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كلمة (خالق) في اللغة هي اسمُ فاعلٍ من (الخَلْقِ)، وهو يَرجِع إلى...

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كلمة (عالم) في اللغة اسم فاعل من الفعل (عَلِمَ يَعلَمُ) والعلم...

الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

1- ﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ حم﴾


ह़ा मीम।

2- ﴿وَالْكِتَابِ الْمُبِينِ﴾


शपथ है इस खुली पुस्तक की।

3- ﴿إِنَّا أَنْزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةٍ مُبَارَكَةٍ ۚ إِنَّا كُنَّا مُنْذِرِينَ﴾


हमने ही उतारा है इसे[1] एक शुभ रात्रि में। वास्तव में, हम सावधान करने वाले हैं।

4- ﴿فِيهَا يُفْرَقُ كُلُّ أَمْرٍ حَكِيمٍ﴾


उसी (रात्रि) में निर्णय किया जाता है, प्रत्येक सुदृढ़ कर्म का।

5- ﴿أَمْرًا مِنْ عِنْدِنَا ۚ إِنَّا كُنَّا مُرْسِلِينَ﴾


ये (आदेश) हमारे पास से है। हम ही भेजने वाले हैं, रसूलों को।

6- ﴿رَحْمَةً مِنْ رَبِّكَ ۚ إِنَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ﴾


आपके पालनहार की दया से, वास्तव में, वह सब कुछ सुनने-जानने वाला है।

7- ﴿رَبِّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ إِنْ كُنْتُمْ مُوقِنِينَ﴾


जो आकाशों तथा धरती का पालनहार है तथा जो कुछ उन दोनों के बीच है, यदि तुम विश्वास करने वाले हो।

8- ﴿لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ يُحْيِي وَيُمِيتُ ۖ رَبُّكُمْ وَرَبُّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ﴾


नहीं है कोई वंदनीय, परन्तु वही, जो जीवन देता तथा मारता है। तुम्हारा पालनहार तथा तुम्हारे गुज़रे हुए पूर्वजों का पालनहार है।

9- ﴿بَلْ هُمْ فِي شَكٍّ يَلْعَبُونَ﴾


बल्कि, वे (मुश्रिक) संदेह में खेल रहे हैं।

10- ﴿فَارْتَقِبْ يَوْمَ تَأْتِي السَّمَاءُ بِدُخَانٍ مُبِينٍ﴾


तो आप प्रतीक्षा करें, उस दिन का, जब आकाश खुला धूँवा[1] लायेगा।

11- ﴿يَغْشَى النَّاسَ ۖ هَٰذَا عَذَابٌ أَلِيمٌ﴾


जो छा जायेगा सब लोगों पर। यही दुःखदायी यातना है।

12- ﴿رَبَّنَا اكْشِفْ عَنَّا الْعَذَابَ إِنَّا مُؤْمِنُونَ﴾


(वे कहेंगेः) हमारे पालनहार! हमसे यातना दूर कर दे। निश्चय हम ईमान लाने वाले हैं।

13- ﴿أَنَّىٰ لَهُمُ الذِّكْرَىٰ وَقَدْ جَاءَهُمْ رَسُولٌ مُبِينٌ﴾


और उनके लिए शिक्षा का समय कहाँ रह गया? जबकि उनके पास आ गये एक रसूल (सत्य को) उजागर करने वाले।

14- ﴿ثُمَّ تَوَلَّوْا عَنْهُ وَقَالُوا مُعَلَّمٌ مَجْنُونٌ﴾


फिर भी वे आपसे मुँह फेर गये तथा कह दिया कि एक सिखाया हुआ पागल है।

15- ﴿إِنَّا كَاشِفُو الْعَذَابِ قَلِيلًا ۚ إِنَّكُمْ عَائِدُونَ﴾


हम दूर कर देने वाले हैं कुछ यातना, वास्तव में तुम, फिर अपनी प्रथम स्थिति पर आ जाने वाले हो।

16- ﴿يَوْمَ نَبْطِشُ الْبَطْشَةَ الْكُبْرَىٰ إِنَّا مُنْتَقِمُونَ﴾


जिस दिन हम अत्यंत कड़ी पकड़[1] में ले लेंगे। तो हम निश्चय बदला लेने वाले हैं।

17- ﴿۞ وَلَقَدْ فَتَنَّا قَبْلَهُمْ قَوْمَ فِرْعَوْنَ وَجَاءَهُمْ رَسُولٌ كَرِيمٌ﴾


तथा हमने परीक्षा ली इनसे पूर्व फ़िरऔन की जाति की तथा उनके पास एक आदरणीय रसूल आया।

18- ﴿أَنْ أَدُّوا إِلَيَّ عِبَادَ اللَّهِ ۖ إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ﴾


कि मुझे सौंप दो अल्लाह के भक्तों को। निश्चय मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।

19- ﴿وَأَنْ لَا تَعْلُوا عَلَى اللَّهِ ۖ إِنِّي آتِيكُمْ بِسُلْطَانٍ مُبِينٍ﴾


तथा अल्लाह के विपरीत घमंड न करो। मैं तुम्हारे सामने खुला प्रमाण प्रस्तुत करता हूँ।

20- ﴿وَإِنِّي عُذْتُ بِرَبِّي وَرَبِّكُمْ أَنْ تَرْجُمُونِ﴾


तथा मैंने शरण ली है, अपने पालनहार की तथा तुम्हारे पालनहार की इससे कि तुम मुझपर पथराव कर दो।

21- ﴿وَإِنْ لَمْ تُؤْمِنُوا لِي فَاعْتَزِلُونِ﴾


और यदि तुम मेरा विश्वास न करो, तो मुझसे परे हो जाओ।

22- ﴿فَدَعَا رَبَّهُ أَنَّ هَٰؤُلَاءِ قَوْمٌ مُجْرِمُونَ﴾


अन्ततः, मूसा ने पुकारा अपने पालनहार को, कि वास्तव में ये लोग अपराधी हैं।

23- ﴿فَأَسْرِ بِعِبَادِي لَيْلًا إِنَّكُمْ مُتَّبَعُونَ﴾


(हमने आदेश दिया) कि निकल जा रातों-रात, मेरे भक्तों को लेकर। निश्चय तुम्हारा पीछा किया जायेगा।

24- ﴿وَاتْرُكِ الْبَحْرَ رَهْوًا ۖ إِنَّهُمْ جُنْدٌ مُغْرَقُونَ﴾


तथा छोड़ दे सागर को उसकी दशा पर, खुला। वास्तव में, ये डूब जाने वाली सेना है।

25- ﴿كَمْ تَرَكُوا مِنْ جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ﴾


वे छोड़ गये बहुत-से बाग़ तथा जल स्रोत।

26- ﴿وَزُرُوعٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ﴾


तथा खेतियाँ और सुखदायी स्थान।

27- ﴿وَنَعْمَةٍ كَانُوا فِيهَا فَاكِهِينَ﴾


तथा सुख के साधन, जिनमें वे आन्नद ले रहे थे।

28- ﴿كَذَٰلِكَ ۖ وَأَوْرَثْنَاهَا قَوْمًا آخَرِينَ﴾


इसी प्राकार हुआ और हमने उनका उत्तराधिकारी बना दिया दूसरे[1] लोगों को।

29- ﴿فَمَا بَكَتْ عَلَيْهِمُ السَّمَاءُ وَالْأَرْضُ وَمَا كَانُوا مُنْظَرِينَ﴾


तो नहीं रोया उनपर आकाश और न धरती और न उन्हें अवसर (समय) दिया गया।

30- ﴿وَلَقَدْ نَجَّيْنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنَ الْعَذَابِ الْمُهِينِ﴾


तथा हमने बचा लिया इस्राईल की संतान को, अपमानकारी यातना से।

31- ﴿مِنْ فِرْعَوْنَ ۚ إِنَّهُ كَانَ عَالِيًا مِنَ الْمُسْرِفِينَ﴾


फ़िरऔन से। वास्तव में, वह चढ़ा हुआ उल्लंघनकारियों में से था।

32- ﴿وَلَقَدِ اخْتَرْنَاهُمْ عَلَىٰ عِلْمٍ عَلَى الْعَالَمِينَ﴾


तथा हमने प्रधानता दी उन्हें, जानते हुए, संसार वासियों पर।

33- ﴿وَآتَيْنَاهُمْ مِنَ الْآيَاتِ مَا فِيهِ بَلَاءٌ مُبِينٌ﴾


तथा हमने उन्हें प्रदान कीं ऐसी निशानियाँ, जिनमें खुली परीक्षा थी।

34- ﴿إِنَّ هَٰؤُلَاءِ لَيَقُولُونَ﴾


वास्तव में, ये[1] कहते हैं कि

35- ﴿إِنْ هِيَ إِلَّا مَوْتَتُنَا الْأُولَىٰ وَمَا نَحْنُ بِمُنْشَرِينَ﴾


हमें तो बस प्रथम बार मरना है तथा हम फिर जीवित नहीं किये जायेंगे।

36- ﴿فَأْتُوا بِآبَائِنَا إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ﴾


फिर यदि तुम सच्चे हो, तो हमारे पूर्वजों को (जीवित करके) ला दो।

37- ﴿أَهُمْ خَيْرٌ أَمْ قَوْمُ تُبَّعٍ وَالَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ ۚ أَهْلَكْنَاهُمْ ۖ إِنَّهُمْ كَانُوا مُجْرِمِينَ﴾


ये अच्छे हैं अथवा तुब्बअ की जाति[1] तथा जो उनसे पूर्व रहे हैं? हमने उनका विनाश कर दिया। निश्चय वे अपराधि थे।

38- ﴿وَمَا خَلَقْنَا السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا لَاعِبِينَ﴾


तथा हमने आकाशों और धरती को एवं जो कुछ उन दोनों के बीच है, खेल नहीं बनाया है।

39- ﴿مَا خَلَقْنَاهُمَا إِلَّا بِالْحَقِّ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ﴾


हमने नहीं पैदा किया है उन दोनों को, परन्तु सत्य के आधार पर। किन्तु अधिक्तर लोग इसे नहीं जानते हैं।

40- ﴿إِنَّ يَوْمَ الْفَصْلِ مِيقَاتُهُمْ أَجْمَعِينَ﴾


निःसंदेह निर्णय[1] का दिन, उन सबका निश्चित समय है।

41- ﴿يَوْمَ لَا يُغْنِي مَوْلًى عَنْ مَوْلًى شَيْئًا وَلَا هُمْ يُنْصَرُونَ﴾


जिस दिन, कोई साथी किसी साथी के कुछ काम नहीं आयेगा और न उनकी सहायता की जायेगी।

42- ﴿إِلَّا مَنْ رَحِمَ اللَّهُ ۚ إِنَّهُ هُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ﴾


परन्तु, जिसपर अल्लाह की दया हो जाये, तो वास्तव में वह बड़ा प्रभावशाली, दयावान है।

43- ﴿إِنَّ شَجَرَتَ الزَّقُّومِ﴾


निःसंदेह ज़क्कूम (थोहड़) का वृक्ष।

44- ﴿طَعَامُ الْأَثِيمِ﴾


पापियों का भोजन है।

45- ﴿كَالْمُهْلِ يَغْلِي فِي الْبُطُونِ﴾


पिघले हुए ताँबे जैसा, जो खौलेगा पेटों में।

46- ﴿كَغَلْيِ الْحَمِيمِ﴾


गर्म पानी के खौलने के समान।

47- ﴿خُذُوهُ فَاعْتِلُوهُ إِلَىٰ سَوَاءِ الْجَحِيمِ﴾


(आदेश होगा कि) उसे पकड़ो तथा धक्का देते हुए नरक के बीच तक पहुँचा दो।

48- ﴿ثُمَّ صُبُّوا فَوْقَ رَأْسِهِ مِنْ عَذَابِ الْحَمِيمِ﴾


फिर बहाओ उसके सिर के ऊपर अत्यंत गर्म जल की यातना।[1]

49- ﴿ذُقْ إِنَّكَ أَنْتَ الْعَزِيزُ الْكَرِيمُ﴾


(तथा कहा जायेगा कि) चख, क्योंकि तू बड़ा आदरणीय सम्मानित था।

50- ﴿إِنَّ هَٰذَا مَا كُنْتُمْ بِهِ تَمْتَرُونَ﴾


यही वह चीज़ है, जिसमें तुम संदेह कर रहे थे।

51- ﴿إِنَّ الْمُتَّقِينَ فِي مَقَامٍ أَمِينٍ﴾


निःसंदेह आज्ञाकारी शान्ति के स्थान में होंगे।

52- ﴿فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ﴾


बाग़ों तथा जल स्रोतों में।

53- ﴿يَلْبَسُونَ مِنْ سُنْدُسٍ وَإِسْتَبْرَقٍ مُتَقَابِلِينَ﴾


वस्त्र धारण किये हुए महीन तथा कोमल रेशम के, एक-दूसरे के सामने (आसीन) होंगे।

54- ﴿كَذَٰلِكَ وَزَوَّجْنَاهُمْ بِحُورٍ عِينٍ﴾


इसी प्रकार होगा तथा हम विवाह देंगे उनको ह़ूरों से।[1]

55- ﴿يَدْعُونَ فِيهَا بِكُلِّ فَاكِهَةٍ آمِنِينَ﴾


वे माँग करेंगे उसमें, प्रत्येक प्रकार के मेवों की निश्चिन्त होकर।

56- ﴿لَا يَذُوقُونَ فِيهَا الْمَوْتَ إِلَّا الْمَوْتَةَ الْأُولَىٰ ۖ وَوَقَاهُمْ عَذَابَ الْجَحِيمِ﴾


वे उस स्वर्ग में मौत[1] नहीं चखेंगे, प्रथम (सांसारिक) मौत के सिवा तथा (अल्लाह) बचा लेगा उन्हें, नरक की यातना से।

57- ﴿فَضْلًا مِنْ رَبِّكَ ۚ ذَٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ﴾


आपके पालनहार की दया से, वही बड़ी सफलता है।

58- ﴿فَإِنَّمَا يَسَّرْنَاهُ بِلِسَانِكَ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ﴾


तो हमने सरल कर दिया इस (क़ुर्आन) को आपकी भाषा में, ताकि वे शिक्षा ग्रहण करें।

59- ﴿فَارْتَقِبْ إِنَّهُمْ مُرْتَقِبُونَ﴾


अतः, आप प्रतीक्षा करें,[1] वे भी प्रतीक्षा कर रहे हैं।

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: