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الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

1- ﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ سَبِّحِ اسْمَ رَبِّكَ الْأَعْلَى﴾


अपने सर्वोच्च प्रभु के नाम की पवित्रता का स्मरण करो।

2- ﴿الَّذِي خَلَقَ فَسَوَّىٰ﴾


जिसने पैदा किया और ठीक-ठीक बनाया।

3- ﴿وَالَّذِي قَدَّرَ فَهَدَىٰ﴾


और जिसने अनुमान लगाकर निर्धारित किया, फिर सीधी राह दिखायी।

4- ﴿وَالَّذِي أَخْرَجَ الْمَرْعَىٰ﴾


और जिसने चारा उपजाया।[1]

5- ﴿فَجَعَلَهُ غُثَاءً أَحْوَىٰ﴾


फिर उसे (सुखा कर) कूड़ा बना दिया।[1]

6- ﴿سَنُقْرِئُكَ فَلَا تَنْسَىٰ﴾


(हे नबी!) हम तुम्हें ऐसा पढ़ायेंगे कि भूलोगे नहीं।

7- ﴿إِلَّا مَا شَاءَ اللَّهُ ۚ إِنَّهُ يَعْلَمُ الْجَهْرَ وَمَا يَخْفَىٰ﴾


परन्तु, जिसे अल्लाह चाहे। निश्चय ही वह सभी खुली तथा छिपी बातों को जानता है।

8- ﴿وَنُيَسِّرُكَ لِلْيُسْرَىٰ﴾


और हम तुम्हें सरल मार्ग का साहस देंगे।[1]

9- ﴿فَذَكِّرْ إِنْ نَفَعَتِ الذِّكْرَىٰ﴾


तो आप धर्म की शिक्षा देते रहें। अगर शिक्षा लाभदायक हो।

10- ﴿سَيَذَّكَّرُ مَنْ يَخْشَىٰ﴾


डरने वाला ही शिक्षा ग्रहण करेगा।

11- ﴿وَيَتَجَنَّبُهَا الْأَشْقَى﴾


और दुर्भाग्य उससे दूर रहेगा।

12- ﴿الَّذِي يَصْلَى النَّارَ الْكُبْرَىٰ﴾


जो भीषण अग्नि में जायेगा।

13- ﴿ثُمَّ لَا يَمُوتُ فِيهَا وَلَا يَحْيَىٰ﴾


फिर उसमें न मरेगा, न जीवित रहेगा।[1]

14- ﴿قَدْ أَفْلَحَ مَنْ تَزَكَّىٰ﴾


वह सफल हो गया, जिसने अपना शुध्दिकरण किया।

15- ﴿وَذَكَرَ اسْمَ رَبِّهِ فَصَلَّىٰ﴾


तथा अपने पालनहार के नाम का स्मरण किया और नमाज़ पढ़ी।[1]

16- ﴿بَلْ تُؤْثِرُونَ الْحَيَاةَ الدُّنْيَا﴾


बल्कि तुम लोग तो सांसारिक जीवन को प्राथमिकता देते हो।

17- ﴿وَالْآخِرَةُ خَيْرٌ وَأَبْقَىٰ﴾


जबकि आख़िरत का जीवन ही उत्त्म और स्थायी है।

18- ﴿إِنَّ هَٰذَا لَفِي الصُّحُفِ الْأُولَىٰ﴾


यही बात, प्रथम ग्रन्थों में है।

19- ﴿صُحُفِ إِبْرَاهِيمَ وَمُوسَىٰ﴾


(अर्थात) इब्राहीम तथा मूसा के ग्रन्थों में।[1]

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: