البحث

عبارات مقترحة:

الباسط

كلمة (الباسط) في اللغة اسم فاعل من البسط، وهو النشر والمدّ، وهو...

الإله

(الإله) اسمٌ من أسماء الله تعالى؛ يعني استحقاقَه جل وعلا...

الرقيب

كلمة (الرقيب) في اللغة صفة مشبهة على وزن (فعيل) بمعنى (فاعل) أي:...

الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

1- ﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ طسم﴾


ता, सीन, मीम।

2- ﴿تِلْكَ آيَاتُ الْكِتَابِ الْمُبِينِ﴾


ये प्रकाशमय पुस्तक की आयतें हैं।

3- ﴿لَعَلَّكَ بَاخِعٌ نَفْسَكَ أَلَّا يَكُونُوا مُؤْمِنِينَ﴾


संभवतः, आप अपना प्राण[1] खो देने वाले हैं कि वे ईमान लाने वाले नहीं हैं?

4- ﴿إِنْ نَشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِمْ مِنَ السَّمَاءِ آيَةً فَظَلَّتْ أَعْنَاقُهُمْ لَهَا خَاضِعِينَ﴾


यदि हम चाहें, तो उतार दें उनपर आकाश से ऐसी निशानी कि उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी की झुकी रह जायें[1]।

5- ﴿وَمَا يَأْتِيهِمْ مِنْ ذِكْرٍ مِنَ الرَّحْمَٰنِ مُحْدَثٍ إِلَّا كَانُوا عَنْهُ مُعْرِضِينَ﴾


और नहीं आती है उनके पालनहार, अति दयावान् की ओर से कोई नई शिक्षा, परन्तु वे उससे मुख फेरने वाले बन जाते हैं।

6- ﴿فَقَدْ كَذَّبُوا فَسَيَأْتِيهِمْ أَنْبَاءُ مَا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ﴾


तो उन्होंने झुठला दिया! अब उनके पास शीघ्र ही उसकी सूचनाएँ आ जायेंगी, जिसका उपहास वे कर रहे थे।

7- ﴿أَوَلَمْ يَرَوْا إِلَى الْأَرْضِ كَمْ أَنْبَتْنَا فِيهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍ كَرِيمٍ﴾


और क्या उन्होंने धरती की ओर नहीं देखा कि हमने उसमें उगाई हैं, बहुत-सी प्रत्येक प्रकार की अच्छी वनस्पतियाँ?

8- ﴿إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ﴾


निश्चय ही, इसमें बड़ी निशानी (लक्षण)[1] है। फिर उनमें अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं हैं।

9- ﴿وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ﴾


तथा वास्तव में, आपका पालनहार ही प्रभुत्वशाली, अति दयावान् है।

10- ﴿وَإِذْ نَادَىٰ رَبُّكَ مُوسَىٰ أَنِ ائْتِ الْقَوْمَ الظَّالِمِينَ﴾


(उन्हें उस समय की कथा सुनाओ) जब पुकारा आपके पालनहार ने मूसा को कि जाओ अत्याचारी जाति[1] के पास!

11- ﴿قَوْمَ فِرْعَوْنَ ۚ أَلَا يَتَّقُونَ﴾


फ़िरऔन की जाति के पास, क्या वे डरते नहीं?

12- ﴿قَالَ رَبِّ إِنِّي أَخَافُ أَنْ يُكَذِّبُونِ﴾


उसने कहाः मेरे पालनहार! वास्तव में, मुझे भय है कि वे मुझे झुठला देंगे।

13- ﴿وَيَضِيقُ صَدْرِي وَلَا يَنْطَلِقُ لِسَانِي فَأَرْسِلْ إِلَىٰ هَارُونَ﴾


और संकुचित हो रहा है मेरा सीना और नहीं चल रही है मेरी ज़ुबान, अतः वह़्यी भेज दे हारून की ओर (भी)।

14- ﴿وَلَهُمْ عَلَيَّ ذَنْبٌ فَأَخَافُ أَنْ يَقْتُلُونِ﴾


और उनका मुझपर एक अपराध भी है। अतः, मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।

15- ﴿قَالَ كَلَّا ۖ فَاذْهَبَا بِآيَاتِنَا ۖ إِنَّا مَعَكُمْ مُسْتَمِعُونَ﴾


अल्लाह ने कहाः कदापि ऐसा नहीं होगा। तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ, हम तुम्हारे साथ सुनने[1] वाले हैं।

16- ﴿فَأْتِيَا فِرْعَوْنَ فَقُولَا إِنَّا رَسُولُ رَبِّ الْعَالَمِينَ﴾


तो तुम दोनों जाओ और कहो कि हम विश्व के पालनहार के भेजे हुए (रसूल) हैं।

17- ﴿أَنْ أَرْسِلْ مَعَنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ﴾


कि तू हमारे साथ बनी इस्राईल को जाने दे।

18- ﴿قَالَ أَلَمْ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدًا وَلَبِثْتَ فِينَا مِنْ عُمُرِكَ سِنِينَ﴾


(फ़िरऔन ने) कहाः क्या हमने तेरा पालन नहीं किया है, अपने यहाँ बाल्यवस्था में और तू (नहीं) रहा है, हममें अपनी आयु के कई वर्ष?

19- ﴿وَفَعَلْتَ فَعْلَتَكَ الَّتِي فَعَلْتَ وَأَنْتَ مِنَ الْكَافِرِينَ﴾


और तू कर गया वह कार्य,[1] जो किया और तू कृतघनों में से है!

20- ﴿قَالَ فَعَلْتُهَا إِذًا وَأَنَا مِنَ الضَّالِّينَ﴾


(मूसा ने) कहाः मैंने ऐसा उस समय कर दिया, जबकि मैं अनजान था।

21- ﴿فَفَرَرْتُ مِنْكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِي رَبِّي حُكْمًا وَجَعَلَنِي مِنَ الْمُرْسَلِينَ﴾


फिर मैं तुमसे भाग गया, जब तुमसे भय हुआ। फिर प्रदान कर दिया मुझे, मेरे पालनहार ने तत्वदर्शिता और मुझे बना दिया रसूलों में से।

22- ﴿وَتِلْكَ نِعْمَةٌ تَمُنُّهَا عَلَيَّ أَنْ عَبَّدْتَ بَنِي إِسْرَائِيلَ﴾


और ये कोई उपकार है, जो तू मुझे जता रहा है कि तूने दास बना लिया है, इस्राईल के पुत्रों को।

23- ﴿قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ الْعَالَمِينَ﴾


फ़िरऔन ने कहाः विश्व का पालनहार क्या है?

24- ﴿قَالَ رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ إِنْ كُنْتُمْ مُوقِنِينَ﴾


(मूसा ने) कहाः आकाशों तथा धरती और उसका पालनहार, जो कुछ दोनों के बीच है, यदि तुम विश्वास रखने वाले हो।

25- ﴿قَالَ لِمَنْ حَوْلَهُ أَلَا تَسْتَمِعُونَ﴾


उसने उनसे कहा, जो उसके आस-पास थेः क्या तुम सुन नहीं रहे हो?

26- ﴿قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ﴾


(मुसा ने) कहाः तुम्हारा पालनहार तथा तुम्हारे पूर्वोजों का पालनहार है।

27- ﴿قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ الَّذِي أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ لَمَجْنُونٌ﴾


(फ़िरऔन ने) कहाः वास्तव में, तुम्हारा रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, पागल है।

28- ﴿قَالَ رَبُّ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ إِنْ كُنْتُمْ تَعْقِلُونَ﴾


(मूसा ने) कहाः वह, पूर्व तथा पश्चिम तथा दोनों के मध्य जो कुछ है, सबका पालनहार है।

29- ﴿قَالَ لَئِنِ اتَّخَذْتَ إِلَٰهًا غَيْرِي لَأَجْعَلَنَّكَ مِنَ الْمَسْجُونِينَ﴾


(फ़िरऔन ने) कहाः यदि तूने कोई पूज्य बना लिया मेरे अतिरिक्त, तो तुझे बंदियों में कर दूँगा।

30- ﴿قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَيْءٍ مُبِينٍ﴾


(मूसा ने) कहाः क्या यद्यपि मैं ले आऊँ तेरे पास एक खुली चीज़?

31- ﴿قَالَ فَأْتِ بِهِ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ﴾


उसने कहाः तू उसे ले आ, यदि सच्चा है।

32- ﴿فَأَلْقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ ثُعْبَانٌ مُبِينٌ﴾


फिर उसने अपनी लाठी फेंक दी, तो अकस्मात वह एक प्रत्यक्ष अजगर बन गयी।

33- ﴿وَنَزَعَ يَدَهُ فَإِذَا هِيَ بَيْضَاءُ لِلنَّاظِرِينَ﴾


तथा अपना हाथ निकाला, तो अकस्मात वह उज्ज्वल था, देखने वालों के लिए।

34- ﴿قَالَ لِلْمَلَإِ حَوْلَهُ إِنَّ هَٰذَا لَسَاحِرٌ عَلِيمٌ﴾


उसने अपने प्रमुखों से कहा, जो उसके पास थेः वास्तव में, ये तो बड़ा दक्ष जादूगर है।

35- ﴿يُرِيدُ أَنْ يُخْرِجَكُمْ مِنْ أَرْضِكُمْ بِسِحْرِهِ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ﴾


ये चाहता है कि तुम्हें, तुम्हारी धरती से निकाल[1] दे, अपने जादू के बल से, तो अब तुम क्या आदेश देते हो?

36- ﴿قَالُوا أَرْجِهْ وَأَخَاهُ وَابْعَثْ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ﴾


सबने कहाः अवसर (समय) दो मूसा और उसके भाई (के विषय) को और भेज दो नगरों में एकत्र करने वालों को।

37- ﴿يَأْتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٍ﴾


वे तुम्हारे पास प्रत्येक बड़े दक्ष जादूगर को लायें।

38- ﴿فَجُمِعَ السَّحَرَةُ لِمِيقَاتِ يَوْمٍ مَعْلُومٍ﴾


तो एकत्र कर लिए गये जादूगर एक निश्चित दिन के समय के लिए।

39- ﴿وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلْ أَنْتُمْ مُجْتَمِعُونَ﴾


तथा लोगों से कहा गया कि क्या तुम एकत्र होने वाले[1] हो?

40- ﴿لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ السَّحَرَةَ إِنْ كَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ﴾


ताकि हम पीछे चलें जादूगरों के यदि वही प्रभुत्वशाली (विजयी) हो जायें।

41- ﴿فَلَمَّا جَاءَ السَّحَرَةُ قَالُوا لِفِرْعَوْنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجْرًا إِنْ كُنَّا نَحْنُ الْغَالِبِينَ﴾


और जब जादूगर आये, तो फ़िरऔन से कहाः क्या हमें कुछ पुरस्कार मिलेगा, यदि हम ही प्रभुत्वशाली होंगे?

42- ﴿قَالَ نَعَمْ وَإِنَّكُمْ إِذًا لَمِنَ الْمُقَرَّبِينَ﴾


उसने कहाः हाँ! और तुम उस समय (मेरे) समीपवर्तियों में हो जाओगे।

43- ﴿قَالَ لَهُمْ مُوسَىٰ أَلْقُوا مَا أَنْتُمْ مُلْقُونَ﴾


मूसा ने उनसे कहाः फेंको, जो कुछ तुम फेंकने वाले हो।

44- ﴿فَأَلْقَوْا حِبَالَهُمْ وَعِصِيَّهُمْ وَقَالُوا بِعِزَّةِ فِرْعَوْنَ إِنَّا لَنَحْنُ الْغَالِبُونَ﴾


तो उन्होंने फेंक दी उपनी रस्सियाँ तथा अपनी लाठियाँ तथा कहाः फ़िरऔन के प्रभुत्व की शपथ! हम ही अवश्य प्रभुत्वशाली (विजयी) होंगे।

45- ﴿فَأَلْقَىٰ مُوسَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُونَ﴾


अब मूसा ने फेंक दी अपनी लाठी, तो तत्क्षण वह निगलने लगी (उसे), जो झूठ वे बना रहे थे।

46- ﴿فَأُلْقِيَ السَّحَرَةُ سَاجِدِينَ﴾


तो गिर गये सभी जादूगर[1] सज्दा करते हुए।

47- ﴿قَالُوا آمَنَّا بِرَبِّ الْعَالَمِينَ﴾


और सबने कह दियाः हम विश्व के पालनहार पर ईमान लाये।

48- ﴿رَبِّ مُوسَىٰ وَهَارُونَ﴾


मूसा तथा हारून के पालनहार पर।

49- ﴿قَالَ آمَنْتُمْ لَهُ قَبْلَ أَنْ آذَنَ لَكُمْ ۖ إِنَّهُ لَكَبِيرُكُمُ الَّذِي عَلَّمَكُمُ السِّحْرَ فَلَسَوْفَ تَعْلَمُونَ ۚ لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُمْ مِنْ خِلَافٍ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ﴾


(फ़िरऔन ने) कहाः तुम उसका विश्वास कर बैठे, इससे पहले कि मैं तुम्हें आज्ञा दूँ? वास्तव में, वह तुम्हारा बड़ा (गुरू) है, जिसने तुम्हें जादू सिखाया है, तो तुम्हें शीघ्र ज्ञान हो जायेगा, मैं अवश्य तुम्हारे हाथों तथा पैरों को विपरीत दिशा[1] से काट दूँगा तथा तुम सभी को फाँसी दे दूँगा!

50- ﴿قَالُوا لَا ضَيْرَ ۖ إِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا مُنْقَلِبُونَ﴾


सबने कहाः कोई चिन्ता नहीं, हमतो अपने पालनहार हीकी ओर फिरकर जाने वाले हैं।

51- ﴿إِنَّا نَطْمَعُ أَنْ يَغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَايَانَا أَنْ كُنَّا أَوَّلَ الْمُؤْمِنِينَ﴾


हम आशा रखते हैं कि क्षमा कर देगा, हमारे लिए, हमारा पालनहार, हमारे पापों को, क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाने वाले हैं।

52- ﴿۞ وَأَوْحَيْنَا إِلَىٰ مُوسَىٰ أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِي إِنَّكُمْ مُتَّبَعُونَ﴾


और हमने मूसा की ओर वह़्यी की कि रातों-रात निकल जा मेरे भक्तों को लेकर, तुम सबका पीछा किया जायेगा।

53- ﴿فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ﴾


तो फ़िरऔन ने भेज दिया नगरों में (सेना) एकत्र करने[1] वालों को।

54- ﴿إِنَّ هَٰؤُلَاءِ لَشِرْذِمَةٌ قَلِيلُونَ﴾


कि वे बहुत थोड़े लोग हैं।

55- ﴿وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَائِظُونَ﴾


और (इसपर भी) वे हमें अति क्रोधित कर रहे हैं।

56- ﴿وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَاذِرُونَ﴾


और वास्तव में, हम एक गिरोह हैं सावधान रहने वाले।

57- ﴿فَأَخْرَجْنَاهُمْ مِنْ جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ﴾


अन्ततः, हमने निकाल दिया उन्हें, बागों तथा स्रोतों से।

58- ﴿وَكُنُوزٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ﴾


तथा कोषों और उत्तम निवास स्थानों से।

59- ﴿كَذَٰلِكَ وَأَوْرَثْنَاهَا بَنِي إِسْرَائِيلَ﴾


इसी प्रकार हुआ और हमने उनका उत्तराधिकारी बना दिया, इस्राईल की संतान को।

60- ﴿فَأَتْبَعُوهُمْ مُشْرِقِينَ﴾


तो उन्होंने उनका पीछा किया, प्रातः होते ही।

61- ﴿فَلَمَّا تَرَاءَى الْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَابُ مُوسَىٰ إِنَّا لَمُدْرَكُونَ﴾


और जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देख लिया, तो मूसा के साथियों ने कहाः हमतो निश्चय ही पकड़ लिए[1] गये।

62- ﴿قَالَ كَلَّا ۖ إِنَّ مَعِيَ رَبِّي سَيَهْدِينِ﴾


(मूसा ने) कहाः कदापि नहीं, निश्चय मेरे साथ मेरा पालनहार है।

63- ﴿فَأَوْحَيْنَا إِلَىٰ مُوسَىٰ أَنِ اضْرِبْ بِعَصَاكَ الْبَحْرَ ۖ فَانْفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍ كَالطَّوْدِ الْعَظِيمِ﴾


तो हमने मूसा को वह़्यी की कि मार अपनी लाठी से सागर को, अकस्मात् सागर फट गया तथा प्रत्येक भाग, भारी पर्वत के समान[1] हो गया।

64- ﴿وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ الْآخَرِينَ﴾


तथा हमने समीप कर दिया उसी स्थान के, दूसरे गिरोह को।

65- ﴿وَأَنْجَيْنَا مُوسَىٰ وَمَنْ مَعَهُ أَجْمَعِينَ﴾


और मुक्ति प्रदान कर दी मूसा और उसके सब साथियों को।

66- ﴿ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ﴾


फिर हमने डुबो दिया दूसरों को।

67- ﴿إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ﴾


वास्तव में, इसमें बड़ी शिक्षा है और उनमें से अधिक्तर लोग ईमान वाले नहीं थे।

68- ﴿وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ﴾


तथा वास्तव में, आपका पालनहार निश्चय अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।

69- ﴿وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ إِبْرَاهِيمَ﴾


तथा आप, उन्हें सुना दें, इब्राहीम का समाचार (भी)।

70- ﴿إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَا تَعْبُدُونَ﴾


जब उसने कहा, अपने बाप तथा अपनी जाति से कि तुम क्या पूज रहे हो?

71- ﴿قَالُوا نَعْبُدُ أَصْنَامًا فَنَظَلُّ لَهَا عَاكِفِينَ﴾


उन्होंने कहाः हम मूर्तियों की पूजा कर रहे हैं और उन्हीं की सेवा में लगे रहते हैं।

72- ﴿قَالَ هَلْ يَسْمَعُونَكُمْ إِذْ تَدْعُونَ﴾


उसने कहाः क्या वे तुम्हारी सुनती हैं, जब तुम पुकारते हो?

73- ﴿أَوْ يَنْفَعُونَكُمْ أَوْ يَضُرُّونَ﴾


या तुम्हें लाभ पहुँचाती या हानि पहुँचाती हैं?

74- ﴿قَالُوا بَلْ وَجَدْنَا آبَاءَنَا كَذَٰلِكَ يَفْعَلُونَ﴾


उन्होंने कहाः बल्कि हमने अपने पूर्वोजों को ऐसा ही करते हुए पाया है।

75- ﴿قَالَ أَفَرَأَيْتُمْ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُونَ﴾


उसने कहाः क्या तुमने कभी (आँख खोलकर) उसे देखा, जिसे तुम पूज रहे हो।

76- ﴿أَنْتُمْ وَآبَاؤُكُمُ الْأَقْدَمُونَ﴾


तुम तथा तुम्हारे पहले पूर्वज?

77- ﴿فَإِنَّهُمْ عَدُوٌّ لِي إِلَّا رَبَّ الْعَالَمِينَ﴾


क्योंकि ये सब मेरे शत्रु हैं, पूरे विश्व के पालनहार के सिवा।

78- ﴿الَّذِي خَلَقَنِي فَهُوَ يَهْدِينِ﴾


जिसने मुझे पैदा किया, फिर वही मुझे मार्ग दर्शा रहा है।

79- ﴿وَالَّذِي هُوَ يُطْعِمُنِي وَيَسْقِينِ﴾


और जो मुझे खिलाता और पिलाता है।

80- ﴿وَإِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ يَشْفِينِ﴾


और जब रोगी होता हूँ, तो वही मुझे स्वस्थ करता है।

81- ﴿وَالَّذِي يُمِيتُنِي ثُمَّ يُحْيِينِ﴾


तथा वही मुझे मारेगा, फिर[1] मुझे जीवित करेगा।

82- ﴿وَالَّذِي أَطْمَعُ أَنْ يَغْفِرَ لِي خَطِيئَتِي يَوْمَ الدِّينِ﴾


तथा मैं आशा रखता हूँ कि क्षमा कर देगा, मेरे लिए, मेरे पाप, प्रतिकार (प्रलय) के दिन।

83- ﴿رَبِّ هَبْ لِي حُكْمًا وَأَلْحِقْنِي بِالصَّالِحِينَ﴾


हे मेरे पालनहार! प्रदान कर दे मुझे तत्वदर्शिता और मुझे सम्मिलित कर सदाचारियों में।

84- ﴿وَاجْعَلْ لِي لِسَانَ صِدْقٍ فِي الْآخِرِينَ﴾


और मुझे सच्ची ख्याति प्रदान कर, आगामी लोगों में।

85- ﴿وَاجْعَلْنِي مِنْ وَرَثَةِ جَنَّةِ النَّعِيمِ﴾


और बना दे मुझे, सुख के स्वर्ग का उत्तराधिकारी।

86- ﴿وَاغْفِرْ لِأَبِي إِنَّهُ كَانَ مِنَ الضَّالِّينَ﴾


तथा मेरे बाप को क्षमा कर दे,[1] वास्तव में, वह कुपथों में से है।

87- ﴿وَلَا تُخْزِنِي يَوْمَ يُبْعَثُونَ﴾


तथा मुझे निरादर न कर, जिस दिन सब जीवित किये[1] जायेंगे।

88- ﴿يَوْمَ لَا يَنْفَعُ مَالٌ وَلَا بَنُونَ﴾


जिस दिन, लाभ नहीं देगा कोई धन और न संतान।

89- ﴿إِلَّا مَنْ أَتَى اللَّهَ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ﴾


परन्तु, जो अल्लाह के पास स्वच्छ दिल लेकर आयेगा।

90- ﴿وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ﴾


और समीप कर दी जायेगी स्वर्ग आज्ञाकारियों के लिए।

91- ﴿وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ﴾


तथा खोल दी जायेगी नरक कुपथों के लिए।

92- ﴿وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُونَ﴾


तथा कहा जायेगाः कहाँ हैं वे, जिन्हें तुम पूज रहे थे?

93- ﴿مِنْ دُونِ اللَّهِ هَلْ يَنْصُرُونَكُمْ أَوْ يَنْتَصِرُونَ﴾


अल्लाह के सिवा, क्या वे तुम्हारी सहायता करेंगे अथवा स्वयं अपनी सहायता कर सकते हैं?

94- ﴿فَكُبْكِبُوا فِيهَا هُمْ وَالْغَاوُونَ﴾


फिर उसमें औंधे झोंक दिये जायेंगे वे और सभी कुपथ।

95- ﴿وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ﴾


और इब्लीस की सेना सभी।

96- ﴿قَالُوا وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ﴾


और वे उसमें आपस में झगड़ते हुए कहंगेः

97- ﴿تَاللَّهِ إِنْ كُنَّا لَفِي ضَلَالٍ مُبِينٍ﴾


अल्लाह की शपथ! वास्तव में, हम खुले कुपथ में थे।

98- ﴿إِذْ نُسَوِّيكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ﴾


जब हम तुम्हें, बराबर समझ रहे थे विश्व के पालनहार के।

99- ﴿وَمَا أَضَلَّنَا إِلَّا الْمُجْرِمُونَ﴾


और हमें कुपथ नहीं किया, परन्तु अपराधियों ने।

100- ﴿فَمَا لَنَا مِنْ شَافِعِينَ﴾


तो हमारा कोई अभिस्तावक (सिफ़ारिशी) नहीं रह गया।

101- ﴿وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍ﴾


तथा न कोई प्रेमी मित्र।

102- ﴿فَلَوْ أَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَكُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ﴾


तो यदि हमें पुनः संसार में जाना होता,[1] तो हम ईमान वालों में हो जाते।

103- ﴿إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ﴾


निःसंदेह, इसमें बड़ी निशानी है और उनमें से अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं हैं।

104- ﴿وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ﴾


और वास्तव में, आपका पालनहार ही अति प्रभुत्वशाली,[1] दयावान् है।

105- ﴿كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوحٍ الْمُرْسَلِينَ﴾


नूह़ की जाति ने भी रसूलों को झुठलाया।

106- ﴿إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ﴾


जब उनसे उनके भाई नूह़ ने कहाः क्या तुम (अल्लाह से) डरते नहीं हो?

107- ﴿إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ﴾


वास्तव में, मैं तुम्हारे लिए एक[1] रसूल हूँ।

108- ﴿فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ﴾


अतः, तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।

109- ﴿وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ﴾


मैं नहीं माँगता इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला), मेरा बदला तो बस सर्वलोक के पालनहार पर है।

110- ﴿فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ﴾


अतः, तुम अल्लाह से डरो और मेरी आज्ञा का पालन करो।

111- ﴿۞ قَالُوا أَنُؤْمِنُ لَكَ وَاتَّبَعَكَ الْأَرْذَلُونَ﴾


उन्होंने कहाः क्या हम तुझे मान लें, जबकि तेरा अनुसरण पतित (नीच) लोग[1] कर रहे हैं?

112- ﴿قَالَ وَمَا عِلْمِي بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ﴾


(नूह़ ने) कहाः मूझे क्य ज्ञान कि वे क्या कर्म करते रहे हैं?

113- ﴿إِنْ حِسَابُهُمْ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّي ۖ لَوْ تَشْعُرُونَ﴾


उनका ह़िसाब तो बस मेरे पालनहार के ऊपर है, यदि तुम समझो।

114- ﴿وَمَا أَنَا بِطَارِدِ الْمُؤْمِنِينَ﴾


और मैं धुतकारने वाला[1] नहीं हूँ, ईमान वालों को।

115- ﴿إِنْ أَنَا إِلَّا نَذِيرٌ مُبِينٌ﴾


मैं तो बस खुला सावधान करने वाला हूँ।

116- ﴿قَالُوا لَئِنْ لَمْ تَنْتَهِ يَا نُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمَرْجُومِينَ﴾


उन्होंने कहाः यदि रुका नहीं, हे नूह़! तो तू अवश्य पथराव करके मारे हुओं में होगा।

117- ﴿قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوْمِي كَذَّبُونِ﴾


उसने कहाः मेरे पालनहार! मेरी जाति ने मुझे झुठला दिया।

118- ﴿فَافْتَحْ بَيْنِي وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَنَجِّنِي وَمَنْ مَعِيَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ﴾


अतः, तू निर्णय कर दे मेरे और उनके बीच और मुक्त कर दे मुझे तथा उन्हें जो मेरे साथ हैं, ईमान वालों में से।

119- ﴿فَأَنْجَيْنَاهُ وَمَنْ مَعَهُ فِي الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ﴾


तो हमने उसे मुक्त कर दिया तथा उन्हें जो उसके साथ भरी नाव में थे।

120- ﴿ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ الْبَاقِينَ﴾


फिर हमने डुबो दिया उसके पश्चात्, शेष लोगों को।

121- ﴿إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ﴾


वास्तव में, इसमें एक बड़ी निशानी (शिक्षा) है तथा उनमें से अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं।

122- ﴿وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ﴾


और निश्चय आपका पालनहार ही अति प्रभुत्वशाली, दयावान् है।

123- ﴿كَذَّبَتْ عَادٌ الْمُرْسَلِينَ﴾


झुठला दिया आद (जाति) ने (भी) रसूलों को।

124- ﴿إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ﴾


जब कहा उनसे, उनके भाई हूद[1] नेः क्या तुम डरते नहीं हो?

125- ﴿إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ﴾


वस्तुतः, मैं तुम्हारे लिए एक न्यासिक (अमानतदार) रसूल हूँ।

126- ﴿فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ﴾


अतः, अल्लाह से डरो और मेरा अनुपालन करो।

127- ﴿وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ﴾


और मैं तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो बस सर्वलोक के पालनहार पर है।

128- ﴿أَتَبْنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ آيَةً تَعْبَثُونَ﴾


क्यों तुम बना लेते हो, हर ऊँचे स्थान पर एक यादगार भवन, व्यर्थ में?

129- ﴿وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُونَ﴾


तथा बनाते हो, बड़े-बड़े भवन, जैसे कि तुम सदा रहोगे।

130- ﴿وَإِذَا بَطَشْتُمْ بَطَشْتُمْ جَبَّارِينَ﴾


और जबकिसी को पकड़ते हो, तो पकड़ते हो, महा अत्याचारी बनकर।

131- ﴿فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ﴾


तो अल्लाह से डरो और मेरी आज्ञा का पालन करो।

132- ﴿وَاتَّقُوا الَّذِي أَمَدَّكُمْ بِمَا تَعْلَمُونَ﴾


तथा उससे भय रखो, जिसने तुम्हारी सहायता की है उससे, जो तुम जानते हो।

133- ﴿أَمَدَّكُمْ بِأَنْعَامٍ وَبَنِينَ﴾


उसने सहायता की है तुम्हारी चौपायों तथा संतान से।

134- ﴿وَجَنَّاتٍ وَعُيُونٍ﴾


तथा बाग़ों (उद्यानो) तथा जल स्रोतों से।

135- ﴿إِنِّي أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ﴾


मैं तुमपर डरता हूँ, भीषण दिन की यातना से।

136- ﴿قَالُوا سَوَاءٌ عَلَيْنَا أَوَعَظْتَ أَمْ لَمْ تَكُنْ مِنَ الْوَاعِظِينَ﴾


उन्होंने कहाः नसीह़त करो या न करो, हमपर सब समान है।

137- ﴿إِنْ هَٰذَا إِلَّا خُلُقُ الْأَوَّلِينَ﴾


ये बात तो बस प्राचीन लोगों की नीति[1] है।

138- ﴿وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ﴾


और हम उनमें से नहीं हैं, जिन्हें यातना दी जायेगी।

139- ﴿فَكَذَّبُوهُ فَأَهْلَكْنَاهُمْ ۗ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ﴾


अन्ततः, उन्होंने हमें झुठला दिया, तो हमने उन्हें ध्वस्त कर दिया। निश्चय इसमें एक बड़ी निशानी (शिक्षा) है और लोगों में अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं हैं।

140- ﴿وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ﴾


और वास्तव में, आपका पालनहार ही अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।

141- ﴿كَذَّبَتْ ثَمُودُ الْمُرْسَلِينَ﴾


झुठला दिया समूद ने (भी)[1] रसूलों को।

142- ﴿إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ صَالِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ﴾


जब कहा उनसे उनके भाई सालेह़ नेः क्या तुम डरते नहीं हो?

143- ﴿إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ﴾


वास्तव में, मैं तुम्हारा विश्वसनीय रसूल हूँ।

144- ﴿فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ﴾


तो तुम अल्लाह से डरो और मेरा कहा मानो।

145- ﴿وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ﴾


तथा मैं नहीं माँगता इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक, मेरा पारिश्रमिक तो बस सर्वलोक के पालनहार पर है।

146- ﴿أَتُتْرَكُونَ فِي مَا هَاهُنَا آمِنِينَ﴾


क्या तुम छोड़ दिये जाओगे उसमें, जो यहाँ हैं निश्चिन्त रहकर?

147- ﴿فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ﴾


बाग़ों तथा स्रोतों में।

148- ﴿وَزُرُوعٍ وَنَخْلٍ طَلْعُهَا هَضِيمٌ﴾


तथा खेतों और खजूरों में, जिनके गुच्छे रस भरे हैं।

149- ﴿وَتَنْحِتُونَ مِنَ الْجِبَالِ بُيُوتًا فَارِهِينَ﴾


तथा तुमपर्वतों को तराशकर घर बनाते हो, गर्व करते हुए।

150- ﴿فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ﴾


अतः, अल्लाह से डरो और मेरा अनुपालन करो।

151- ﴿وَلَا تُطِيعُوا أَمْرَ الْمُسْرِفِينَ﴾


और पालन न करो उल्लंघनकारियों के आदेश का।

152- ﴿الَّذِينَ يُفْسِدُونَ فِي الْأَرْضِ وَلَا يُصْلِحُونَ﴾


जो उपद्रव करते हैं धरती में और सुधार नहीं करते।

153- ﴿قَالُوا إِنَّمَا أَنْتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ﴾


उन्होंने कहाः वास्तव में, तू उनमें से है, जिनपर जादू कर दिया गया है।

154- ﴿مَا أَنْتَ إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُنَا فَأْتِ بِآيَةٍ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ﴾


तू तो बस हमारे समान एक मानव है। तो कोई चमत्कार ले आ, यदि तू सच्चा है।

155- ﴿قَالَ هَٰذِهِ نَاقَةٌ لَهَا شِرْبٌ وَلَكُمْ شِرْبُ يَوْمٍ مَعْلُومٍ﴾


कहाः ये ऊँटनी है,[1] इसके लिए पानी पीने का एक दिन है और तुम्हारे लिए पानी लेने का निश्चित दिन है।

156- ﴿وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوءٍ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَظِيمٍ﴾


तथा उसे हाथ न लगाना बुराई से, अन्यथा तुम्हें पकड़ लेगी एक भीषण दिन की यातना।

157- ﴿فَعَقَرُوهَا فَأَصْبَحُوا نَادِمِينَ﴾


तो उन्होंने वध कर दिया उसे, अन्ततः, पछताने वाले हो गये।

158- ﴿فَأَخَذَهُمُ الْعَذَابُ ۗ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ﴾


और पकड़ लिया उन्हें यातना ने। वस्तुतः, इसमें बड़ी निशानी है और नहीं थे उनमें से अधिक्तर ईमान वाले।

159- ﴿وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ﴾


और निश्चय आपका पालनहार ही अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।

160- ﴿كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍ الْمُرْسَلِينَ﴾


झुठला दिया लूत की जाति ने (भी) रसूलों को।

161- ﴿إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ﴾


जब कहा उनसे उनके भाई लूत नेः क्या तुम डरते नहीं हो?

162- ﴿إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ﴾


वास्तव में, मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।

163- ﴿فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ﴾


अतः अल्लाह से डरो और मेरा अनुपालन करो।

164- ﴿وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ﴾


और मैं तुमसे प्रश्न नहीं करता, इसपर किसी पारिश्रमिक (बदले) का। मेरा बदला तो बस सर्वलोक के पालनहार पर है।

165- ﴿أَتَأْتُونَ الذُّكْرَانَ مِنَ الْعَالَمِينَ﴾


क्या तुम जाते[1] हो पुरुषों के पास, संसार वासियों में से।

166- ﴿وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُمْ مِنْ أَزْوَاجِكُمْ ۚ بَلْ أَنْتُمْ قَوْمٌ عَادُونَ﴾


तथा छोड़ देते हो उसे, जिसे पैदा किया है तुम्हारे पालनहार ने, अर्थात अपनी प्तनियों को, बल्कि तुम एक जाति हो, सीमा का उल्लंघन करने वाली।

167- ﴿قَالُوا لَئِنْ لَمْ تَنْتَهِ يَا لُوطُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمُخْرَجِينَ﴾


उन्होंने कहाः यदि तू नहीं रुका, हे लूत! तो अवश्य तेरा बहिष्कार कर दिया जायेगा।

168- ﴿قَالَ إِنِّي لِعَمَلِكُمْ مِنَ الْقَالِينَ﴾


उसने कहाः वास्तव में, मैं तुम्हारे करतूत से बहुत अप्रसन्न हूँ।

169- ﴿رَبِّ نَجِّنِي وَأَهْلِي مِمَّا يَعْمَلُونَ﴾


मेरे पालनहार! मुझे बचा ले तथा मेरे परिवार को उससे, जो वे कर रहे हैं।

170- ﴿فَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ﴾


तो हमने उसे बचा लिया तथा उसके सभी परिवार को।

171- ﴿إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ﴾


परन्तु, एक बुढ़िया[1] को, जो पीछे रह जाने वालों में थी।

172- ﴿ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ﴾


फिर हमने विनाश कर दिया दूसरों का।

173- ﴿وَأَمْطَرْنَا عَلَيْهِمْ مَطَرًا ۖ فَسَاءَ مَطَرُ الْمُنْذَرِينَ﴾


और वर्षा की उनपर, एक घोर[1] वर्षा। तो बुरी हो गयी डराये हुए लोगों की वर्षा।

174- ﴿إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ﴾


वास्तव में, इसमें एक बड़ी निशानी (शिक्षा) है और उनमें से अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं थे।

175- ﴿وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ﴾


और निश्चय आपका पालनहार ही अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।

176- ﴿كَذَّبَ أَصْحَابُ الْأَيْكَةِ الْمُرْسَلِينَ﴾


झुठला दिया ऐय्का[1] वालों ने रसूलों को।

177- ﴿إِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَيْبٌ أَلَا تَتَّقُونَ﴾


जब कहा उनसे शोऐब नेः क्या तुम डरते नहीं हो?

178- ﴿إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ﴾


मैं तुम्हारे लिए एक विश्वसनीय रसूल हूँ।

179- ﴿فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ﴾


अतः, अल्लाह से डरो तथा मेरी आज्ञा का पालन करो।

180- ﴿وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ﴾


और मैं नहीं माँगता तुमसे इसपर कोई पारिश्रमिक, मेरा पारिश्रमिक तो बस समस्त विश्व के पालनहार पर है।

181- ﴿۞ أَوْفُوا الْكَيْلَ وَلَا تَكُونُوا مِنَ الْمُخْسِرِينَ﴾


तुम नाप-तोल पूरा करो और न बनो कम देने वालों में।

182- ﴿وَزِنُوا بِالْقِسْطَاسِ الْمُسْتَقِيمِ﴾


और तोलो सीधी तराज़ू से।

183- ﴿وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ أَشْيَاءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا فِي الْأَرْضِ مُفْسِدِينَ﴾


और मत कम दो लोगों को उनकी चीज़ें और मत फिरो धरती में उपद्रव फैलाते।

184- ﴿وَاتَّقُوا الَّذِي خَلَقَكُمْ وَالْجِبِلَّةَ الْأَوَّلِينَ﴾


और डरो उससे, जिसने पैदा किया है तुम्हें तथा अगले लोगों को।

185- ﴿قَالُوا إِنَّمَا أَنْتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ﴾


उन्होंने कहाःवास्तव में, तू उनमें से है, जिनपर जादू कर दिया गया है।

186- ﴿وَمَا أَنْتَ إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُنَا وَإِنْ نَظُنُّكَ لَمِنَ الْكَاذِبِينَ﴾


और तू तो बस एक पुरुष[1] है, हमारे समान और हम तो तुझे झूठों में समझते हैं।

187- ﴿فَأَسْقِطْ عَلَيْنَا كِسَفًا مِنَ السَّمَاءِ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ﴾


तो हमपर गिरा दे कोई खण्ड आकाश का, यदि तू सच्चा है।

188- ﴿قَالَ رَبِّي أَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُونَ﴾


उसने कहाः मेरा पालनहार भली प्रकार जानता है उसे, जो कुछ तुम कर रहे हो।

189- ﴿فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمْ عَذَابُ يَوْمِ الظُّلَّةِ ۚ إِنَّهُ كَانَ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ﴾


तो उन्होंने उसे झुठला दिया। अन्ततः, पकड़ लिया उन्हें छाया के[1] दिन की यातना ने। वस्तुतः, वह एक भीषण दिन की यातना थी।

190- ﴿إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ﴾


निश्चय ही, इसमें एक बड़ी निशानी (शिक्षा) है और नहीं थे उनमें अधिक्तर ईमान लाने वाले।

191- ﴿وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ﴾


और वास्तव में, आपका पालनहार ही अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।

192- ﴿وَإِنَّهُ لَتَنْزِيلُ رَبِّ الْعَالَمِينَ﴾


तथा निःसंदेह, ये (क़ुर्आन) पूरे विश्व के पालनहार का उतारा हुआ है।

193- ﴿نَزَلَ بِهِ الرُّوحُ الْأَمِينُ﴾


इसे लेकर रूह़ुल अमीन[1] उतरा।

194- ﴿عَلَىٰ قَلْبِكَ لِتَكُونَ مِنَ الْمُنْذِرِينَ﴾


आपके दिल पर, ताकि आप हो जायें सावधान करने वालों में।

195- ﴿بِلِسَانٍ عَرَبِيٍّ مُبِينٍ﴾


खुली अरबी भाषा में।

196- ﴿وَإِنَّهُ لَفِي زُبُرِ الْأَوَّلِينَ﴾


तथा इसकी चर्चा[1] अगले रसूलों की पुस्तकों में (भी) है।

197- ﴿أَوَلَمْ يَكُنْ لَهُمْ آيَةً أَنْ يَعْلَمَهُ عُلَمَاءُ بَنِي إِسْرَائِيلَ﴾


क्या और उनके लिए ये निशानी नहीं है कि इस्राईलियों के विद्वान[1] इसे जानते हैं।

198- ﴿وَلَوْ نَزَّلْنَاهُ عَلَىٰ بَعْضِ الْأَعْجَمِينَ﴾


और यदि हम इसे उतार देते किसी अजमी[1] पर।

199- ﴿فَقَرَأَهُ عَلَيْهِمْ مَا كَانُوا بِهِ مُؤْمِنِينَ﴾


और वह, इसे उनके समक्ष पढ़ता, तो वे उसपर ईमान लाने वाले न होते[1]।

200- ﴿كَذَٰلِكَ سَلَكْنَاهُ فِي قُلُوبِ الْمُجْرِمِينَ﴾


इसी प्रकार, हमने घुसा दिया है इस (क़ुर्आन के इन्कार) को पापियों के दिलों में।

201- ﴿لَا يُؤْمِنُونَ بِهِ حَتَّىٰ يَرَوُا الْعَذَابَ الْأَلِيمَ﴾


वे नहीं ईमान लायेंगे उसपर, जब तक देख नहीं लेंगे दुःखदायी यातना।

202- ﴿فَيَأْتِيَهُمْ بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ﴾


फिर, वह उनपर सहसा आ जायेगी और वे समझ भी नहीं पायेंगे।

203- ﴿فَيَقُولُوا هَلْ نَحْنُ مُنْظَرُونَ﴾


तो कहेंगेः क्या हमें अवसर दिया जायेगा?

204- ﴿أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ﴾


तो क्या वे हमारी यातना की जल्दी मचा रहे हैं?

205- ﴿أَفَرَأَيْتَ إِنْ مَتَّعْنَاهُمْ سِنِينَ﴾


(हे नबी!) तो क्या आपने विचार किया कि यदि हम लाभ पहुँचायें इन्हें वर्षों।

206- ﴿ثُمَّ جَاءَهُمْ مَا كَانُوا يُوعَدُونَ﴾


फिर आ जाये उनपर वह, जिसकी उन्हें धमकी दी जा रही थी।

207- ﴿مَا أَغْنَىٰ عَنْهُمْ مَا كَانُوا يُمَتَّعُونَ﴾


तो कुछ काम नहीं आयेगा उनके, जो उन्हें लाभ पहुँचाया जाता रहा?

208- ﴿وَمَا أَهْلَكْنَا مِنْ قَرْيَةٍ إِلَّا لَهَا مُنْذِرُونَ﴾


और हमने किसी बस्ती का विनाश नहीं किया, परन्तु उसके लिए सावधान करने वाले थे।

209- ﴿ذِكْرَىٰ وَمَا كُنَّا ظَالِمِينَ﴾


शिक्षा देने के लिए और हम अत्याचारी नहीं हैं।

210- ﴿وَمَا تَنَزَّلَتْ بِهِ الشَّيَاطِينُ﴾


तथा नहीं उतरे हैं (इस क़ुर्आन) को लेकर शैतान।

211- ﴿وَمَا يَنْبَغِي لَهُمْ وَمَا يَسْتَطِيعُونَ﴾


और न योग्य है उनके लिए और न वे इसकी शक्ति रखते हैं।

212- ﴿إِنَّهُمْ عَنِ السَّمْعِ لَمَعْزُولُونَ﴾


वास्तव में, वे तो (इसके) सुनने से भी दूर[1] कर दिये गये हैं।

213- ﴿فَلَا تَدْعُ مَعَ اللَّهِ إِلَٰهًا آخَرَ فَتَكُونَ مِنَ الْمُعَذَّبِينَ﴾


अतः, आप न पुकारें अल्लाह के साथ किसी अन्य पूज्य को, अन्यथा आप दण्डितों में हो जायेंगे।

214- ﴿وَأَنْذِرْ عَشِيرَتَكَ الْأَقْرَبِينَ﴾


और आप सावधान कर दें अपने समीपवर्ती[1] संबंधियों को।

215- ﴿وَاخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ﴾


और झुका दें अपना बाहु[1] उसके लिए, जो आपका अनुयायी हो, ईमान वालों में से।

216- ﴿فَإِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ إِنِّي بَرِيءٌ مِمَّا تَعْمَلُونَ﴾


और यदि वे आपकी अवज्ञा करें, तो आप कह दें कि मैं निर्दोष हूँ उससे, जो तुम कर रहे हो।

217- ﴿وَتَوَكَّلْ عَلَى الْعَزِيزِ الرَّحِيمِ﴾


तथा आप भरोसा करें अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् पर।

218- ﴿الَّذِي يَرَاكَ حِينَ تَقُومُ﴾


जो देखता है आपको, जिस समय (नमाज़) में खड़े होते हैं।

219- ﴿وَتَقَلُّبَكَ فِي السَّاجِدِينَ﴾


और आपके फिरने को सज्दा करने[1] वालों में।

220- ﴿إِنَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ﴾


निःसंदेह, वही सब कुछ सुनने-जानने वाला है।

221- ﴿هَلْ أُنَبِّئُكُمْ عَلَىٰ مَنْ تَنَزَّلُ الشَّيَاطِينُ﴾


क्या मैं तुम सबको बताऊँ कि किसपर शैतान उतरते हैं?

222- ﴿تَنَزَّلُ عَلَىٰ كُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٍ﴾


वे उतरते हैं, प्रत्येक झूठे पापी[1] पर।

223- ﴿يُلْقُونَ السَّمْعَ وَأَكْثَرُهُمْ كَاذِبُونَ﴾


वे पहुँचा देते हैं, सुनी सुनाई बातों को और उनमें अधिक्तर झूठे हैं।

224- ﴿وَالشُّعَرَاءُ يَتَّبِعُهُمُ الْغَاوُونَ﴾


और कवियों का अनुसरण बहके हुए लोग करते हैं।

225- ﴿أَلَمْ تَرَ أَنَّهُمْ فِي كُلِّ وَادٍ يَهِيمُونَ﴾


क्या आप नहीं देखते कि वे प्रत्येक वादी में फिरते[1] हैं।

226- ﴿وَأَنَّهُمْ يَقُولُونَ مَا لَا يَفْعَلُونَ﴾


और ऐसी बात कहते हैं, जो करते नहीं।

227- ﴿إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَذَكَرُوا اللَّهَ كَثِيرًا وَانْتَصَرُوا مِنْ بَعْدِ مَا ظُلِمُوا ۗ وَسَيَعْلَمُ الَّذِينَ ظَلَمُوا أَيَّ مُنْقَلَبٍ يَنْقَلِبُونَ﴾


परन्तु वो (कवि), जो[1] ईमान लाये, सदाचार किये, अल्लाह का बहुत स्मरण किया तथा बदला लिया इसके पश्चात् कि उनके ऊपर अत्याचार किया गया! तथा शीघ्र ही जान लेंगे, जिन्होंने अत्याचार किया है कि व किस दुष्परिणाम की ओर फिरते हैं!

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: