الباسط
كلمة (الباسط) في اللغة اسم فاعل من البسط، وهو النشر والمدّ، وهو...
संभवतः, आप अपना प्राण[1] खो देने वाले हैं कि वे ईमान लाने वाले नहीं हैं?
यदि हम चाहें, तो उतार दें उनपर आकाश से ऐसी निशानी कि उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी की झुकी रह जायें[1]।
और नहीं आती है उनके पालनहार, अति दयावान् की ओर से कोई नई शिक्षा, परन्तु वे उससे मुख फेरने वाले बन जाते हैं।
तो उन्होंने झुठला दिया! अब उनके पास शीघ्र ही उसकी सूचनाएँ आ जायेंगी, जिसका उपहास वे कर रहे थे।
और क्या उन्होंने धरती की ओर नहीं देखा कि हमने उसमें उगाई हैं, बहुत-सी प्रत्येक प्रकार की अच्छी वनस्पतियाँ?
निश्चय ही, इसमें बड़ी निशानी (लक्षण)[1] है। फिर उनमें अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं हैं।
तथा वास्तव में, आपका पालनहार ही प्रभुत्वशाली, अति दयावान् है।
(उन्हें उस समय की कथा सुनाओ) जब पुकारा आपके पालनहार ने मूसा को कि जाओ अत्याचारी जाति[1] के पास!
उसने कहाः मेरे पालनहार! वास्तव में, मुझे भय है कि वे मुझे झुठला देंगे।
और संकुचित हो रहा है मेरा सीना और नहीं चल रही है मेरी ज़ुबान, अतः वह़्यी भेज दे हारून की ओर (भी)।
और उनका मुझपर एक अपराध भी है। अतः, मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।
अल्लाह ने कहाः कदापि ऐसा नहीं होगा। तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ, हम तुम्हारे साथ सुनने[1] वाले हैं।
तो तुम दोनों जाओ और कहो कि हम विश्व के पालनहार के भेजे हुए (रसूल) हैं।
(फ़िरऔन ने) कहाः क्या हमने तेरा पालन नहीं किया है, अपने यहाँ बाल्यवस्था में और तू (नहीं) रहा है, हममें अपनी आयु के कई वर्ष?
और तू कर गया वह कार्य,[1] जो किया और तू कृतघनों में से है!
(मूसा ने) कहाः मैंने ऐसा उस समय कर दिया, जबकि मैं अनजान था।
फिर मैं तुमसे भाग गया, जब तुमसे भय हुआ। फिर प्रदान कर दिया मुझे, मेरे पालनहार ने तत्वदर्शिता और मुझे बना दिया रसूलों में से।
और ये कोई उपकार है, जो तू मुझे जता रहा है कि तूने दास बना लिया है, इस्राईल के पुत्रों को।
(मूसा ने) कहाः आकाशों तथा धरती और उसका पालनहार, जो कुछ दोनों के बीच है, यदि तुम विश्वास रखने वाले हो।
उसने उनसे कहा, जो उसके आस-पास थेः क्या तुम सुन नहीं रहे हो?
(मुसा ने) कहाः तुम्हारा पालनहार तथा तुम्हारे पूर्वोजों का पालनहार है।
(फ़िरऔन ने) कहाः वास्तव में, तुम्हारा रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, पागल है।
(मूसा ने) कहाः वह, पूर्व तथा पश्चिम तथा दोनों के मध्य जो कुछ है, सबका पालनहार है।
(फ़िरऔन ने) कहाः यदि तूने कोई पूज्य बना लिया मेरे अतिरिक्त, तो तुझे बंदियों में कर दूँगा।
(मूसा ने) कहाः क्या यद्यपि मैं ले आऊँ तेरे पास एक खुली चीज़?
फिर उसने अपनी लाठी फेंक दी, तो अकस्मात वह एक प्रत्यक्ष अजगर बन गयी।
तथा अपना हाथ निकाला, तो अकस्मात वह उज्ज्वल था, देखने वालों के लिए।
उसने अपने प्रमुखों से कहा, जो उसके पास थेः वास्तव में, ये तो बड़ा दक्ष जादूगर है।
ये चाहता है कि तुम्हें, तुम्हारी धरती से निकाल[1] दे, अपने जादू के बल से, तो अब तुम क्या आदेश देते हो?
सबने कहाः अवसर (समय) दो मूसा और उसके भाई (के विषय) को और भेज दो नगरों में एकत्र करने वालों को।
तो एकत्र कर लिए गये जादूगर एक निश्चित दिन के समय के लिए।
तथा लोगों से कहा गया कि क्या तुम एकत्र होने वाले[1] हो?
ताकि हम पीछे चलें जादूगरों के यदि वही प्रभुत्वशाली (विजयी) हो जायें।
और जब जादूगर आये, तो फ़िरऔन से कहाः क्या हमें कुछ पुरस्कार मिलेगा, यदि हम ही प्रभुत्वशाली होंगे?
उसने कहाः हाँ! और तुम उस समय (मेरे) समीपवर्तियों में हो जाओगे।
मूसा ने उनसे कहाः फेंको, जो कुछ तुम फेंकने वाले हो।
तो उन्होंने फेंक दी उपनी रस्सियाँ तथा अपनी लाठियाँ तथा कहाः फ़िरऔन के प्रभुत्व की शपथ! हम ही अवश्य प्रभुत्वशाली (विजयी) होंगे।
अब मूसा ने फेंक दी अपनी लाठी, तो तत्क्षण वह निगलने लगी (उसे), जो झूठ वे बना रहे थे।
(फ़िरऔन ने) कहाः तुम उसका विश्वास कर बैठे, इससे पहले कि मैं तुम्हें आज्ञा दूँ? वास्तव में, वह तुम्हारा बड़ा (गुरू) है, जिसने तुम्हें जादू सिखाया है, तो तुम्हें शीघ्र ज्ञान हो जायेगा, मैं अवश्य तुम्हारे हाथों तथा पैरों को विपरीत दिशा[1] से काट दूँगा तथा तुम सभी को फाँसी दे दूँगा!
सबने कहाः कोई चिन्ता नहीं, हमतो अपने पालनहार हीकी ओर फिरकर जाने वाले हैं।
हम आशा रखते हैं कि क्षमा कर देगा, हमारे लिए, हमारा पालनहार, हमारे पापों को, क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाने वाले हैं।
और हमने मूसा की ओर वह़्यी की कि रातों-रात निकल जा मेरे भक्तों को लेकर, तुम सबका पीछा किया जायेगा।
तो फ़िरऔन ने भेज दिया नगरों में (सेना) एकत्र करने[1] वालों को।
अन्ततः, हमने निकाल दिया उन्हें, बागों तथा स्रोतों से।
इसी प्रकार हुआ और हमने उनका उत्तराधिकारी बना दिया, इस्राईल की संतान को।
और जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देख लिया, तो मूसा के साथियों ने कहाः हमतो निश्चय ही पकड़ लिए[1] गये।
(मूसा ने) कहाः कदापि नहीं, निश्चय मेरे साथ मेरा पालनहार है।
तो हमने मूसा को वह़्यी की कि मार अपनी लाठी से सागर को, अकस्मात् सागर फट गया तथा प्रत्येक भाग, भारी पर्वत के समान[1] हो गया।
और मुक्ति प्रदान कर दी मूसा और उसके सब साथियों को।
वास्तव में, इसमें बड़ी शिक्षा है और उनमें से अधिक्तर लोग ईमान वाले नहीं थे।
तथा वास्तव में, आपका पालनहार निश्चय अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
जब उसने कहा, अपने बाप तथा अपनी जाति से कि तुम क्या पूज रहे हो?
उन्होंने कहाः हम मूर्तियों की पूजा कर रहे हैं और उन्हीं की सेवा में लगे रहते हैं।
उसने कहाः क्या वे तुम्हारी सुनती हैं, जब तुम पुकारते हो?
उन्होंने कहाः बल्कि हमने अपने पूर्वोजों को ऐसा ही करते हुए पाया है।
उसने कहाः क्या तुमने कभी (आँख खोलकर) उसे देखा, जिसे तुम पूज रहे हो।
क्योंकि ये सब मेरे शत्रु हैं, पूरे विश्व के पालनहार के सिवा।
तथा मैं आशा रखता हूँ कि क्षमा कर देगा, मेरे लिए, मेरे पाप, प्रतिकार (प्रलय) के दिन।
हे मेरे पालनहार! प्रदान कर दे मुझे तत्वदर्शिता और मुझे सम्मिलित कर सदाचारियों में।
तथा मेरे बाप को क्षमा कर दे,[1] वास्तव में, वह कुपथों में से है।
तथा कहा जायेगाः कहाँ हैं वे, जिन्हें तुम पूज रहे थे?
अल्लाह के सिवा, क्या वे तुम्हारी सहायता करेंगे अथवा स्वयं अपनी सहायता कर सकते हैं?
तो यदि हमें पुनः संसार में जाना होता,[1] तो हम ईमान वालों में हो जाते।
निःसंदेह, इसमें बड़ी निशानी है और उनमें से अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं हैं।
और वास्तव में, आपका पालनहार ही अति प्रभुत्वशाली,[1] दयावान् है।
जब उनसे उनके भाई नूह़ ने कहाः क्या तुम (अल्लाह से) डरते नहीं हो?
मैं नहीं माँगता इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला), मेरा बदला तो बस सर्वलोक के पालनहार पर है।
उन्होंने कहाः क्या हम तुझे मान लें, जबकि तेरा अनुसरण पतित (नीच) लोग[1] कर रहे हैं?
(नूह़ ने) कहाः मूझे क्य ज्ञान कि वे क्या कर्म करते रहे हैं?
उनका ह़िसाब तो बस मेरे पालनहार के ऊपर है, यदि तुम समझो।
उन्होंने कहाः यदि रुका नहीं, हे नूह़! तो तू अवश्य पथराव करके मारे हुओं में होगा।
अतः, तू निर्णय कर दे मेरे और उनके बीच और मुक्त कर दे मुझे तथा उन्हें जो मेरे साथ हैं, ईमान वालों में से।
तो हमने उसे मुक्त कर दिया तथा उन्हें जो उसके साथ भरी नाव में थे।
वास्तव में, इसमें एक बड़ी निशानी (शिक्षा) है तथा उनमें से अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं।
और निश्चय आपका पालनहार ही अति प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
जब कहा उनसे, उनके भाई हूद[1] नेः क्या तुम डरते नहीं हो?
और मैं तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो बस सर्वलोक के पालनहार पर है।
क्यों तुम बना लेते हो, हर ऊँचे स्थान पर एक यादगार भवन, व्यर्थ में?
तथा बनाते हो, बड़े-बड़े भवन, जैसे कि तुम सदा रहोगे।
और जबकिसी को पकड़ते हो, तो पकड़ते हो, महा अत्याचारी बनकर।
तथा उससे भय रखो, जिसने तुम्हारी सहायता की है उससे, जो तुम जानते हो।
उन्होंने कहाः नसीह़त करो या न करो, हमपर सब समान है।
अन्ततः, उन्होंने हमें झुठला दिया, तो हमने उन्हें ध्वस्त कर दिया। निश्चय इसमें एक बड़ी निशानी (शिक्षा) है और लोगों में अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं हैं।
और वास्तव में, आपका पालनहार ही अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
जब कहा उनसे उनके भाई सालेह़ नेः क्या तुम डरते नहीं हो?
तथा मैं नहीं माँगता इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक, मेरा पारिश्रमिक तो बस सर्वलोक के पालनहार पर है।
क्या तुम छोड़ दिये जाओगे उसमें, जो यहाँ हैं निश्चिन्त रहकर?
तथा तुमपर्वतों को तराशकर घर बनाते हो, गर्व करते हुए।
जो उपद्रव करते हैं धरती में और सुधार नहीं करते।
उन्होंने कहाः वास्तव में, तू उनमें से है, जिनपर जादू कर दिया गया है।
तू तो बस हमारे समान एक मानव है। तो कोई चमत्कार ले आ, यदि तू सच्चा है।
कहाः ये ऊँटनी है,[1] इसके लिए पानी पीने का एक दिन है और तुम्हारे लिए पानी लेने का निश्चित दिन है।
तथा उसे हाथ न लगाना बुराई से, अन्यथा तुम्हें पकड़ लेगी एक भीषण दिन की यातना।
और पकड़ लिया उन्हें यातना ने। वस्तुतः, इसमें बड़ी निशानी है और नहीं थे उनमें से अधिक्तर ईमान वाले।
और निश्चय आपका पालनहार ही अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
जब कहा उनसे उनके भाई लूत नेः क्या तुम डरते नहीं हो?
और मैं तुमसे प्रश्न नहीं करता, इसपर किसी पारिश्रमिक (बदले) का। मेरा बदला तो बस सर्वलोक के पालनहार पर है।
क्या तुम जाते[1] हो पुरुषों के पास, संसार वासियों में से।
तथा छोड़ देते हो उसे, जिसे पैदा किया है तुम्हारे पालनहार ने, अर्थात अपनी प्तनियों को, बल्कि तुम एक जाति हो, सीमा का उल्लंघन करने वाली।
उन्होंने कहाः यदि तू नहीं रुका, हे लूत! तो अवश्य तेरा बहिष्कार कर दिया जायेगा।
उसने कहाः वास्तव में, मैं तुम्हारे करतूत से बहुत अप्रसन्न हूँ।
मेरे पालनहार! मुझे बचा ले तथा मेरे परिवार को उससे, जो वे कर रहे हैं।
और वर्षा की उनपर, एक घोर[1] वर्षा। तो बुरी हो गयी डराये हुए लोगों की वर्षा।
वास्तव में, इसमें एक बड़ी निशानी (शिक्षा) है और उनमें से अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं थे।
और निश्चय आपका पालनहार ही अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
और मैं नहीं माँगता तुमसे इसपर कोई पारिश्रमिक, मेरा पारिश्रमिक तो बस समस्त विश्व के पालनहार पर है।
तुम नाप-तोल पूरा करो और न बनो कम देने वालों में।
और मत कम दो लोगों को उनकी चीज़ें और मत फिरो धरती में उपद्रव फैलाते।
और डरो उससे, जिसने पैदा किया है तुम्हें तथा अगले लोगों को।
उन्होंने कहाःवास्तव में, तू उनमें से है, जिनपर जादू कर दिया गया है।
और तू तो बस एक पुरुष[1] है, हमारे समान और हम तो तुझे झूठों में समझते हैं।
तो हमपर गिरा दे कोई खण्ड आकाश का, यदि तू सच्चा है।
उसने कहाः मेरा पालनहार भली प्रकार जानता है उसे, जो कुछ तुम कर रहे हो।
तो उन्होंने उसे झुठला दिया। अन्ततः, पकड़ लिया उन्हें छाया के[1] दिन की यातना ने। वस्तुतः, वह एक भीषण दिन की यातना थी।
निश्चय ही, इसमें एक बड़ी निशानी (शिक्षा) है और नहीं थे उनमें अधिक्तर ईमान लाने वाले।
और वास्तव में, आपका पालनहार ही अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
तथा निःसंदेह, ये (क़ुर्आन) पूरे विश्व के पालनहार का उतारा हुआ है।
आपके दिल पर, ताकि आप हो जायें सावधान करने वालों में।
क्या और उनके लिए ये निशानी नहीं है कि इस्राईलियों के विद्वान[1] इसे जानते हैं।
और वह, इसे उनके समक्ष पढ़ता, तो वे उसपर ईमान लाने वाले न होते[1]।
इसी प्रकार, हमने घुसा दिया है इस (क़ुर्आन के इन्कार) को पापियों के दिलों में।
वे नहीं ईमान लायेंगे उसपर, जब तक देख नहीं लेंगे दुःखदायी यातना।
फिर, वह उनपर सहसा आ जायेगी और वे समझ भी नहीं पायेंगे।
(हे नबी!) तो क्या आपने विचार किया कि यदि हम लाभ पहुँचायें इन्हें वर्षों।
तो कुछ काम नहीं आयेगा उनके, जो उन्हें लाभ पहुँचाया जाता रहा?
और हमने किसी बस्ती का विनाश नहीं किया, परन्तु उसके लिए सावधान करने वाले थे।
और न योग्य है उनके लिए और न वे इसकी शक्ति रखते हैं।
वास्तव में, वे तो (इसके) सुनने से भी दूर[1] कर दिये गये हैं।
अतः, आप न पुकारें अल्लाह के साथ किसी अन्य पूज्य को, अन्यथा आप दण्डितों में हो जायेंगे।
और झुका दें अपना बाहु[1] उसके लिए, जो आपका अनुयायी हो, ईमान वालों में से।
और यदि वे आपकी अवज्ञा करें, तो आप कह दें कि मैं निर्दोष हूँ उससे, जो तुम कर रहे हो।
क्या मैं तुम सबको बताऊँ कि किसपर शैतान उतरते हैं?
वे पहुँचा देते हैं, सुनी सुनाई बातों को और उनमें अधिक्तर झूठे हैं।
क्या आप नहीं देखते कि वे प्रत्येक वादी में फिरते[1] हैं।
परन्तु वो (कवि), जो[1] ईमान लाये, सदाचार किये, अल्लाह का बहुत स्मरण किया तथा बदला लिया इसके पश्चात् कि उनके ऊपर अत्याचार किया गया! तथा शीघ्र ही जान लेंगे, जिन्होंने अत्याचार किया है कि व किस दुष्परिणाम की ओर फिरते हैं!