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الترجمة الهندية

ترجمة معاني القرآن الكريم للغة الهندية ترجمها مولانا عزيز الحق العمري، نشرها مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف. عام الطبعة 1433هـ.

1- ﴿بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ هَلْ أَتَاكَ حَدِيثُ الْغَاشِيَةِ﴾


क्या तेरे पास पूरी सृष्टी पर छा जाने वाली (क्यामत) का समाचार आया?

2- ﴿وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ خَاشِعَةٌ﴾


उस दिन कितने मूँह सहमे होंगे।

3- ﴿عَامِلَةٌ نَاصِبَةٌ﴾


परिश्रम करते थके जा रहे होंगे।

4- ﴿تَصْلَىٰ نَارًا حَامِيَةً﴾


पर वे दहकती आग में जायेंगे।

5- ﴿تُسْقَىٰ مِنْ عَيْنٍ آنِيَةٍ﴾


उन्हें खोलते सोते का जल पिलाया जायेगा।

6- ﴿لَيْسَ لَهُمْ طَعَامٌ إِلَّا مِنْ ضَرِيعٍ﴾


उनके लिए कटीली झाड़ के सिवा, कोई भोजन सामग्री नहीं होगी।

7- ﴿لَا يُسْمِنُ وَلَا يُغْنِي مِنْ جُوعٍ﴾


जो न मोटा करेगी और न भूख दूर करेगी।[1]

8- ﴿وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ نَاعِمَةٌ﴾


कितने मुख उस दिन निर्मल होंगे।

9- ﴿لِسَعْيِهَا رَاضِيَةٌ﴾


अपने प्रयास से प्रसन्न होंगे।

10- ﴿فِي جَنَّةٍ عَالِيَةٍ﴾


ऊँचे स्वर्ग में होंगे।

11- ﴿لَا تَسْمَعُ فِيهَا لَاغِيَةً﴾


उसमें कोई बकवास नहीं सुनेंगे।

12- ﴿فِيهَا عَيْنٌ جَارِيَةٌ﴾


उसमें बहता जल स्रोत होगा।

13- ﴿فِيهَا سُرُرٌ مَرْفُوعَةٌ﴾


और उसमें ऊँचे-ऊँचे सिंहासन होंगे।

14- ﴿وَأَكْوَابٌ مَوْضُوعَةٌ﴾


उसमें बहुत सारे प्याले रखे होंगे।

15- ﴿وَنَمَارِقُ مَصْفُوفَةٌ﴾


पंक्तियों में गलीचे लगे होंगे।

16- ﴿وَزَرَابِيُّ مَبْثُوثَةٌ﴾


और मख़्मली क़ालीनें बिछी होंगी।[1]

17- ﴿أَفَلَا يَنْظُرُونَ إِلَى الْإِبِلِ كَيْفَ خُلِقَتْ﴾


क्या वह ऊँटों को नहीं देखते कि कैसे पैदा किये गये हैं?

18- ﴿وَإِلَى السَّمَاءِ كَيْفَ رُفِعَتْ﴾


और आकाश को कि किस प्रकार ऊँचा किया गया?

19- ﴿وَإِلَى الْجِبَالِ كَيْفَ نُصِبَتْ﴾


और पर्वतों को कि कैसे गाड़े गये?

20- ﴿وَإِلَى الْأَرْضِ كَيْفَ سُطِحَتْ﴾


तथा धरती को कि कैसे पसारी गयी?[1]

21- ﴿فَذَكِّرْ إِنَّمَا أَنْتَ مُذَكِّرٌ﴾


अतः आप शिक्षा (नसीह़त) दें कि आप शिक्षा देने वाले हैं।

22- ﴿لَسْتَ عَلَيْهِمْ بِمُصَيْطِرٍ﴾


आप उनपर अधिकारी नहीं हैं।

23- ﴿إِلَّا مَنْ تَوَلَّىٰ وَكَفَرَ﴾


परन्तु, जो मुँह फेरेगा और नहीं मानेगा,

24- ﴿فَيُعَذِّبُهُ اللَّهُ الْعَذَابَ الْأَكْبَرَ﴾


तो अल्लाह उसे भारी यातना देगा।

25- ﴿إِنَّ إِلَيْنَا إِيَابَهُمْ﴾


उन्हें हमारी ओर ही वापस आना है।

26- ﴿ثُمَّ إِنَّ عَلَيْنَا حِسَابَهُمْ﴾


फिर हमें ही उनका ह़िसाब लेना है।[1]

الترجمات والتفاسير لهذه السورة: