المطفّفين

تفسير سورة المطفّفين

الترجمة الهندية

हिन्दी

الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ وَيْلٌ لِلْمُطَفِّفِينَ﴾

विनाश है डंडी मारने वालों का।

﴿الَّذِينَ إِذَا اكْتَالُوا عَلَى النَّاسِ يَسْتَوْفُونَ﴾

जो लोगों से नाप कर लें,, तो पूरा लेते हैं।

﴿وَإِذَا كَالُوهُمْ أَوْ وَزَنُوهُمْ يُخْسِرُونَ﴾

और जब उन्हें नाप या तोल कर देते हैं, तो कम देते हैं।

﴿أَلَا يَظُنُّ أُولَٰئِكَ أَنَّهُمْ مَبْعُوثُونَ﴾

क्या वे नहीं सोचते कि फिर जीवित किये जायेंगे?

﴿لِيَوْمٍ عَظِيمٍ﴾

एक भीषण दिन के लिए।

﴿يَوْمَ يَقُومُ النَّاسُ لِرَبِّ الْعَالَمِينَ﴾

जिस दिन सभी, विश्व के पालनहार के सामने खड़े होंगे।[1]

﴿كَلَّا إِنَّ كِتَابَ الْفُجَّارِ لَفِي سِجِّينٍ﴾

कदापि ऐसा न करो, निश्चय बुरों का कर्म पत्र "सिज्जीन" में है।

﴿وَمَا أَدْرَاكَ مَا سِجِّينٌ﴾

और तुम क्या जानो कि "सिज्जीन" क्या है?

﴿كِتَابٌ مَرْقُومٌ﴾

वह लिखित महान पुस्तक है।

﴿وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ﴾

उस दिन झुठलाने वालों के लिए विनाश है।

﴿الَّذِينَ يُكَذِّبُونَ بِيَوْمِ الدِّينِ﴾

जो प्रतिकार (बदले) के दिन को झुठलाते हैं।

﴿وَمَا يُكَذِّبُ بِهِ إِلَّا كُلُّ مُعْتَدٍ أَثِيمٍ﴾

तथा उसे वही झुठलाता है, जो महा अत्याचारी और पापी है।

﴿إِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِ آيَاتُنَا قَالَ أَسَاطِيرُ الْأَوَّلِينَ﴾

जब उनके सामने हमारी आयतों का अध्ययन किया जाता है, तो कहते हैं: पूर्वजों की कल्पित कथायें हैं।

﴿كَلَّا ۖ بَلْ ۜ رَانَ عَلَىٰ قُلُوبِهِمْ مَا كَانُوا يَكْسِبُونَ﴾

सुनो! उनके दिलों पर कुकर्मों के कारण लोहमल लग गया है।

﴿كَلَّا إِنَّهُمْ عَنْ رَبِّهِمْ يَوْمَئِذٍ لَمَحْجُوبُونَ﴾

निश्चय वे उस दिन अपने पालनहार (के दर्शन) से रोक दिये जायेंगे।

﴿ثُمَّ إِنَّهُمْ لَصَالُو الْجَحِيمِ﴾

फिर वे नरक में जायेंगे।

﴿ثُمَّ يُقَالُ هَٰذَا الَّذِي كُنْتُمْ بِهِ تُكَذِّبُونَ﴾

फिर कहा जायेगा कि यही है, जिसे तुम मिथ्या मानते थे।[1]

﴿كَلَّا إِنَّ كِتَابَ الْأَبْرَارِ لَفِي عِلِّيِّينَ﴾

सच ये है कि सदाचारियों के कर्म पत्र "इल्लिय्यीन" में हैं।

﴿وَمَا أَدْرَاكَ مَا عِلِّيُّونَ﴾

और तुम क्या जानो कि "इल्लिय्यीन" क्या है?

﴿كِتَابٌ مَرْقُومٌ﴾

एक अंकित पुस्तक है।

﴿يَشْهَدُهُ الْمُقَرَّبُونَ﴾

जिसके पास समीपवर्ती (फरिश्ते) उपस्थित रहते हैं।

﴿إِنَّ الْأَبْرَارَ لَفِي نَعِيمٍ﴾

निशचय, सदाचारी आनन्द में होंगे।

﴿عَلَى الْأَرَائِكِ يَنْظُرُونَ﴾

सिंहासनों के ऊपर बैठकर सब कुछ देख रहे होंगे।

﴿تَعْرِفُ فِي وُجُوهِهِمْ نَضْرَةَ النَّعِيمِ﴾

तुम उनके मुखों से आनंद के चिन्ह अनुभव करोगे।

﴿يُسْقَوْنَ مِنْ رَحِيقٍ مَخْتُومٍ﴾

उन्हें मुहर लगी शुध्द मदिरा पिलाई जायेगी।

﴿خِتَامُهُ مِسْكٌ ۚ وَفِي ذَٰلِكَ فَلْيَتَنَافَسِ الْمُتَنَافِسُونَ﴾

ये मुहर कस्तूरी की होगी। तो इसकी अभिलाषा करने वालों को इसकी अभिलाषा करनी चाहिये।

﴿وَمِزَاجُهُ مِنْ تَسْنِيمٍ﴾

उसमें तसनीम मिली होगी।

﴿عَيْنًا يَشْرَبُ بِهَا الْمُقَرَّبُونَ﴾

वह एक स्रोत है, जिससे अल्लाह के समीपवर्ती पियेंगे।[1]

﴿إِنَّ الَّذِينَ أَجْرَمُوا كَانُوا مِنَ الَّذِينَ آمَنُوا يَضْحَكُونَ﴾

पापी (संसार में) ईमान लाने वालों पर हंसते थे।

﴿وَإِذَا مَرُّوا بِهِمْ يَتَغَامَزُونَ﴾

और जब उनके पास से गुज़रते, तो आँखें मिचकाते थे।

﴿وَإِذَا انْقَلَبُوا إِلَىٰ أَهْلِهِمُ انْقَلَبُوا فَكِهِينَ﴾

और जब अपने परिवार में वापस जाते, तो आनंद लेते हुए वापस होते थे।

﴿وَإِذَا رَأَوْهُمْ قَالُوا إِنَّ هَٰؤُلَاءِ لَضَالُّونَ﴾

और जब उन्हें (मोमिनों को) देखते, तो कहते थेः यही भटके हुए लोग हैं।

﴿وَمَا أُرْسِلُوا عَلَيْهِمْ حَافِظِينَ﴾

जबकि वे उनके निरीक्षक बनाकर नहीं भेजे गये थे।

﴿فَالْيَوْمَ الَّذِينَ آمَنُوا مِنَ الْكُفَّارِ يَضْحَكُونَ﴾

तो जो ईमान लाये, आज काफ़िरों पर हंस रहे हैं।

﴿عَلَى الْأَرَائِكِ يَنْظُرُونَ﴾

सिंहासनों के ऊपर से उन्हें देख रहे हैं।

﴿هَلْ ثُوِّبَ الْكُفَّارُ مَا كَانُوا يَفْعَلُونَ﴾

क्या काफ़िरों (विश्वास हीनों) को उनका बदला दे दिया गया?[1]

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: