القلم

تفسير سورة القلم

الترجمة الهندية

हिन्दी

الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ ن ۚ وَالْقَلَمِ وَمَا يَسْطُرُونَ﴾

नून और शपथ है लेखनी (क़लम) की तथा उसकी[1] जिसे वो लिखते हैं।

﴿مَا أَنْتَ بِنِعْمَةِ رَبِّكَ بِمَجْنُونٍ﴾

नहीं है आप, अपने पालनहार के अनुग्रह से पागल।

﴿وَإِنَّ لَكَ لَأَجْرًا غَيْرَ مَمْنُونٍ﴾

तथा निश्चय प्रतिफल (बदला) है आपके लिए अनन्त।

﴿وَإِنَّكَ لَعَلَىٰ خُلُقٍ عَظِيمٍ﴾

तथा निश्चय ही आप बड़े सुशील हैं।

﴿فَسَتُبْصِرُ وَيُبْصِرُونَ﴾

तो शीघ्र आप देख लेंगे तथा वे (काफ़िर भी) देख लेंगे।

﴿بِأَيْيِكُمُ الْمَفْتُونُ﴾

कि पागल कौन है।

﴿إِنَّ رَبَّكَ هُوَ أَعْلَمُ بِمَنْ ضَلَّ عَنْ سَبِيلِهِ وَهُوَ أَعْلَمُ بِالْمُهْتَدِينَ﴾

वास्तव में, आपका पालनहार ही अधिक जानता है उसे, जो कुपथ हो गया उसकी राह से और वही अधिक जानता है उन्हें, जो सीधी राह पर हैं।

﴿فَلَا تُطِعِ الْمُكَذِّبِينَ﴾

तो आप बात न मानें झुठलाने वालों की।

﴿وَدُّوا لَوْ تُدْهِنُ فَيُدْهِنُونَ﴾

वे चाहते हैं कि आप ढीले हो जायें, तो वे भी ढीले हो[1] जायें।

﴿وَلَا تُطِعْ كُلَّ حَلَّافٍ مَهِينٍ﴾

और बात न मानें[1] आप किसी अधिक शपथ लेने वाले, हीन व्यक्ति की।

﴿هَمَّازٍ مَشَّاءٍ بِنَمِيمٍ﴾

जो व्यंग करने वाला, चुगलियाँ खाता फिरता है।

﴿مَنَّاعٍ لِلْخَيْرِ مُعْتَدٍ أَثِيمٍ﴾

भलाई से रोकने वाला, अत्याचारी, बडा पापी है।

﴿عُتُلٍّ بَعْدَ ذَٰلِكَ زَنِيمٍ﴾

घमंडी है और इसके पश्चात् कुवंश (वर्ण संकर) है।

﴿أَنْ كَانَ ذَا مَالٍ وَبَنِينَ﴾

इसलिए कि वह धन तथा पुत्रों वाला है।

﴿إِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِ آيَاتُنَا قَالَ أَسَاطِيرُ الْأَوَّلِينَ﴾

जब पढ़ी जाती है उसपर हमारी आयतें, तो कहता हैः ये पूर्वजों की कल्पित कथायें हैं।

﴿سَنَسِمُهُ عَلَى الْخُرْطُومِ﴾

शीघ्र ही हम दाग़ लगा देंगे उसके सूंड[1] पर।

﴿إِنَّا بَلَوْنَاهُمْ كَمَا بَلَوْنَا أَصْحَابَ الْجَنَّةِ إِذْ أَقْسَمُوا لَيَصْرِمُنَّهَا مُصْبِحِينَ﴾

निःसंदेह, हमने उन्हें परीक्षा में डाला[1] है, जिस प्रकार बाग़ वालों को परीक्षा में डाला था। जब उन्होंने शपथ ली कि अवश्य तोड़ लेंगे उसके फल भोर होते ही।

﴿وَلَا يَسْتَثْنُونَ﴾

और इन् शा अल्लाह (यदि अल्लाह ने चाहा) नहीं कहा।

﴿فَطَافَ عَلَيْهَا طَائِفٌ مِنْ رَبِّكَ وَهُمْ نَائِمُونَ﴾

तो फिर गया उस बाग़ पर एक कुचक्र, आपके पालनहार की ओर से और वे सोये हुए थे।

﴿فَأَصْبَحَتْ كَالصَّرِيمِ﴾

तो वह हो गया जैसे उजाड़ खेती हो।

﴿فَتَنَادَوْا مُصْبِحِينَ﴾

अब वे एक-दूसरे को पुकारने लगे भोर होते हीः

﴿أَنِ اغْدُوا عَلَىٰ حَرْثِكُمْ إِنْ كُنْتُمْ صَارِمِينَ﴾

कि तड़के चलो अपनी खेती पर, यदि फल तोड़ने हैं।

﴿فَانْطَلَقُوا وَهُمْ يَتَخَافَتُونَ﴾

फिर वे चल दिये आपस में चुपके-चुपके बातें करते हुए।

﴿أَنْ لَا يَدْخُلَنَّهَا الْيَوْمَ عَلَيْكُمْ مِسْكِينٌ﴾

कि कदापि न आने पाये उस (बाग़) के भीतर आज तुम्हारे पास कोई निर्धन।[1]

﴿وَغَدَوْا عَلَىٰ حَرْدٍ قَادِرِينَ﴾

और प्रातः ही पहुँच गये कि वे फल तोड़ सकेंगे।

﴿فَلَمَّا رَأَوْهَا قَالُوا إِنَّا لَضَالُّونَ﴾

फिर जब उसे देखा तो कहाः निश्चय हम राह भूल गये।

﴿بَلْ نَحْنُ مَحْرُومُونَ﴾

बल्कि हम वंचित हो[1] गये।

﴿قَالَ أَوْسَطُهُمْ أَلَمْ أَقُلْ لَكُمْ لَوْلَا تُسَبِّحُونَ﴾

तो उनमें से बिचले भाई ने कहाः क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि तुम (अल्लाह की) पवित्रता का वर्णन क्यों नहीं करते?

﴿قَالُوا سُبْحَانَ رَبِّنَا إِنَّا كُنَّا ظَالِمِينَ﴾

वे कहने लगेः पवित्र है हमारा पालनहार! वास्तव में, हम ही अत्याचारी थे।

﴿فَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَلَاوَمُونَ﴾

फिर सम्मुख हो गये, एक-दूसरे की निन्दा करते हुए।

﴿قَالُوا يَا وَيْلَنَا إِنَّا كُنَّا طَاغِينَ﴾

कहने लगेः हाय अफ़्सोस! हम ही विद्रोही थे।

﴿عَسَىٰ رَبُّنَا أَنْ يُبْدِلَنَا خَيْرًا مِنْهَا إِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا رَاغِبُونَ﴾

संभव है हमारा पालनहार हमें बदले में प्रदान करे इससे उत्तम (बाग)। हम अपने पालनहार ही की ओर रूचि रखते हैं।

﴿كَذَٰلِكَ الْعَذَابُ ۖ وَلَعَذَابُ الْآخِرَةِ أَكْبَرُ ۚ لَوْ كَانُوا يَعْلَمُونَ﴾

ऐसे ही यातना होती है और आख़िरत (परलोक) की यातना इससे भी बड़ी है। काश वे जानते!

﴿إِنَّ لِلْمُتَّقِينَ عِنْدَ رَبِّهِمْ جَنَّاتِ النَّعِيمِ﴾

निःसंदेह, सदाचारियों के लिए उनके पालनहार के पास सुखों वाले स्वर्ग हैं।

﴿أَفَنَجْعَلُ الْمُسْلِمِينَ كَالْمُجْرِمِينَ﴾

क्या हम आज्ञाकारियों[1] को पापियों के समान कर देंगे?

﴿مَا لَكُمْ كَيْفَ تَحْكُمُونَ﴾

तुम्हें क्या हो गया है? तुम कैसा निर्णय कर रहे हो?

﴿أَمْ لَكُمْ كِتَابٌ فِيهِ تَدْرُسُونَ﴾

क्या तुम्हारे पास कोई पुस्तक है, जिसमें तुम पढ़ते हो?

﴿إِنَّ لَكُمْ فِيهِ لَمَا تَخَيَّرُونَ﴾

कि तुम्हें वही मिलेगा, जो तुम चाहोगे?

﴿أَمْ لَكُمْ أَيْمَانٌ عَلَيْنَا بَالِغَةٌ إِلَىٰ يَوْمِ الْقِيَامَةِ ۙ إِنَّ لَكُمْ لَمَا تَحْكُمُونَ﴾

या तुमने हमसे शपथें ले रखी हैं, जो प्रलय तक चली जायेंगी कि तुम्हें वही मिलेगा जिसका तुम निर्णय करोगे?

﴿سَلْهُمْ أَيُّهُمْ بِذَٰلِكَ زَعِيمٌ﴾

आप उनसे पूछिये कि उनमें कौन इसकी ज़मानत लेता है?

﴿أَمْ لَهُمْ شُرَكَاءُ فَلْيَأْتُوا بِشُرَكَائِهِمْ إِنْ كَانُوا صَادِقِينَ﴾

क्या उनके कुछ साझी हैं? फिर तो वे अपने साझियों को लायें,[1] यदि वे सच्चे हैं।

﴿يَوْمَ يُكْشَفُ عَنْ سَاقٍ وَيُدْعَوْنَ إِلَى السُّجُودِ فَلَا يَسْتَطِيعُونَ﴾

जिस दिन पिंडली खोल दी जायेगी और वह बुलाये जायेंगे सज्दा करने के लिए, तो (सज्दा) नहीं कर सकेंगे।[1]

﴿خَاشِعَةً أَبْصَارُهُمْ تَرْهَقُهُمْ ذِلَّةٌ ۖ وَقَدْ كَانُوا يُدْعَوْنَ إِلَى السُّجُودِ وَهُمْ سَالِمُونَ﴾

उनकी आँखें झुकी होंगी और उनपर अपमान छाया होगा। वे (संसार में) सज्दा करने के लिए बुलाये जाते रहे जबकि वे स्वस्थ थे।

﴿فَذَرْنِي وَمَنْ يُكَذِّبُ بِهَٰذَا الْحَدِيثِ ۖ سَنَسْتَدْرِجُهُمْ مِنْ حَيْثُ لَا يَعْلَمُونَ﴾

अतः, आप छोड़ दें मुझे तथा उन्हें, जो झुठला रहे हैं इस बात (क़ुर्आन) को, हम उन्हें धीरे-धीरे खींच लायेंगे,[1] इस प्रकार कि उन्हें ज्ञान भी नहीं होगा।

﴿وَأُمْلِي لَهُمْ ۚ إِنَّ كَيْدِي مَتِينٌ﴾

तथा हम उन्हें अवसर दे रहे हैं।[1] वस्तुतः, हमारा उपाय सुदृढ़ है।

﴿أَمْ تَسْأَلُهُمْ أَجْرًا فَهُمْ مِنْ مَغْرَمٍ مُثْقَلُونَ﴾

तो क्या आप माँग कर रहे हैं किसी पारिश्रमिक[1] की, तो वे बोझ से दबे जा रहे हैं।

﴿أَمْ عِنْدَهُمُ الْغَيْبُ فَهُمْ يَكْتُبُونَ﴾

या उनके पास ग़ैब का ज्ञान है, जिसे वे लिख[1] रहे हैं?

﴿فَاصْبِرْ لِحُكْمِ رَبِّكَ وَلَا تَكُنْ كَصَاحِبِ الْحُوتِ إِذْ نَادَىٰ وَهُوَ مَكْظُومٌ﴾

तो आप धैर्य रखें अपने पालनहार के निर्णय तक और न हो जायें मछली वाले के समान।[1] जब उसने पुकारा और वह शोकपूर्ण था।

﴿لَوْلَا أَنْ تَدَارَكَهُ نِعْمَةٌ مِنْ رَبِّهِ لَنُبِذَ بِالْعَرَاءِ وَهُوَ مَذْمُومٌ﴾

और यदि न पा लेती उसे उसके पालनहार की दया, तो वह फेंक दिया जाता बंजर में और वह बुरी दशा में होता।

﴿فَاجْتَبَاهُ رَبُّهُ فَجَعَلَهُ مِنَ الصَّالِحِينَ﴾

फिर चुन लिया उसे उसके पालनहार ने और बना दिया उसे सदाचारियों में से।

﴿وَإِنْ يَكَادُ الَّذِينَ كَفَرُوا لَيُزْلِقُونَكَ بِأَبْصَارِهِمْ لَمَّا سَمِعُوا الذِّكْرَ وَيَقُولُونَ إِنَّهُ لَمَجْنُونٌ﴾

और ऐसा लगता है कि जो काफ़िपर हो गये, वे अवश्य फिसला देंगे आपको अपनी आँखों से (घूर कर) जब वे सुनते हों क़ुर्आन को तथा कहते हैं कि वह अवशय् पागल है।

﴿وَمَا هُوَ إِلَّا ذِكْرٌ لِلْعَالَمِينَ﴾

जबकि ये क़ुर्आन तो बस एक[1] शिक्षा है, पूरे संसार वासियों के लिए।

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: