البحث

عبارات مقترحة:

العزيز

كلمة (عزيز) في اللغة صيغة مبالغة على وزن (فعيل) وهو من العزّة،...

الحسيب

 (الحَسِيب) اسمٌ من أسماء الله الحسنى، يدل على أن اللهَ يكفي...

السبوح

كلمة (سُبُّوح) في اللغة صيغة مبالغة على وزن (فُعُّول) من التسبيح،...

الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

1- ﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ يَا أَيُّهَا الْمُزَّمِّلُ﴾


हे चादर ओढ़ने वाले!

2- ﴿قُمِ اللَّيْلَ إِلَّا قَلِيلًا﴾


खड़े रहो (नमाज़ में) रात्रि के समय, परन्तु कुछ[1] समय।

3- ﴿نِصْفَهُ أَوِ انْقُصْ مِنْهُ قَلِيلًا﴾


(अर्थात) आधी रात अथवा उससे कुछ कम।

4- ﴿أَوْ زِدْ عَلَيْهِ وَرَتِّلِ الْقُرْآنَ تَرْتِيلًا﴾


या उससे कुछ अधिक और पढ़ो क़ुर्आन रुक-रुक कर।

5- ﴿إِنَّا سَنُلْقِي عَلَيْكَ قَوْلًا ثَقِيلًا﴾


हम उतारेंगे (हे नबी!) आप पर एक भारी बात (क़ुर्आन)।

6- ﴿إِنَّ نَاشِئَةَ اللَّيْلِ هِيَ أَشَدُّ وَطْئًا وَأَقْوَمُ قِيلًا﴾


वास्तव में, रात में जो इबादत होती है, वह अधिक प्रभावी है (मन को) एकाग्र करने में तथा अधिक उचित है बात प्रार्थना के लिए।

7- ﴿إِنَّ لَكَ فِي النَّهَارِ سَبْحًا طَوِيلًا﴾


आपके लिए दिन में बहुत-से कार्य हैं।

8- ﴿وَاذْكُرِ اسْمَ رَبِّكَ وَتَبَتَّلْ إِلَيْهِ تَبْتِيلًا﴾


और स्मरण (याद) करें अपने पालनहार के नाम की और सबसे अलग होकर उसी के हो जायें।

9- ﴿رَبُّ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ فَاتَّخِذْهُ وَكِيلًا﴾


वह पूर्व तथा पश्चिम का पालनहार है। नहीं है कोई पूज्य (वंदनीय) उसके सिवा, अतः, उसी को अपना करता-धरता बना लें।

10- ﴿وَاصْبِرْ عَلَىٰ مَا يَقُولُونَ وَاهْجُرْهُمْ هَجْرًا جَمِيلًا﴾


और सहन करें उन बातों को, जो वे बना रहे हैं[1] और अलग हो जायें उनसे सुशीलता के साथ।

11- ﴿وَذَرْنِي وَالْمُكَذِّبِينَ أُولِي النَّعْمَةِ وَمَهِّلْهُمْ قَلِيلًا﴾


तथा छोड़ दें मुझे तथा झुठलाने वाले सुखी (सम्पन्न) लोगों को और उन्हें अवसर दें कुछ देर।

12- ﴿إِنَّ لَدَيْنَا أَنْكَالًا وَجَحِيمًا﴾


वस्तुतः, हमारे पास (उनके लिए) बहुत-सी बेड़ियाँ तथा दहकती अग्नि है।

13- ﴿وَطَعَامًا ذَا غُصَّةٍ وَعَذَابًا أَلِيمًا﴾


और भोजन, जो गले में फंस जाये और दुःखदायी यातना है।

14- ﴿يَوْمَ تَرْجُفُ الْأَرْضُ وَالْجِبَالُ وَكَانَتِ الْجِبَالُ كَثِيبًا مَهِيلًا﴾


जिस दिन काँपेगी धरती और पर्वत तथा हो जायेंगे पर्वत, भुरभुरे रेत के ढेर।

15- ﴿إِنَّا أَرْسَلْنَا إِلَيْكُمْ رَسُولًا شَاهِدًا عَلَيْكُمْ كَمَا أَرْسَلْنَا إِلَىٰ فِرْعَوْنَ رَسُولًا﴾


हमने भेजा है तुम्हारी ओर एक रसूल[1] तुमपर गवाह (साक्षी) बनाकर, जैसे फ़िरऔन की ओर एक रसूल (मूसा) को।

16- ﴿فَعَصَىٰ فِرْعَوْنُ الرَّسُولَ فَأَخَذْنَاهُ أَخْذًا وَبِيلًا﴾


तो अवज्ञा की फ़िरऔन ने उस रसूल की और हमने पकड़ लिया उसे कड़ी पकड़।

17- ﴿فَكَيْفَ تَتَّقُونَ إِنْ كَفَرْتُمْ يَوْمًا يَجْعَلُ الْوِلْدَانَ شِيبًا﴾


तो कैसे बचोगे, यदि कुफ़्र किया तुमने उस दिन से, जो बना देगा बच्चों को (शोक के कारण) बूढ़ा?

18- ﴿السَّمَاءُ مُنْفَطِرٌ بِهِ ۚ كَانَ وَعْدُهُ مَفْعُولًا﴾


आकाश फट जायेगा उस दिन। उसका वचन पूरा होकर रहेगा।

19- ﴿إِنَّ هَٰذِهِ تَذْكِرَةٌ ۖ فَمَنْ شَاءَ اتَّخَذَ إِلَىٰ رَبِّهِ سَبِيلًا﴾


वास्तव में, ये (आयतें) एक शिक्षा हैं। तो जो चाहे, अपने पालनहार की ओर राह बना ले।[1]

20- ﴿۞ إِنَّ رَبَّكَ يَعْلَمُ أَنَّكَ تَقُومُ أَدْنَىٰ مِنْ ثُلُثَيِ اللَّيْلِ وَنِصْفَهُ وَثُلُثَهُ وَطَائِفَةٌ مِنَ الَّذِينَ مَعَكَ ۚ وَاللَّهُ يُقَدِّرُ اللَّيْلَ وَالنَّهَارَ ۚ عَلِمَ أَنْ لَنْ تُحْصُوهُ فَتَابَ عَلَيْكُمْ ۖ فَاقْرَءُوا مَا تَيَسَّرَ مِنَ الْقُرْآنِ ۚ عَلِمَ أَنْ سَيَكُونُ مِنْكُمْ مَرْضَىٰ ۙ وَآخَرُونَ يَضْرِبُونَ فِي الْأَرْضِ يَبْتَغُونَ مِنْ فَضْلِ اللَّهِ ۙ وَآخَرُونَ يُقَاتِلُونَ فِي سَبِيلِ اللَّهِ ۖ فَاقْرَءُوا مَا تَيَسَّرَ مِنْهُ ۚ وَأَقِيمُوا الصَّلَاةَ وَآتُوا الزَّكَاةَ وَأَقْرِضُوا اللَّهَ قَرْضًا حَسَنًا ۚ وَمَا تُقَدِّمُوا لِأَنْفُسِكُمْ مِنْ خَيْرٍ تَجِدُوهُ عِنْدَ اللَّهِ هُوَ خَيْرًا وَأَعْظَمَ أَجْرًا ۚ وَاسْتَغْفِرُوا اللَّهَ ۖ إِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ﴾


निःसंदेह, आपका पालनहार जानता है कि आप खड़े होते हैं (तहुज्जुद की नमाज़ के लिए) दो तिहाई रात्रि के लग-भग तथा आधी रात और तिहाई रात तथा एक समूह उन लोगों का, जो आपके साथ हैं और अल्लाह ही ह़िसाब रखता है रात तथा दिन का। वह जानता है कि तुम पूरी रात नमाज़ के लिए खड़े नहीं हो सकोगे, अतः, उसने दया कर दी तुमपर। तो पढ़ो जितना सरल हो क़ुर्आन में से।[1] वह जानता है कि तुममें कुछ रोगी होंगे और कुछ दुसरे यात्रा करेंगे धरती में खोज करते हुए अल्लाह के अनुग्रह (जीविका) की और कुछ दूसरे युध्द करेंगे अल्लाह की राह में, अतः, पढ़ो जितना सरल हो उसमें से तथा स्थापना करो नमाज़ की, ज़कात देते रहो और ऋण दो अल्लाह को अच्छा ऋण[2] तथा जो भी आगे भेजोगे भलाई में से, तो उसे अल्लाह के पास पाओगे। वही उत्तम और उसका बहुत बड़ा प्रतिफल होगा और क्षमा माँगते रहो अल्लाह से, वास्तव में वह अति क्षमाशील, दयावान् है।

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: