। अतः आप उनके संबन्ध में कोई विवाद न करें, सिवाय सरसरी बात के और न उनके विषय में किसी से कुछ पूछें[3]।
और कदापि किसी विषय में न कहें कि मैं इसे कल करने वाला हूँ।
परन्तु ये कि अल्लाह[1] चाहे तथा अपने पालनहार को याद करें, जब भूल जायेँ और कहें: संभव है, मेरा पालनहार मुझे इससे समीप सुधार का मार्ग दर्शा दे।
और वे गुफा में तीन सौ वर्ष रहे और नौ वर्ष अधिक[1] और।
आप कह दें कि अल्लाह उनके रहने की अवधि से सर्वाधिक अवगत है। आकाशों तथा धरती का परोक्ष वही जानता है। क्या ही ख़ूब है वह देखने वाला और सुनने वाला। नहीं है उनका उसके सिवा कोई सहायक और न वह अपने शासन में किसी को साझी बनाता है।
और आप उसे सुना दें, जो आपकी ओर वह़्यी (प्रकाशना) की गयी है, आपके पालनहार की पुस्तक में से, उसकी बातों को कोई बदलने वाला नहीं है और आप कदापि नहीं पायेंगे उसके सिवा कोई शरण स्थान।
और आप उनके साथ रहें, जो अपने पालनहार की प्रातः-संध्या बंदगी करते हैं। वे उसकी प्रसन्नता चाहते हैं और आपकी आँखें सांसारिक जीवन की शोभा के लिए[1] उनसे न फिरने पायें और उसकी बात न मानें, जिसके दिल को हमने अपनी याद से निश्चेत कर दिया और उसने मनमानी की और जिसका काम ही उल्लंघन (अवज्ञा करना) है।
आप कह दें कि ये सत्य है, तुम्हारे पालनहार की ओर से, तो जो चाहे, ईमान लाये और जो चाहे कुफ़्र करे, निश्चय हमने अत्याचारियों के लिए ऐसी अग्नि तैयार कर रखी है, जिसकी प्राचीर[1] ने उन्हें घेर लिया है और यदि वे जल के लिए गुहार करेंगे, तो उन्हें तेल की तलछट के समान जल दिया जायेगा, जो मुखों को भून देगा, वह क्या ही बुरा पेय है और वह क्या ही बुरा विश्राम स्थान है!
निश्चय जो ईमान लाये तथा सदाचार किये, तो हम उनका प्रतिफल व्यर्थ नहीं करेंगे, जो सदाचारी हैं।
यही हैं, जिनके लिए स्थायी स्वर्ग हैं, जिनमें नहरें प्रवाहित हैं, उसमें उन्हें सोने के कंगन पहनाये जायेंगे।[1] तथा (वे) महीन और गाढ़े रेशम के हरे वस्त्र पहनेंगे, उसमें सिंहासनों के ऊपर आसीन होंगे। ये क्या ही अच्छा प्रतिफल और क्या ही अच्छा विश्राम स्थान है।
और (हे नबी!) आप उन्हें एक उदाहरण दो वयक्तियों का दें; हमने जिनमें से एक को दो बाग़ दिये अंगूरों के और घेर दिया दोनों को खजूरों से और दोनों के बीच खेती बना दी।
दोनों बाग़ों ने अपने पूरे फल दिये और उसमें कुछ कमी नहीं की और हमने जारी कर दी दोनों के बीच एक नहर।
और उसे लाभ प्राप्त हुआ, तो एक दिन उसने अपने साथी से कहा जबकि वह उससे बात कर रहा थाः मैं तुझसे अधिक धनी हूँ तथा स्वजनों में भी अधिक[1] हूँ।
और उसने अपने बाग़ में प्रवेश किया, अपने ऊपर अत्याचार करते हुए, उसने कहाः मैं नहीं समझता कि इसका विनाश हो जायेगा कभी।
और न ये समझता हूँ कि प्रलय होगी और यदि मुझे अपने पालनहार की ओर पुनः ले जाया गया, तो मैं अवश्य ही इससे उत्तम स्थान पाऊँगा।
उससे, उसके साथी ने कहा और वह उससे बात कर रहा थाः क्या तूने उसके साथ कुफ़्र कर दिया, जिसने तुझे मिट्टी से उत्पन्न किया, फिर वीर्य से, फिर तुझे बना दिया एक पूरा पुरुष?
रहा मैं, तो वही अल्लाह मेरा पालनहार है और मैं साझी नहीं बनाऊँगा अपने पालनहार का किसी को।
और क्यों नहीं जब तुमने अपने बाग़ में प्रवेश किया, तो कहा कि "जो अल्लाह चाहे, अल्लाह की शक्ति के बिना कुछ नहीं हो सकता।" यदि तू मुझे देखता है कि मैं तुझसे कम हूँ धन तथा संतान में[1],
तो आशा है कि मेरा पालनहार मुझे प्रदान कर दे, तेरे बाग़ से अच्छा और इस बाग़ पर आकाश से कोई आपदा भेज दे और वह चिकनी भूमि बन जाये।
अथवा उसका जल भीतर उतर जाये, फिर तू उसे पा न सके।
(अन्ततः) उसके फलों को घेर[1] लिया गया, फिर वह अपने दोनों हाथ मलता रह गया उसपर, जो उसमें खर्च किया था और वह अपने छप्परों सहित गिरा हुआ था और कहने लगाः क्या ही अच्छा होता कि मैं किसी को अपने पालनहार का साझी न बनाता।
और नहीं रह गया उसके लिए कोई जत्था, जो उसकी सहायता करता और न स्वयं अपनी सहायता कर सका।
यहीं सिध्द हो गया कि सब अधिकार सत्य अल्लाह को है, वही अच्छा है प्रतिफल प्रदान करने में तथा अच्छा है परिणाम लाने में।
और (हे नबी!) आप उन्हें सांसारिक जीवन का उदाहरण दें, उस जल से, जिसे हमने आकाश से बरसाया। फिर उसके कारण मिल गई धरती की उपज, फिर चूर हो गई, जिसे वायु उड़ाये फिरती[1] है और अल्लाह प्रत्येक चीज़ पर सामर्थ्य रखने वाला है।
धन और पुत्र सांसारिक जीवन की शोभा हैं और शेष रह जाने वाले सत्कर्म ही अच्छे हैं, आपके पालनहार के यहाँ प्रतिफल में तथा अच्छे हैं, आशा रखने के लिए।
तथा जिस दिन हम पर्वतों को चलायेंगे तथा तुम धरती को खुला चटेल[1] देखोगे और हम उन्हें एकत्र कर देंगे, फिर उनमें से किसी को नहीं छोड़ेंगे।
और सभी आपके पालनहार के समक्ष पंक्तियों में प्रस्तुत किये जायेंगे, तुम हमारे पास आ गये, जैसे हमने तुम्हारी उत्पत्ति प्रथम बार की थी, बल्कि तुमने समझा था कि हम तुम्हारे लिए कोई वचन का समय निर्धारित ही नहीं करेंगे।
और कर्म लेख[1] (सामने) रख दिये जायेंगे, तो आप अपराधियों को देखेंगे कि उससे डर रहे हैं, जो कुछ उसमें (अंकित) है तथा कहेंगे कि हाय हमारा विनाश! ये कैसी पुस्तक है, जिसने किसी छोटे और बड़े कर्म को नहीं छोड़ा है, परन्तु उसे अंकित कर रखा है? और जो कर्म उन्होंने किये हैं, उन्हें वह सामने पायेंगे और आपका पालनहार किसी पर अत्याचार नहीं करेगा।
तथा (याद करो) जब आपके पालनहार ने फ़रिश्तों से कहाः आदम को सज्दा करो, तो सबने सज्दा किया, इब्लीस के सिवा। वह जिन्नों में से था, अतः उसने उल्लंघन किया अपने पालनहार की आज्ञा का, तो क्या तुम उसे और उसकी संतति को सहायक मित्र बनाते हो, मुझे छोड़कर जबकि वे तुम्हारे शत्रु हैं? अत्याचारियों के लिए बुरा बदला है।
मैंने उन्हें उपस्थित नहीं किया, आकाशों तथा धरती की उतपत्ति के समय और न स्वयं उनकी उत्पत्ति के समय और न मैं कुपथों को सहायक[1] बनाने वाला हूँ।
जिस दिन वह (अल्लाह) कहेगा कि मेरे साझियों को पुकारो, जिन्हें (तुम मेरे साझी) समझ रहे थे। वह उन्हें पुकारेंगे, तो वे उनका कोई उत्तर नहीं देंगे और हम बना देंगे उनके बीच एक विनाशकारी खाई।
और अपराधी नरक को देखेंगे, तो उन्हें विश्वास जो जायेगा कि वे उसमें गिरने वाले हैं और उससे फिरने का कोई स्थान नहीं पायेंगे।
और हमने इस क़ुर्आन में प्रत्येक उदाहरण से लोगों को समझाया है। और मनुष्य बड़ा ही झगड़ालू है।
और नहीं रोका लोगों को कि ईमान लायें, जब उनके पास मार्गदर्शन आ गया और अपने पालनहार से क्षमा याचना करें, किन्तु इसीने कि पिछली जातियों की दशा उनकी भी हो जाये अथवा उनके समक्ष यातना आ जाये।
तथा हम रसूलों को नहीं भेजते, परन्तु शुभ सूचना देने वाले और सावधान करने वाले बनाकर और जो काफ़िर हैं, असत्य (अनृत) के सहारे विवाद करते हैं, ताकि उसके द्वारा वे सत्य को नीचा[1] दिखायें और उन्होंने बनाया हमारी आयतों को तथा जिस बात की उन्हें चेतावनी दी गई, परिहास।
और उससे बड़ा अत्याचारी कौन है, जिसे उसके पालनहार की आयतें सुनाई जायेँ, फिर (भी) उनसे मुँह फेर ले और अपने पहले किये हुए करतूत भूल जाये? वास्तव में, हमने उनके दिलों पर ऐसे आवरण (पर्दे) बना दिये हैं कि उसे[1] समझ न पायें और उनके कानों में बोझ। और यदि आप उन्हें सीधी राह की ओर बुलायें, तब (भी) कभी सीधी राह नहीं पा सकेंग।
और आपका पालनहार अति क्षमी दयावान् है। यदि वह उन्हें उनके करतूतों पर पकड़ता, तो तुरन्त यातना दे देता। बल्कि उनके लिए एक निश्चित समय का वचन है और वे उसके सिवा कोई बचाव का स्थान नहीं पायेंगे।
तथा ये बस्तियाँ हैं। हमने उन (के निवासियों) का विनाश कर दिया, जब उन्होंने अत्याचार किया और हमने उनके विनाश के लिए एक निर्धारित समय बना दिया था।
तथा (याद करो) जब मूसा ने अपने सेवक से कहाः मैं बराबर चलता रहूँगा, यहाँ तक कि दोनों सागरों के संगम पर पहुँच जाऊँ अथवा वर्षों चलता[1] रहूँ।
तो जब दोनों उनके संगम पर पहुँचे, तो दोनों अपनी मछली भूल गये और उसने सागर में अपनी राह बना ली, सुरंग के समान।
फिर, जब दोनों आगे चले गये, तो उस (मूसा) ने अपने सेवक से कहा कि हमारा दिन का भोजन लाओ। हम अपनी इस यात्रा से थक गये हैं।
उसने कहाः क्या आपने देखा? जब हमने उस शिला खण्ड के पास शरण ली थी, तो मैं मछली भूल गया और मुझे उसे शैतान ही ने भुला दिया कि मैं उसकी चर्चा करूँ और उसने अपनी राह सागर में अनोखे तरीक़े से बना ली।
मूसा ने कहाः वही है, जो हम चाहते थे। फिर दोनों अपने पद्चिन्हों को देखते हुए वापिस हुए।
और दोनों ने पाया हमारे भक्तों में से एक भक्त[1] को, जिसे हमने अपनी विशेष दया प्रदान की थी और उसे अपने पास से कुछ विशेष ज्ञान दिया था।
मूसा ने उससे कहाः क्या मैं आपका अनुसरण करूँ, ताकि मुझे भी उस भलाई में से कुछ सिखा दें, जो आपको सिखाई गई है?
और कैसे धैर्य करोगे उस बात पर, जिसका तुम्हें पूरा ज्ञान नहीं?
उसने कहाः यदि अल्लाह ने चाहा, तो आप मुझे सहनशील पायेंगे और मैं आपकी किसी आज्ञा का उल्लंघन नहीं करूँगा।
उसने कहाः यदि तुम्हें मेरा अनुसरण करना है, तो मुझसे किसी चीज़ के बारे में प्रश्न न करना, जब तक मैं स्वयं तुमसे उसकी चर्चा न करूँ।
फिर दोनों चले, यहाँ तक कि जब दोनों नौका में सवार हुए, तो उस (ख़िज़्र) ने उसमें छेद कर दिया। मूसा ने कहाः क्या आपने इसमें छेदकर दिया, ताकि उसके सवारों को डुबो दें, आपने अनुचित काम कर दिया।
उसने कहाः क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि तुम मेरे साथ सहन नहीं कर सकोगे?
कहाः मुझे आप मेरी भूल पर न पकड़े और मेरी बात के कारण मुझे असुविधा में न डालें।
फिर दोनों चले, यहाँ तक कि एक बालक से मिले, तो उस (ख़िज़्र) ने उसे वध कर दिया। मूसा ने कहाः क्या आपने एक निर्दोष प्राण ले लिया, वह भी किसी प्राण के बदले[1] नहीं? आपने बहुत ही बुरा काम किया।
उसने कहाः क्या मैंने तुमसे नहीं कहा कि वास्तव में, तुम मेरे साथ धैर्य नहीं कर सकोगे?
मूसा ने कहाः यदि मैं आपसे प्रश्न करूँ, किसी विषय में इसके पश्चात्, तो मुझे अपने साथ न रखें। निश्चय आप मेरी ओर से याचना को पहुँच[1] चुके।
फिर दोनो चले, यहाँ तक कि जब एक गाँव के वासियों के पास आये, तो उनसे भोजन माँगा। उन्होंने उनका अतिथि सत्कार करने से इन्कार कर दिया। वहाँ उन्होंने एक दीवार पायी, जो गिरा चाहती थी। उसने उसे सीधा कर दिया। कहाः यदि आप चाहते, तो इसपर पारिश्रमिक ले लेते।
उसने कहाः ये मेरे तथा तुम्हारे बीच वियोग है। मैं तुम्हें उसकी वास्तविक्ता बताऊँगा, जिसे तुम सहन नहीं कर सके।
रही नाव, तो वह कुछ निर्धनों की थी, जो सागर में काम करते थे। तो मैंने चाहा कि उसे छिद्रित[1] कर दूँ और उनके आगे एक राजा था, जो प्रत्येक (अच्छी) नाव का अपहरण कर लेता था।
और रहा बालक, तो उसके माता-पिता ईमान वाले थे, अतः हम डरे कि उन्हें अपनी अवज्ञा और अधर्म से दुःख न पहुँचाये।
इसलिए हमने चाहा कि उन दोनों को उनका पालनहार, इसके बदले उससे अधिक पवित्र और अधिक प्रेमी प्रदान करे।
और रही दीवार, तो वह दो अनाथ बालकों की थी और उसके भीतर उनका कोष था और उनके माता-पिता पुनीत थे, तो तेरे पालनहार ने चाहा कि वे दोनों अपनी युवा अवस्था को पहुँचें और अपना कोष निकालें, तेरे पालनहार की दया से और मैंने ये अपने विचार तथा अधिकार से नहीं किया[1]। ये उसकी वास्तविक्ता है, जिसे तुम सहन नहीं कर सके।
और (हे नबी!) वे आपसे ज़ुलक़रनैन[1] के विषय में प्रश्न करते हैं। आप कह दें कि मैं उनकी कुछ दशा तुम्हें पढ़कर सुना देता हूँ।
हमने उसे धरती में प्रभुत्व प्रदान किया तथा उसे प्रत्येक प्रकार का साधन दिया।
यहाँ तक कि जब सूर्यास्त के स्थान तक[1] पहुँचा, तो उसने पाया कि वह एक काली कीचड़ के स्रोत में डूब रहा है और वहाँ एक जाति को पाया। हमने कहाः हे ज़ुलक़रनैन! तू उन्हें यातना दे अथवा उनमें अच्छा व्यवहार बना।
उसने कहाः जो अत्याचार करेगा, हम उसे दण्ड देंगे। फिर वह अपने पालनहार की ओर फेरा[1] जायेगा, तो वह उसे कड़ी यातना देगा।
परन्तु जो ईमान लाये तथा सदाचार करे, तो उसी के लिए अच्छा प्रतिफल (बदला) है और हम उसे अपना सरल आदेश देंगे।
यहाँ तक कि सूर्य़ोदय के स्थान तक पहुँचा। तो उसे पाया कि ऐसी जाति पर उदय हो रहा है, जिससे हमने उनके लिए कोई आड़ नहीं बनायी है।
उनकी दशा ऐसी ही थी और उस (ज़ुलक़रनैन) के पास जो कुछ था, हम उससे पूर्णतः सूचित हैं।
यहाँ तक कि जब दो पर्वतों के बीच पहुँचा, तो उन दोनों की उस ओर एक जाति को पाया, जो नहीं समीप थी कि किसी बात को समझे[1]।
उन्होंने कहाः हे ज़ुलक़रनैन! वास्तव में, याजूज तथा माजूज उपद्रवी हैं, इस देश में। तो क्या हम निर्धारित कर दें आपके लिए कुछ धन। इसलिए कि आप हमारे और उनके बीच कोई रोक (बन्ध) बना दें?
उसने कहाः जो कुछ मुझे मेरे पालनहार ने प्रदान किया है, वह उत्तम है। तो तुम मेरी सहायता बल और शक्ति से करो, मैं बना दूँगा तुम्हारे और उनके मध्य एक दृढ़ भीत।
मुझे लोहे की चादरें ला दो और जब दोनों पर्वतों के बीच दीवार तैयार कर दी, तो कहा कि आग दहकाओ, यहाँतक कि जब उस दीवार को आग (के समान लाल) कर दिया, तो कहाः मेरे पास लाओ, इसपर पिघला हुआ ताँबा उंडेल दूँ।
फिर वह उसपर चढ़ नहीं सकते थे और न उसमें कोई सेंध लगा सकते थे।
उस (ज़ुलक़रनैन) ने कहाः ये मेरे पालनहार की दया है। फिर जब मेरे पालनहार का वचन[1] आयेगा, तो वह इसे खण्ड-खण्ड कर देगा और मेरे पालनहार का वचन सत्य है।
और हम छोड़ देंगे उस[1] दिन लोगों को एक-दूसरे में लहरें लेते हुए तथा निरसिंघा में फूंक दिया जायेगा और हम सबको एकत्र कर देंगे।
और हम सामने कर देंगे उस दिन नरक को काफ़िरों के समक्ष।
जिनकी आँखें मेरी याद से पर्दे में थीं और कोई बात सुन नहीं सकते थे।
तो क्या उन्होंने सोचा है जो काफ़िर हो गये कि वे बना लेंगे मेरे दासों को मेरे सिवा सहायक? वास्तव में, हमने काफ़िरों के आतिथ्य के लिए नरक तैयार कर दी है।
आप कह दें कि क्या हम तुम्हें बता दें कि कौन अपने कर्मों में सबसे अधिक क्षतिग्रस्त हैं?
वह हैं, जिनके सांसारिक जीवन के सभी प्रयास व्यर्थ हो गये तथा वे समझते रहे कि वे अच्छे कर्म कर रहे हैं।
यही वे लोग हैं, जिन्होंने नहीं माना अपने पालनहार की आयतों तथा उससे मिलने को, अतः हम प्रलय के दिन उनका कोई भार निर्धारित नहीं करेंगे[1]।
उन्हीं का बदला नरक है, इस कारण कि उन्होंने कुफ़्र किया और मेरी आयतों और मेरे रसूलों का उपहास किया।
निश्चय जो ईमान लाये और सदाचार किये, उन्हीं के आतिथ्य के लिए फ़िरदौस[1] के बाग़ होंगे।
उसमें वे सदावासी होंगे, उसे छोड़कर जाना नहीं चाहेंगे।
(हे नबी!) आप कह दें कि यदि सागर मेरे पालनहार की बातें लिखने के लिए स्याही बन जायेँ, तो सागर समाप्त हो जायें इससे पहले कि मेरे पालनहार की बातें समाप्त हों, यद्यपि उतनी ही स्याही और ले आयें।
आप कह देः मैंतो तुम जैसा एक मनुष्य पुरुष हूँ, मेरी ओर प्रकाशना (वह़्यी) की जाती है कि तुम्हारा पूज्य बस एक ही पूज्य है। अतः, जो अपने पालनहार से मिलने की आशा रखता हो, उसे चाहिए कि सदाचार करे और साझी न बनाये अपने पालनहार की इबादत (वंदना) में किसी को।