العظيم
كلمة (عظيم) في اللغة صيغة مبالغة على وزن (فعيل) وتعني اتصاف الشيء...
शपथ है भेजी हुई निरन्तर धीमी वायुओं की!
क्या हमने पैदा नहीं किया है तुम्हें तुच्छ जल (वीर्य) से?
तो हमने सामर्थ्य[1] रखा, अतः हम अच्छा सामर्थ्य रखने वाले हैं।
तथा बना दिये हमने उसमें बहुत-से ऊँचे पर्वत और पिलाया हमने तुम्हें मीठा जल।
(कहा जायेगाः) चलो उस (नरक) की ओर जिसे तुम झुठलाते रहे।
ये निर्णय का दिन है, हमने एकत्र कर लिया है तुम्हें तथा पूर्व के लोगों को।
निःसंदेह, आज्ञाकारी उस दिन छाँव तथा जल स्रोतों में होंगे।
खाओ तथा पिओ मनमानी उन कर्मों के बदले, जो तुम करते रहे।
(हे झुठलाने वालो!) तुम खा लो तथा आनन्द ले लो कुछ[1] दिन। वास्तव में, तुम अपराधी हो।
जब उनसे कहा जाता है कि (अल्लाह के समक्ष) झुको, तो झुकते नहीं।
तो (अब) वे किस बात पर इस (क़ुर्आन) के पश्चात् ईमान[1] लायेंगे?