الشمس

تفسير سورة الشمس

الترجمة الهندية

हिन्दी

الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ وَالشَّمْسِ وَضُحَاهَا﴾

सूर्य तथा उसकी धूप की शपथ है!

﴿وَالْقَمَرِ إِذَا تَلَاهَا﴾

और चाँद की शपथ, जब उसके पीछे निकले!

﴿وَالنَّهَارِ إِذَا جَلَّاهَا﴾

और दिन की शपथ, जब उसे (अर्थात सूर्य को) प्रकट कर दे!

﴿وَاللَّيْلِ إِذَا يَغْشَاهَا﴾

और रात्रि की सौगन्ध, जब उसे (सूर्य को) छुपा ले!

﴿وَالسَّمَاءِ وَمَا بَنَاهَا﴾

और आकाश की सौगन्ध तथा उसकी जिसने उसे बनाया!

﴿وَالْأَرْضِ وَمَا طَحَاهَا﴾

तथा धरती की सौगन्ध और जिसने उसे फैलाया![1]

﴿وَنَفْسٍ وَمَا سَوَّاهَا﴾

और जीव की सौगन्ध, तथा उसकी जिसने उसे ठीक ठीक सुधारा।

﴿فَأَلْهَمَهَا فُجُورَهَا وَتَقْوَاهَا﴾

फिर उसे दुराचार तथा सदाचार का विवेक दिया है।[1]

﴿قَدْ أَفْلَحَ مَنْ زَكَّاهَا﴾

वह सफल हो गया, जिसने अपने जीव का शुध्दिकरण किया।

﴿وَقَدْ خَابَ مَنْ دَسَّاهَا﴾

तथा वह क्षति में पड़ गया, जिसने उसे (पाप में) धंसा दिया।[1]

﴿كَذَّبَتْ ثَمُودُ بِطَغْوَاهَا﴾

"समूद" जाति ने अपने दुराचार के कारण (ईशदूत) को झुठलाया।

﴿إِذِ انْبَعَثَ أَشْقَاهَا﴾

जब उनमें से एक हत्भागा तैयार हुआ।

﴿فَقَالَ لَهُمْ رَسُولُ اللَّهِ نَاقَةَ اللَّهِ وَسُقْيَاهَا﴾

(ईशदूत सालेह ने) उनसे कहा कि अल्लाह की ऊँटनी और उसके पीने की बारी की रक्षा करो।

﴿فَكَذَّبُوهُ فَعَقَرُوهَا فَدَمْدَمَ عَلَيْهِمْ رَبُّهُمْ بِذَنْبِهِمْ فَسَوَّاهَا﴾

किन्तु, उन्होंने नहीं माना और उसे वध कर दिया, जिसके कारण उनके पालनहार ने यातना भेज दी और उन्हें चौरस कर दिया।

﴿وَلَا يَخَافُ عُقْبَاهَا﴾

और वह उसके परिणाम से नहीं डरता।[1]

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: