الآخر
(الآخِر) كلمة تدل على الترتيب، وهو اسمٌ من أسماء الله الحسنى،...
निःसंदेह, हमने भेजा नूह़ को उसकी जाति की ओर कि सावधान कर अपनी जाति को, इससे पूर्व कि आये उनके पास, दूःखदायी यातना।
उसने कहाः हे मेरी जाति! वास्तव में, मैं खुला सावधान करने वाला हूँ, तुम्हें।
कि इबादत (वंदना) करो अल्लाह की तथा डरो उससे और बात मानो मेरी।
वह क्षमा कर देगा तुमहारे लिए तुम्हारे पापों को तथा अवसर देगा तुम्हें निर्धारित समय[1] तक। वास्तव में, जब अल्लाह का निर्धारित समय आ जायेगा, तो उसमें देर न होगी। काश तुम जानते!
नूह़ ने कहाः मेरे पालनहार! मैंने बुलाया अपनी जाति को (तेरी ओर) रात और दिन।
और मैंने जब-जब उन्हें बुलाया, तो उन्होंने दे लीं अपनी उँगलियाँ अपने कानों में तथा ओढ़ लिए अपने कपड़े[1] तथा अड़े रह गये और बड़ा घमण्ड किया।
फिर मैंने उनसे खुलकर कहा और उनसे धीरे-धीरे (भी) कहा।
मैंने कहाः क्षमा माँगो अपने पालनहार से, वास्तव में वह बड़ा क्षमाशील है।
तथा अधिक देगा तुम्हें पुत्र तथा धन और बना देगा तुम्हारे लिए बाग़ तथा नहरें।
क्या हो गया है तुम्हें कि नहीं डरते हो अल्लाह की महिमा से?
क्या तुमने नहीं देखा कि कैसे पैदा किये हैं अल्लाह ने सात आकाश, ऊपर-तले?
और बनाया है चन्द्रमा को उनमें प्रकाश और बनाया है सूर्य को प्रदीप।
और अल्लाह ही ने उगाया है तुम्हें धरती[1] से अद्भुत रूप से।
फिर वह वापस ले जायेगा तुम्हें उसमें और निकालेगा तुम्हें उससे।
नूह ने निवेदन कियाः मेरे पालनहार! उन्होंने मेरी अवज्ञा की और अनुसरण किया उसका[1] जिसके धन और संतान ने उसकी क्षति ही को बढ़ाया।
और उन्होंने कहाः तुम कदापि न छोड़ना अपने पूज्यों को और कदापि न छोड़ना वद्द को, न सुवाअ को और न यग़ूस को और न यऊक़ को तथा न नस्र[1] को।
और कुपथ (गुमराह) कर दिया है उन्होंने बहुतों को और अधिक कर दे तू भी अत्याचारियों के कुपथ[1] (कुमार्ग) को।
वे अपने पापों के कारण डुबो दिये गये, फिर पहुँचा दिये गये नरक में और नहीं पाया उन्होंने अपने लिए अल्लाह के मुक़ाबले में कोई सहायक।
तथा कहा नूह़ नेः मेरे पालनहार! न छोड़ धरती पर काफ़िरों का कोई घराना।
क्योंकि यदि तू उन्हें छोड़ेगा, तो वे कुपथ करेंगे तेरे भक्तों को और नहीं जन्म देंगे, परन्तु दुष्कर्मी, बड़े काफ़िर को।
मेर पालनहार! क्षमा कर दे मुझे तथा मेरे माता-पिता को और उसे, जो प्रवेश करे मेरे घर में ईमान लाकर तथा ईमान वालों और ईमान वालियों को तथा काफ़िरों के विनाश ही को अधिक कर।