الصافات

تفسير سورة الصافات

الترجمة الهندية

हिन्दी

الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ وَالصَّافَّاتِ صَفًّا﴾

शपथ है पंक्तिवध्द (फ़रिश्तों) की!

﴿فَالزَّاجِرَاتِ زَجْرًا﴾

फिर झिड़कियाँ देने वालों की!

﴿فَالتَّالِيَاتِ ذِكْرًا﴾

फिर स्मरण करके पढ़ने वालों[1] की!

﴿إِنَّ إِلَٰهَكُمْ لَوَاحِدٌ﴾

निश्चय तुम्हारा पूज्य, एक ही है।

﴿رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَرَبُّ الْمَشَارِقِ﴾

आकाशों तथा धरती का पालनहार तथा जो कुछ उनके मध्य है और सुर्योदय होने के स्थानों का रब।

﴿إِنَّا زَيَّنَّا السَّمَاءَ الدُّنْيَا بِزِينَةٍ الْكَوَاكِبِ﴾

हमने अलंकृत किया है संसार (समीप) के आकाश को, तारों की शोभा से।

﴿وَحِفْظًا مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ مَارِدٍ﴾

तथा रक्षा करने के लिए प्रत्येक उध्दत शैतान से।

﴿لَا يَسَّمَّعُونَ إِلَى الْمَلَإِ الْأَعْلَىٰ وَيُقْذَفُونَ مِنْ كُلِّ جَانِبٍ﴾

वह नहीं सुन सकते (जाकर) उच्च सभा तक फ़रिश्तों की बात तथा मारे जाते हैं, प्रत्येक दिशा से।

﴿دُحُورًا ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ وَاصِبٌ﴾

राँदने के लिए तथा उनके लिए स्थायी यातना है।

﴿إِلَّا مَنْ خَطِفَ الْخَطْفَةَ فَأَتْبَعَهُ شِهَابٌ ثَاقِبٌ﴾

परन्तु, जो ले उड़े कुछ, तो पीछा करती है उसका दहकती ज्वाला।[1]

﴿فَاسْتَفْتِهِمْ أَهُمْ أَشَدُّ خَلْقًا أَمْ مَنْ خَلَقْنَا ۚ إِنَّا خَلَقْنَاهُمْ مِنْ طِينٍ لَازِبٍ﴾

तो आप इन (काफ़िरों) से प्रश्न करें कि क्या उन्हें पैदा करना अधिक कठिन है या जिन्हें[1] हमने पैदा किया है? हमने उन्हें[2] पैदा किया है, लेसदार मिट्टी से।

﴿بَلْ عَجِبْتَ وَيَسْخَرُونَ﴾

बल्कि आपने आश्चर्य किया (उनके अस्वीकार पर) तथा वे उपहास करते हैं।

﴿وَإِذَا ذُكِّرُوا لَا يَذْكُرُونَ﴾

और जब शिक्षा दी जाये, तो वे शिक्षा ग्रहण नहीं करते।

﴿وَإِذَا رَأَوْا آيَةً يَسْتَسْخِرُونَ﴾

और जब देखते हैं कोई निशानी, तो उपहास करने लगते हैं।

﴿وَقَالُوا إِنْ هَٰذَا إِلَّا سِحْرٌ مُبِينٌ﴾

तथा कहते हें कि ये तो मात्र खुला जादू है।

﴿أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَبْعُوثُونَ﴾

(कहते हैं कि) क्या, जब हम मर जायेंगे तथा मिट्टी और हड्डियाँ हो जायेंगे, तो हम निश्चय पुनः जीवित किये जायेंगे?

﴿أَوَآبَاؤُنَا الْأَوَّلُونَ﴾

और क्या, हमारे पहले पूर्वज भी (जीवित किये जायेंगे)?

﴿قُلْ نَعَمْ وَأَنْتُمْ دَاخِرُونَ﴾

आप कह दें कि हाँ तथा तुम अपमानित (भी) होगे!

﴿فَإِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَاحِدَةٌ فَإِذَا هُمْ يَنْظُرُونَ﴾

वो तो बस एक झिड़की होगी, फिर सहसा वे देख रहे होंगे।

﴿وَقَالُوا يَا وَيْلَنَا هَٰذَا يَوْمُ الدِّينِ﴾

तथा कहेंगेः हाय हमारा विनाश! ये तो बदले (प्रलय) का दिन है।

﴿هَٰذَا يَوْمُ الْفَصْلِ الَّذِي كُنْتُمْ بِهِ تُكَذِّبُونَ﴾

यही निर्णय का दिन है, जिसे तुम झुठला रहे थे।

﴿۞ احْشُرُوا الَّذِينَ ظَلَمُوا وَأَزْوَاجَهُمْ وَمَا كَانُوا يَعْبُدُونَ﴾

(आदेश होगा कि) घेर लाओ सब अत्याचारियों को तथा उनके साथियों को और जिसकी वे इबादत (वंदना) कर रहे थे।

﴿مِنْ دُونِ اللَّهِ فَاهْدُوهُمْ إِلَىٰ صِرَاطِ الْجَحِيمِ﴾

अल्लाह के सिवा। फिर दिखा दो उन्हें नरक की राह।

﴿وَقِفُوهُمْ ۖ إِنَّهُمْ مَسْئُولُونَ﴾

और उन्हें रोक[1] लो। उनसे प्रश्न किया जाये।

﴿مَا لَكُمْ لَا تَنَاصَرُونَ﴾

क्या हो गया है तुम्हें कि एक-दूसरे की सहायता नहीं करते?

﴿بَلْ هُمُ الْيَوْمَ مُسْتَسْلِمُونَ﴾

बल्कि वे उस दिन, सिर झुकाये खड़े होंगे।

﴿وَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ﴾

और एक-दूसरे के सम्मुख होकर परस्पर प्रश्न करेंगेः[1]

﴿قَالُوا إِنَّكُمْ كُنْتُمْ تَأْتُونَنَا عَنِ الْيَمِينِ﴾

कहेंगे कि तुम हमारे पास आया करते थे दायें[1] से।

﴿قَالُوا بَلْ لَمْ تَكُونُوا مُؤْمِنِينَ﴾

वे[1] कहेंगेः बल्कि तुम स्वयं ईमान वाले न थे।

﴿وَمَا كَانَ لَنَا عَلَيْكُمْ مِنْ سُلْطَانٍ ۖ بَلْ كُنْتُمْ قَوْمًا طَاغِينَ﴾

तथा नहीं था हमारा तुमपर कोई अधिकार,[1] बल्कि तुम सवंय अवज्ञाकारी थे।

﴿فَحَقَّ عَلَيْنَا قَوْلُ رَبِّنَا ۖ إِنَّا لَذَائِقُونَ﴾

तो सिध्द हो गया हमपर हमारे पालनहार का कथन कि हम (यातना) चखने वाले हैं।

﴿فَأَغْوَيْنَاكُمْ إِنَّا كُنَّا غَاوِينَ﴾

तो हमने तुम्हें कुपथ कर दिया। हम तो स्वयं कुपथ थे।

﴿فَإِنَّهُمْ يَوْمَئِذٍ فِي الْعَذَابِ مُشْتَرِكُونَ﴾

फिर वे सभी, उस दिन यातना में साझी होंगे।

﴿إِنَّا كَذَٰلِكَ نَفْعَلُ بِالْمُجْرِمِينَ﴾

हम, इसी प्रकार, किया करते हैं अपराधियों के साथ।

﴿إِنَّهُمْ كَانُوا إِذَا قِيلَ لَهُمْ لَا إِلَٰهَ إِلَّا اللَّهُ يَسْتَكْبِرُونَ﴾

ये वो हैं कि जब कहा जाता था उनसे कि कोई पूज्य (वंदनीय) नहीं अल्लाह के अतिरिक्त, तो वे अभिमान करते थे।

﴿وَيَقُولُونَ أَئِنَّا لَتَارِكُو آلِهَتِنَا لِشَاعِرٍ مَجْنُونٍ﴾

तथा कह रहे थेः क्या हम त्याग देने वाले हैं अपने पूज्यों को, एक उन्मत कवि के कारण?

﴿بَلْ جَاءَ بِالْحَقِّ وَصَدَّقَ الْمُرْسَلِينَ﴾

बल्कि वह (नबी) सच लाये हैं तथा पुष्टि की है, सब रसूलों की।

﴿إِنَّكُمْ لَذَائِقُو الْعَذَابِ الْأَلِيمِ﴾

निश्चय तुम दुःखदायी यातना चखने वाले हो।

﴿وَمَا تُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ﴾

तथा तुम उसका प्रतिकार (बदला) दिये जाओगे, जो तुम कर रहे थे।

﴿إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ﴾

परन्तु अल्लाह के शुध्द भक्त।

﴿أُولَٰئِكَ لَهُمْ رِزْقٌ مَعْلُومٌ﴾

यही हैं, जिनके लिए विदित जीविका है।

﴿فَوَاكِهُ ۖ وَهُمْ مُكْرَمُونَ﴾

प्रत्येक प्रकार के फल तथा यही आदरणीय होंगे।

﴿فِي جَنَّاتِ النَّعِيمِ﴾

सुख के स्वर्गों में।

﴿عَلَىٰ سُرُرٍ مُتَقَابِلِينَ﴾

आसनों पर एक-दूसरे के सम्मुख असीन होंगे।

﴿يُطَافُ عَلَيْهِمْ بِكَأْسٍ مِنْ مَعِينٍ﴾

फिराये जायेंगे इनपर प्याले, प्रवाहित पेय के।

﴿بَيْضَاءَ لَذَّةٍ لِلشَّارِبِينَ﴾

श्वेत आस्वात पीने वालों के लिए।

﴿لَا فِيهَا غَوْلٌ وَلَا هُمْ عَنْهَا يُنْزَفُونَ﴾

नहीं होगी उसमें शारिरिक पीड़ा, न वे उसमें बहकेंगे।

﴿وَعِنْدَهُمْ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ عِينٌ﴾

तथा उनके पास आँखे झुकाये, (सति) बड़ी आँखों वाली (नारियाँ) होंगी।

﴿كَأَنَّهُنَّ بَيْضٌ مَكْنُونٌ﴾

वह छुपाये हुए अन्डों के मानिन्द होंगी।[1]

﴿فَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ﴾

वह एक-दूसरे से सम्मुख होकर प्रश्न करेंगे।

﴿قَالَ قَائِلٌ مِنْهُمْ إِنِّي كَانَ لِي قَرِينٌ﴾

तो कहेगा एक कहने वाला उनमें सेः मेरा एक साथी था।

﴿يَقُولُ أَإِنَّكَ لَمِنَ الْمُصَدِّقِينَ﴾

जो कहता था कि क्या तुम (प्रलय का) विश्वास करने वालों में से हो?

﴿أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَدِينُونَ﴾

क्या जब हम, मर जायेंगे तथा मिट्टी और अस्थियाँ हो जायेंगे, तो क्या हमें (कर्मों) का प्रतिफल दिया जायेगा?

﴿قَالَ هَلْ أَنْتُمْ مُطَّلِعُونَ﴾

वह कहेगाः क्या तुम झाँककर देखने वाले हो?

﴿فَاطَّلَعَ فَرَآهُ فِي سَوَاءِ الْجَحِيمِ﴾

फिर झाँकते ही उसे देख लेगा, नरक के बीच।

﴿قَالَ تَاللَّهِ إِنْ كِدْتَ لَتُرْدِينِ﴾

उससे कहेगाः अल्लाह की शपथ! तुम तो मेरा विनाश कर देने के समीप थे।

﴿وَلَوْلَا نِعْمَةُ رَبِّي لَكُنْتُ مِنَ الْمُحْضَرِينَ﴾

और यदि मेरे पालनहार का अनुग्रह न होता, तो मैं (नरक के) उपस्थितों में होता।

﴿أَفَمَا نَحْنُ بِمَيِّتِينَ﴾

फिर वह कहेगाः क्या (ये सही नहीं है कि) हम मरने वाले नहीं हैं?

﴿إِلَّا مَوْتَتَنَا الْأُولَىٰ وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ﴾

सिवाय अपनी प्रथम मौत के और न हमें यातना दी जायेगी।

﴿إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ﴾

वास्तव में, यही बड़ी सफलता है।

﴿لِمِثْلِ هَٰذَا فَلْيَعْمَلِ الْعَامِلُونَ﴾

इसी (जैसी सफलता) के लिए चाहिये कि कर्म करें, कर्म करने वाले।

﴿أَذَٰلِكَ خَيْرٌ نُزُلًا أَمْ شَجَرَةُ الزَّقُّومِ﴾

क्या ये आतिथ्य उत्तम है अथवा थोहड़ का वृक्ष?

﴿إِنَّا جَعَلْنَاهَا فِتْنَةً لِلظَّالِمِينَ﴾

हमने उसे अत्याचारियों के लिए एक परीक्षा बनाया है।

﴿إِنَّهَا شَجَرَةٌ تَخْرُجُ فِي أَصْلِ الْجَحِيمِ﴾

वह एक वृक्ष है, जो नरक की जड़ (तह) से निकलता है।

﴿طَلْعُهَا كَأَنَّهُ رُءُوسُ الشَّيَاطِينِ﴾

उसके गुच्छे शैतानों के सिरों के समान हैं।

﴿فَإِنَّهُمْ لَآكِلُونَ مِنْهَا فَمَالِئُونَ مِنْهَا الْبُطُونَ﴾

तो वे (नरक वासी) खाने वाले हैं, उससे। फिर भरने वाले हैं, उससे अपने पेट।

﴿ثُمَّ إِنَّ لَهُمْ عَلَيْهَا لَشَوْبًا مِنْ حَمِيمٍ﴾

फिर उनके लिए उसके ऊपर से खौलता गरम पानी है।

﴿ثُمَّ إِنَّ مَرْجِعَهُمْ لَإِلَى الْجَحِيمِ﴾

फिर उन्हें प्रत्यागत होना है, नरक की ओर।

﴿إِنَّهُمْ أَلْفَوْا آبَاءَهُمْ ضَالِّينَ﴾

वास्तव में, उन्होंने पाया अपने पूर्वजों को कुपथ।

﴿فَهُمْ عَلَىٰ آثَارِهِمْ يُهْرَعُونَ﴾

फिर वे उन्हीं के पद्चिन्हों पर[1] दौड़े चले जा रहे हैं।

﴿وَلَقَدْ ضَلَّ قَبْلَهُمْ أَكْثَرُ الْأَوَّلِينَ﴾

और कुपथ हो चुके हैं, इनसे पूर्व अगले लोगों में से अधिक्तर।

﴿وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا فِيهِمْ مُنْذِرِينَ﴾

तथा हम भेज चुके हैं उनमें, सचेत (सावधान) करने वाले।

﴿فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُنْذَرِينَ﴾

तो देखो कि कैसा रहा सावधान किये हुए लोगों का परिणाम?[1]

﴿إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ﴾

हमारे शुध्द भक्तों के सिवा।

﴿وَلَقَدْ نَادَانَا نُوحٌ فَلَنِعْمَ الْمُجِيبُونَ﴾

तथा हमें पुकारा नूह़ नेः तो हम क्या ही अच्छे प्रार्थना स्वीकार करने वाले हैं।

﴿وَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ﴾

और हमने बचा लिया उसे और उसके परिजनों को, घोर आपदा से।

﴿وَجَعَلْنَا ذُرِّيَّتَهُ هُمُ الْبَاقِينَ﴾

तथा कर दिया हमने उसकी संतति को, शेष[1] रह जाने वालों में से।

﴿وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ﴾

तथा शेष रखा हमने उसकी सराहना तथा प्रशंसा को पिछलों में।

﴿سَلَامٌ عَلَىٰ نُوحٍ فِي الْعَالَمِينَ﴾

सलाम (सुरक्षा)[1] है नूह़ के लिए समस्त विश्ववासियों में।

﴿إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ﴾

इसी प्रकार, हम प्रतिफल प्रदान करते हैं सदाचारियों को।

﴿إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ﴾

वास्तव में, वह हमारे ईमान वाले भक्तों में से था।

﴿ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ﴾

फिर हमने जलमगन कर दिया दूसरों को।

﴿۞ وَإِنَّ مِنْ شِيعَتِهِ لَإِبْرَاهِيمَ﴾

और उसके अनुयायियों में निश्चय इब्राहीम है।

﴿إِذْ جَاءَ رَبَّهُ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ﴾

जब लाया वह अपने पालनहार के पास स्वच्छ दिल।

﴿إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَاذَا تَعْبُدُونَ﴾

जब कहा उसने अपने पिता तथा अपनी जाति सेः तुम किसकी इबादत (वंदना) कर रहे हो?

﴿أَئِفْكًا آلِهَةً دُونَ اللَّهِ تُرِيدُونَ﴾

क्या अपने बनाये हुए पूज्यों को अल्लाह के सिवा चाहते हो?

﴿فَمَا ظَنُّكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ﴾

तो तुम्हारा क्या विचार है, विश्व के पालनहार के विषय में?

﴿فَنَظَرَ نَظْرَةً فِي النُّجُومِ﴾

फिर उसने देखा तोरों की[1] ओर।

﴿فَقَالَ إِنِّي سَقِيمٌ﴾

तथा उनसे कहाः मैं रोगी हूँ।

﴿فَتَوَلَّوْا عَنْهُ مُدْبِرِينَ﴾

तो उसे छोड़कर चले गये।

﴿فَرَاغَ إِلَىٰ آلِهَتِهِمْ فَقَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ﴾

फिर वह जा पहुँचा, उनके उपास्यों (पूज्यों) की ओर। कहा कि (वे प्रसाद) क्यों नहीं खाते?

﴿مَا لَكُمْ لَا تَنْطِقُونَ﴾

तुम्हें क्या हुआ है कि बोलते नहीं?

﴿فَرَاغَ عَلَيْهِمْ ضَرْبًا بِالْيَمِينِ﴾

फिर पिल पड़ा उनपर मारते हुए, दायें हाथ से।

﴿فَأَقْبَلُوا إِلَيْهِ يَزِفُّونَ﴾

तो वे आये उसकी ओर दौड़ते हुए।

﴿قَالَ أَتَعْبُدُونَ مَا تَنْحِتُونَ﴾

इब्राहीम ने कहाः क्या तुम इबादत (वंदना) करते हो उसकी जिसे, पत्थरों से तराश्ते हो?

﴿وَاللَّهُ خَلَقَكُمْ وَمَا تَعْمَلُونَ﴾

जबकि अल्लाह ने पैदा किया है तुम्हें तथा जो तुम करते हो।

﴿قَالُوا ابْنُوا لَهُ بُنْيَانًا فَأَلْقُوهُ فِي الْجَحِيمِ﴾

उन्होंने कहाः इसके लिए एक (अग्निशाला का) निर्माण करो और उसे झोंक दो दहकती अग्नि में।

﴿فَأَرَادُوا بِهِ كَيْدًا فَجَعَلْنَاهُمُ الْأَسْفَلِينَ﴾

तो उन्होंने उसके साथ षड्यंत्र रचा, तो हमने उन्हीं को नीचा कर दिया।

﴿وَقَالَ إِنِّي ذَاهِبٌ إِلَىٰ رَبِّي سَيَهْدِينِ﴾

तथा उसने कहाः मैं जाने वाला हूँ अपने पालनहार की[1] ओर। वह मुझे सुपथ दर्शायेगा।

﴿رَبِّ هَبْ لِي مِنَ الصَّالِحِينَ﴾

हे मेरे पालनहार! प्रदान कर मुझे, एक सदाचारी (पुनीत) पुत्र।

﴿فَبَشَّرْنَاهُ بِغُلَامٍ حَلِيمٍ﴾

तो हमने शुभ सूचना दी उसे, एक सहनशील पुत्र की।

﴿فَلَمَّا بَلَغَ مَعَهُ السَّعْيَ قَالَ يَا بُنَيَّ إِنِّي أَرَىٰ فِي الْمَنَامِ أَنِّي أَذْبَحُكَ فَانْظُرْ مَاذَا تَرَىٰ ۚ قَالَ يَا أَبَتِ افْعَلْ مَا تُؤْمَرُ ۖ سَتَجِدُنِي إِنْ شَاءَ اللَّهُ مِنَ الصَّابِرِينَ﴾

फिर जब वह पहुँचा उसके साथ चलने-फिरने की आयु को, तो इब्राहीम ने कहाः हे मेरे प्रिय पुत्र! मैं देख रहा हूँ स्वप्न में कि मैं तुझे वध कर रहा हूँ। अब, तू बता कि तेरा क्या विचार है? उसने कहाः हे पिता! पालन करें, जिसका आदेश आपको दिया जा रहा है। आप पायेंगे मुझे सहनशीलों में से, यदि अल्लाह की इच्छा हूई।

﴿فَلَمَّا أَسْلَمَا وَتَلَّهُ لِلْجَبِينِ﴾

अन्ततः, जब दोनों ने स्वयं को अर्पित कर दिया और उस (पिता) ने उसे गिरा दिया माथे के बल।

﴿وَنَادَيْنَاهُ أَنْ يَا إِبْرَاهِيمُ﴾

तब हमने उसे आवाज़ दी कि हे इब्राहीम!

﴿قَدْ صَدَّقْتَ الرُّؤْيَا ۚ إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ﴾

तूने सच कर दिया अपना स्वप्न। इसी प्रकार, हम प्रतिफल प्रदान करते हैं सदाचारियों को।

﴿إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ الْبَلَاءُ الْمُبِينُ﴾

वास्तव में, ये खुली परीक्षा थी।

﴿وَفَدَيْنَاهُ بِذِبْحٍ عَظِيمٍ﴾

और हमने उसके मुक्ति-प्रतिदान के रूप में, प्रदान कर दी एक महान[1] बली।

﴿وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ﴾

तथा हमने शेष रखी उसकी शुभ चर्चा पिछलों में।

﴿سَلَامٌ عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ﴾

सलाम है इब्रीम पर।

﴿كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ﴾

इसी प्रकार, हम प्रतिफल प्रदान करते हैं सदाचारियों को।

﴿إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ﴾

निश्चय ही वह हमारे ईमान वाले भक्तों में से था।

﴿وَبَشَّرْنَاهُ بِإِسْحَاقَ نَبِيًّا مِنَ الصَّالِحِينَ﴾

तथा हमने उसे शुभसूचना दी इस्ह़ाक़ नबी की, जो सदाचारियों में[1] होगा।

﴿وَبَارَكْنَا عَلَيْهِ وَعَلَىٰ إِسْحَاقَ ۚ وَمِنْ ذُرِّيَّتِهِمَا مُحْسِنٌ وَظَالِمٌ لِنَفْسِهِ مُبِينٌ﴾

तथा हमने बरकत (विभूति) अवतरिक की उसपर तथा इस्ह़ाक़ पर और उन दोनों की संतति में से कोई सदाचारी है और कोई अपने लिए खुला अत्याचारी।

﴿وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَارُونَ﴾

तथा हमने उपकार किया मूसा और हारून पर।

﴿وَنَجَّيْنَاهُمَا وَقَوْمَهُمَا مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ﴾

तथा मुक्त किया दोनों को और उनकी जाति को, घोर व्यग्रता से।

﴿وَنَصَرْنَاهُمْ فَكَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ﴾

तथा हमने सहायता की उनकी, तो वही प्रभावशाली हो गये।

﴿وَآتَيْنَاهُمَا الْكِتَابَ الْمُسْتَبِينَ﴾

तथा हमने प्रदान की दोनों को प्रकाशमय पुस्तक (तौरात)।

﴿وَهَدَيْنَاهُمَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ﴾

और हमने दर्शाई दोनों को सीधी डगर।

﴿وَتَرَكْنَا عَلَيْهِمَا فِي الْآخِرِينَ﴾

तथा शेष रखी दोनों की शुभ चर्चा, पिछलों में।

﴿سَلَامٌ عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَارُونَ﴾

सलाम है मूसा तथा हारून पर।

﴿إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ﴾

हम इसी प्रकार प्रतिफल प्रदान करते हैं, सदाचारियों को।

﴿إِنَّهُمَا مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ﴾

वस्तुतः, वे दोनों हमारे ईमान वाले भक्तों में थे।

﴿وَإِنَّ إِلْيَاسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ﴾

तथा निश्चय इल्यास, नबियों में से था।

﴿إِذْ قَالَ لِقَوْمِهِ أَلَا تَتَّقُونَ﴾

जब कहा उसने अपनी जाति सेः क्या तुम डरते नहीं हो?

﴿أَتَدْعُونَ بَعْلًا وَتَذَرُونَ أَحْسَنَ الْخَالِقِينَ﴾

क्या तुम बअल ( नामक मूर्ति) को पुकारते हो? तथा त्याग रहे हो सर्वोत्तम उत्पत्तिकर्ता को?

﴿اللَّهَ رَبَّكُمْ وَرَبَّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ﴾

अल्लाह ही तुम्हारा पालनहार है तथा तुम्हारे प्रथम पूर्वजों का पालनहार है।

﴿فَكَذَّبُوهُ فَإِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ﴾

अन्ततः, उन्होंने झुठला दिया उसे। तो निश्चय वही (नरक में) उपस्थित होंगे।

﴿إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ﴾

किन्तु, अल्लाह के शुध्द भक्त।

﴿وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ﴾

तथा शेष रखी हमने उसकी शुभ चर्चा पिछलों में।

﴿سَلَامٌ عَلَىٰ إِلْ يَاسِينَ﴾

सलाम है इल्यासीन[1] पर।

﴿إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ﴾

वास्तव में, हम इसी प्रकार प्रतिफल प्रदान करते हैं, सदाचारियों को।

﴿إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ﴾

वस्तुतः, वह हमारे ईमान वाले भक्तों में से था।

﴿وَإِنَّ لُوطًا لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ﴾

तथा निश्चय लूत नबियों में से था।

﴿إِذْ نَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ﴾

जब हमने मुक्त किया उसे तथा उसके सबपरिजनों को।

﴿إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ﴾

एक बुढ़िया[1] के सिवा, जो पीछे रह जाने वालों में थी।

﴿ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ﴾

फिर हमने अन्यों को तहस-नहस कर दिया।

﴿وَإِنَّكُمْ لَتَمُرُّونَ عَلَيْهِمْ مُصْبِحِينَ﴾

तथा तुम[1] ग़ुज़रते हो उन (की निर्जीव बस्तियों) पर, प्रातः के समय।

﴿وَبِاللَّيْلِ ۗ أَفَلَا تَعْقِلُونَ﴾

तथा रात्रि में। तो क्या तुम समझते नहीं हो?

﴿وَإِنَّ يُونُسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ﴾

तथा निश्चय यूनुस नबियों में से था।

﴿إِذْ أَبَقَ إِلَى الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ﴾

जब वह भाग[1] गया भरी नाव की ओर।

﴿فَسَاهَمَ فَكَانَ مِنَ الْمُدْحَضِينَ﴾

फिर नाम निकाला गया, तो वह हो गया फेंके हुओं में से।

﴿فَالْتَقَمَهُ الْحُوتُ وَهُوَ مُلِيمٌ﴾

तो निगल लिया उसे मछली ने और वह निन्दित था।

﴿فَلَوْلَا أَنَّهُ كَانَ مِنَ الْمُسَبِّحِينَ﴾

तो यदि न होता अल्लाह की पवित्रता का वर्णन करने वालों में।

﴿لَلَبِثَ فِي بَطْنِهِ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ﴾

तो वह रह जाता उसके उदर में उस दिन तक, जब सब पुनः जीवित किये[1] जायेंगे।

﴿۞ فَنَبَذْنَاهُ بِالْعَرَاءِ وَهُوَ سَقِيمٌ﴾

तो हमने फेंक दिया उसे खुले मैदान में और वह रोगी[1] था।

﴿وَأَنْبَتْنَا عَلَيْهِ شَجَرَةً مِنْ يَقْطِينٍ﴾

और उगा दिया उस[1] पर लताओं का एक वृक्ष।

﴿وَأَرْسَلْنَاهُ إِلَىٰ مِائَةِ أَلْفٍ أَوْ يَزِيدُونَ﴾

तथा हमने उसे रसूल बनाकर भेजा एक लाख, बल्कि अधिक की ओर।

﴿فَآمَنُوا فَمَتَّعْنَاهُمْ إِلَىٰ حِينٍ﴾

तो वे ईमान लाये। फिर हमने उन्हें सुख-सुविधा प्रदान की एक समय[1] तक।

﴿فَاسْتَفْتِهِمْ أَلِرَبِّكَ الْبَنَاتُ وَلَهُمُ الْبَنُونَ﴾

तो (हे नबी!) आप उनसे प्रश्न करें कि क्या आपके पालनहार के लिए तो पुत्रियाँ हों और उनके लिए पुत्र?

﴿أَمْ خَلَقْنَا الْمَلَائِكَةَ إِنَاثًا وَهُمْ شَاهِدُونَ﴾

अथवा किया हमने पैदा किया है फ़रिश्तों को नारियाँ और वे उस समय उपस्थित[1] थे?

﴿أَلَا إِنَّهُمْ مِنْ إِفْكِهِمْ لَيَقُولُونَ﴾

सावधान! वास्तव में, वे अपने मन से बनाकर ये बात कह रहे हैं।

﴿وَلَدَ اللَّهُ وَإِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ﴾

शपथ है पंक्तिवध्द (फ़रिश्तों) की!

﴿أَصْطَفَى الْبَنَاتِ عَلَى الْبَنِينَ﴾

क्या अल्लाह ने प्राथमिक्ता दी है पुत्रियों को, पुत्रों पर?

﴿مَا لَكُمْ كَيْفَ تَحْكُمُونَ﴾

तुम्हें क्या हो गया है, तुम कैसा निर्णय दे रहे हो?

﴿أَفَلَا تَذَكَّرُونَ﴾

तो क्या तुम शिक्षा ग्रहण नहीं करते?

﴿أَمْ لَكُمْ سُلْطَانٌ مُبِينٌ﴾

अथवा तुम्हारे पास कोई प्रत्यक्ष प्रमाण है?

﴿فَأْتُوا بِكِتَابِكُمْ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ﴾

तो अपनी पुस्तक लाओ, यदि तुम सत्यवादी हो?

﴿وَجَعَلُوا بَيْنَهُ وَبَيْنَ الْجِنَّةِ نَسَبًا ۚ وَلَقَدْ عَلِمَتِ الْجِنَّةُ إِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ﴾

और उन्होंने बना दिया अल्लाह तथा जिन्नों के मध्य, वंश-संबंध। जबकि जिन्न स्वयं जानते हैं कि वे अल्लाह के समक्ष निश्चय उपस्थित किये[1] जायेंगे।

﴿سُبْحَانَ اللَّهِ عَمَّا يَصِفُونَ﴾

अल्लाह पवित्र है उन गुणों से, जिनका वे वर्णन कर रहे हैं।

﴿إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ﴾

परन्तु, अल्लाह के शुध्द भक्त।[1]

﴿فَإِنَّكُمْ وَمَا تَعْبُدُونَ﴾

तो निश्चय तुम तथा तुम्हारे पूज्य।

﴿مَا أَنْتُمْ عَلَيْهِ بِفَاتِنِينَ﴾

तुम सब किसी एक को भी कुपथ नहीं कर सकते।

﴿إِلَّا مَنْ هُوَ صَالِ الْجَحِيمِ﴾

उसके सिवा, जो नरक में झोंका जाने वाला है।

﴿وَمَا مِنَّا إِلَّا لَهُ مَقَامٌ مَعْلُومٌ﴾

और नहीं है हम (फ़रिश्तों) में से कोई, परन्तु उसका एक नियमित स्थान है।

﴿وَإِنَّا لَنَحْنُ الصَّافُّونَ﴾

तथा हम ही (आज्ञापालन के लिए) पंक्तिवध्द हैं।

﴿وَإِنَّا لَنَحْنُ الْمُسَبِّحُونَ﴾

और हम ही तस्बीह़ (पवित्रता गान) करने वाले हैं।

﴿وَإِنْ كَانُوا لَيَقُولُونَ﴾

तथा वे (मुश्रिक) तो कहा करते थे किः

﴿لَوْ أَنَّ عِنْدَنَا ذِكْرًا مِنَ الْأَوَّلِينَ﴾

यदि हमारे पास कोई स्मृति (पुस्तक) होती, जो पहले लोगों में आई......

﴿لَكُنَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ﴾

तो हम अवश्य अल्लाह के शुध्द भक्तों में हो जाते।

﴿فَكَفَرُوا بِهِ ۖ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ﴾

(फिर जब आ गयी) तो उन्होंने क़ुर्आन के साथ कुफ़्र कर दिया, अतः, शीघ्र ही उन्हें ज्ञान हो जायेगा।

﴿وَلَقَدْ سَبَقَتْ كَلِمَتُنَا لِعِبَادِنَا الْمُرْسَلِينَ﴾

और पहले ही हमारा वचन हो चुका है अपने भेजे हुए भक्तों के लिए।

﴿إِنَّهُمْ لَهُمُ الْمَنْصُورُونَ﴾

कि निश्चय उन्हीं की सहायता की जायेगी।

﴿وَإِنَّ جُنْدَنَا لَهُمُ الْغَالِبُونَ﴾

तथा वास्तव में हमारी सेना ही प्रभावशाली (विजयी) होने वाली है।

﴿فَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّىٰ حِينٍ﴾

तो आप मुँह फेर लें उनसे, कुछ समय तक।

﴿وَأَبْصِرْهُمْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ﴾

तथा उन्हें देखते रहें। वे भी शीघ्र ही देख लेंगे।

﴿أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ﴾

तो क्या, वे हमारी यातना की शीघ्र माँग कर रहे हैं।

﴿فَإِذَا نَزَلَ بِسَاحَتِهِمْ فَسَاءَ صَبَاحُ الْمُنْذَرِينَ﴾

तो जब वह उतर आयेगी उनके मैदानों में, तो बुरा हो जायेगा सावधान किये हुओं का सवेरा।

﴿وَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّىٰ حِينٍ﴾

और आप मुँह फेर लें उनसे, कुछ समय तक।

﴿وَأَبْصِرْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ﴾

तथा देखते रहें, अन्ततः वे (भी) देख लेंगे।

﴿سُبْحَانَ رَبِّكَ رَبِّ الْعِزَّةِ عَمَّا يَصِفُونَ﴾

पवित्र है आपका पालनहार, गौरव का स्वामी, उस बात से, जो वे बना रहे हैं।

﴿وَسَلَامٌ عَلَى الْمُرْسَلِينَ﴾

तथा सलाम है रसूलों पर।

﴿وَالْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ﴾

तथा सभी प्रशंसा, अल्लाह, सर्वलोक के पालनहार के लिए है।

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: