العزيز
كلمة (عزيز) في اللغة صيغة مبالغة على وزن (فعيل) وهو من العزّة،...
वे अल्लाह की शपथ लेते हैं कि उन्होंने ये[1] बात नहीं कही। जबकि वास्तव में, उन्होंने कुफ़्र की बात कही[2] है और इस्लाम ले आने के पश्चात् काफ़िर हो गये हैं और उन्होंने ऐसी बात का निश्चय किया था, जो वे कर नहीं सके और उन्हें यही बात बुरी लगी कि अल्लाह और उसके रसूल ने उन्हें अपने अनुग्रह से धनी[3] कर दिया। अब यदि वे क्षमा याचना कर लें, तो उनके लिए उत्तम है और यदि विमुःख हों, तो अल्लाह उन्हें दुःखदायी यातना लोक तथा प्रलोक में देगा और उनका धरती में कोई संरक्षक और सहायक न होगा।